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क्यों कातिल बनी कर्नाटक की सड़कें? 24 घंटे में 150 हादसे और 51 मौत, 4 महीने में जा चुकी 4100 की जान


बेंगलुरु  :

सड़क दुर्घटनाएं कम होने का नाम ही नहीं ले रही हैं. कर्नाटक (Karnataka) में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं (Road Accidents) पर लगाम लगाने की तमाम कोशिशें नाकाम रही हैं. कर्नाटक में पिछले रविवार को एक ही दिन में करीब 150 सड़क दुर्घटनाओं में 51 लोगों की जान चली गई. कर्नाटक के ट्रैफिक और रोड सेफ्टी विभाग प्रमुख अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक आलोक कुमार ने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट एक्‍स पर लिखा कि हासन कार दुर्घटना में एक ही परिवार के 6 लोगों की मौत हो गई और पिछले 24 घंटों में सड़क दुर्घटनाओं में 51 लोगों की जान चली गई, जो हाल के दिनों में सबसे ज्‍यादा है. इनमें से कई दुर्घटनाएं तेज और लापरवाह ड्राइविंग के कारण हुईं. 

कर्नाटक में औसतन 25 से 35 लोगों की जान हर रोज सड़क दुर्घटना की वजह से जाती है. वहीं हर रोज देश के अलग-अलग हिस्सों में 417 लोगों की जान सड़क हादसों की वजह से जाती है. देश में 2023 में एक लाख 68 हजार मौत सड़क दुर्घटनाओं की वजह से हुई. 

कर्नाटक में पहले चार महीने यानी इस साल जनवरी से अप्रैल के बीच 15 हजार के करीब सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 4100 लोगों की जान चली गई.  

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क्‍यों होती है सड़क दुर्घटनाएं? : अधिकारी ने बताया यह 

ट्रैफिक और रोड सेफ्टी विभाग प्रमुख  ADGP आलोक कुमार के मुताबिक “ओवरस्पीडिंग और ड्राइवर को पूरा आराम ना मिलने की वजह से गाड़ी चलाते वक्त नींद आना ज्‍यादातर जानलेवा सड़क हादसों की वजह बनते हैं.” इसके अलावा गलत तरीके से लेन बदलना, गाड़ी चलाते वक्त मोबाइल फोन का इस्तेमाल और मंजिल तक जल्दी पहुंचने की कोशिश के कारण काफी दुर्घटनाएं होती हैं. हेलमेट ना लगाना किस तरह जानलेवा साबित होता है, इसकी मिसाल रविवार को कर्नाटक में हुए जानलेवा हादसों से मिलती है. जिन 51 लोगों की जान सड़क हादसों  की वजह से गई, उनमें 30 दोपहिया वाहन सवार थे. दोपहिया सवारों ने या तो हेलमेट नहीं पहना था या फिर उनके हेलमेट मानकों के अनुरूप नहीं थे. 

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एक्‍सपर्ट ने लाइसेंस प्रक्रिया में बदलाव की जताई जरूरत 

सड़कों की इंजीनियरिंग भी कई हादसों की वजह बनती हैं. राजमार्गों पर कई ऐसी जगह हैं, जहां सबसे ज्‍यादा हादसे होते हैं, इन्हें ब्लैक स्पॉट कहा जाता है. ऐसी जगहों की खामियां जल्द से जल्द दूर करने की जरूरत है. ट्रैफिक मैनेजमेंट एक्सपर्ट श्रीहरि के मुताबिक, “वाहन चलाने के लिए लाइसेंस देने की प्रक्रिया में बदलाव की जरूरत है. महज कुछ घंटों की ट्रेनिंग देकर लाइसेंस जारी कर दिया जाता है, जो सड़क हादसों की वजहों में से एक है.”

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस कैमरे ट्रैफिक नियमों के उल्‍लंघन को तो पकड़ लेते हैं, लेकिन जब तक उसे सड़क पर पकड़ा ना जाए जुर्माना जमा करवाने कोई नहीं आता है. ऐसे में इसे लागू करवाना भी बड़ी चुनौती है. 

सुप्रीम कोर्ट ने मॉनिटरिंग कमेटी बनाई है, जिसका उद्देश्य 2030 तक सड़क हादसों को 50 फीसदी तक कम करना है. 

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