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मुख्‍यमंत्री बनकर भी दुखी क्‍यों हैं आतिशी, बताई अपने दिल की बात


नई दिल्‍ली:

दिल्‍ली की कमान अब आम आदमी पार्टी की कालकाजी विधानसभा सीट से विधायक आतिशी के हाथों में होगी. आतिशी का नाम फाइनल होने के साथ ही वो दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री बनने जा रही हैं, वह इतिहास के पन्‍नों में दर्ज होने जा रही हैं. लेकिन आतिशी इस मौके पर खुश नहीं हैं. उनका मन दुखी है. मुख्यमंत्री आवास पर विधायक दल की बैठक में आतिशी को दिल्ली का नया मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया गया है. विधायक दल की बैठक में सर्वसम्मति से उनके नाम पर मुहर लगाई गई. दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने इसका ऐलान किया. राय ने कहा कि अगले चुनाव होने तक दिल्ली के सीएम पद की जिम्मेदारी आतिशी जी को दी जा रही है. सभी विधायकों ने सर्वसम्मति से ये फैसला लिया है.

आम आदमी पार्टी की विधायक दल की बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए आतिशी ने कहा, ‘केजरीवाल जी ने मुझ पर भरोसा किया. मुझे विधायक बनाया. मुझे मंत्री बनाया. और आज मुख्यमंत्री बनने की जिम्मेदारी दी है. मैं खुश हूं कि मुझ पर केजरीवाल जी ने मुझपे इतना भरोसा किया है. लेकिन जितना खुश आज मेरा मन है, उससे ज्यादा दुखी भी है. दुख इसलिए कि दिल्ली के लोकप्रिय मुख्यमंत्री मेरे बड़े भाई अरविंद केजरीवाल जी आज इस्तीफा दे रहे हैं. मैं आज जरूर यह कहना चाहती हूं कि दिल्ली का एक ही मुख्यमंत्री है. और उस मुख्यमंत्री का नाम अरविंद केजरीवाल है.’ 

आतिशी ने बीजेपी पर बरसते हुए कहा कि बीजेपी पिछले दो साल से केजरीवाल के खिलाफ लगातार साजिश रच रही है. उन्होंने कहा, ‘IRS कमिश्नर की नौकरी छोड़ने और नई पार्टी बनाकर चुनाव जीतकर पद छोड़ने वाले ईमानदार आदमी पर करप्शन के झूठे केस लगाए गए. उनको छह महीने तक जेल में रख गया. आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी. सुप्रीम कोर्ट ने जमानत देकर केंद्र के मुंह पर तमाचा मारा है.’

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आतिशी के राजनीतिक करियर की बात करें, तो उन्होंने भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के दौरान राजनीति में सबसे पहली बार कदम रखा था. वो 2015 से 2018 तक दिल्ली के डिप्टी सीएम और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया की सलाहकार के रूप में काम कर चुकी हैं. ये तेज तर्रार ‘आप’ नेता पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी यानी पीएसी की मेंबर भी रह चुकी हैं. आतिशी ने 2019 में लोकसभा चुनाव में भी अपनी किस्मत आजमाई थी, लेकिन उन्हें गौतम गंभीर के हाथों हार का सामना करना पड़ा था.

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