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हवाई सफर क्यों हो रहा मंहगा… राजीव प्रताप रूड़ी ने संसद में बताया कारण


नई दिल्ली:

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद राजीव प्रताप रूड़ी ने शुक्रवार को लोकसभा में कहा कि विमान यात्राओं का भाड़ा अधिक होने के पीछे अनेक कारक हैं और जब तक छोटे शहरों में अवसंरचना का विकास नहीं होता तो किराया कम नहीं होगा. सदन में गैर-सरकारी कामकाज के तहत कांग्रेस सांसद शफी परम्बिल के ‘देश में हवाई यात्रा किराये के विनियमन के लिए उचित उपाय’ संबंधी निजी संकल्प पर पूर्व में हो चुकी चर्चा को आगे बढ़ाते हुए भाजपा सांसद ने अपने विचार रखे.

पूर्व नागर विमानन मंत्री और पेशे से पायलट रूड़ी ने विमानन क्षेत्र में अपने अनुभवों को साझा करते हुए कई कारक गिनाए जिनकी वजह से विमान यात्राओं के किराये अधिक होते हैं. रूड़ी ने यह भी कहा कि दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद और बेंगलुरू जैसे बड़े हवाई अड्डों के बीच विमान यात्रा का किराया सामान्यत: बहुत अधिक नहीं होता, क्योंकि वहां अवसंरचना पूरी तरह विकसित हो चुकी है, वहीं पटना, रांची और बागडोगरा जैसे छोटे केंद्रों पर बुनियादी ढांचा अल्पविकसित होने की वजह से किराया अधिक होता है.

उन्होंने कहा कि हवाई यात्रा की किराया प्रणाली मांग आधारित होती है और जब किसी विमान में सीटें खाली रह जाती हैं तो जो राजस्व अर्जित किया जा सकता था, वह हासिल नहीं हो पाता है. हाल में एक खबर में बताया गया था कि पिछले तीन साल में कई विमानन कंपनियां नुकसान में रही हैं, वहीं सामान्य तौर पर हवाई अड्डों का राजस्व बढ़ा है.

भाजपा सांसद ने कहा कि एक तरफ विमानन कंपनियों का राजस्व कम हो रहा है, वहीं किराया बढ़ रहा है. रूड़ी ने देश में विमानन क्षेत्र के इतिहास का उल्लेख करते हुए कहा कि 80 के दशक और उसके बाद देश में आईं अनेक एयरलाइन बंद हो गईं.

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उन्होंने कहा, ‘‘पिछले कुछ साल में विमानन उद्योग को होने वाला नुकसान मोटा-मोटा 2200 करोड़ रुपये का रहा.” रूड़ी ने कहा कि देश में विमानन क्षेत्र में अब तक के सबसे अच्छे फैसलों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के एअर इंडिया के विनिवेश के निर्णय को गिना जाएगा.

उन्होंने कहा कि जब वह अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में नागर विमानन मंत्री थे तो डेक्कन समेत अनेक ‘लो कोस्ट’ (कम किराया वाली) एयरलाइन शुरू करने का प्रयास किया गया था, लेकिन कई निजी कंपनियां इस प्रयास के खिलाफ एकजुट हो गईं. आज के समय एक भी निजी विमानन कंपनी नहीं कहती कि वह लो कोस्ट एयरलाइन है. वह अवधारणा ही समाप्त हो गई है.”

रूड़ी ने कहा कि हवाई अड्डों पर सुरक्षा लागत, यूजर डवलपमेंट फी (यूडीएफ), राज्य सरकारों द्वारा विमान ईंधन (एटीएफ) पर लगने वाला वैट शुल्क, विमान उपकरण प्रबंधन पर खर्च, टिकट बिक्री प्रमोशन जैसे खर्च भी टिकट में शामिल होते हैं जो सीधे नजर नहीं आते.

भाजपा सांसद ने कहा कि आज भारत और दुनियाभर में कोई विमानन कंपनी हवाई जहाज नहीं खरीदती और वर्तमान में संचालित 80 प्रतिशत विमान पट्टे पर हैं और कंपनियों को उनका किराया भी देना पड़ता है.

उन्होंने कहा कि इनके अलावा अंतरराष्ट्रीय संघर्ष की स्थिति में, प्राकृतिक आपदाओं में, विमान का मार्ग बदलने की वजह से, मौसम संबंधी परिस्थितियों में और किसी हवाईअड्डे पर उतरने से पहले यातायात के कारण जहाज को अधिक समय तक मंडराने की स्थिति में अधिक खर्च होने पर किराया प्रभावित होना स्वाभाविक है.

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उन्होंने देश में विमान उड़ान प्रशिक्षण का खर्च एक से डेढ़ करोड़ रुपये होने का दावा करते हुए नागर विमानन मंत्री राममोहन नायडू से आग्रह किया कि प्रशिक्षण शुल्क में कमी लाने के प्रयास होने चाहिए जिससे देश में अधिक से अधिक पायलट बनें.

रूड़ी ने कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में और नागर विमानन मंत्री के प्रयासों से आने वाले 10 साल में भारत विमान उड़ान प्रशिक्षण का बड़ा केंद्र बनेगा.”

रूड़ी ने कुछ मिनट के अंतर पर ही विमान किराया बढ़ने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा, ‘‘एआई का प्रकोप टिकटिंग पर आ गया है. जो टिकट अभी 7000 रुपये में मिल रहा है, वहीं दोबारा बुक करने पर 9000 रुपये का दिखाई देता है. इस दिशा में सरकार को ध्यान देना चाहिए.”


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