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बाड़ से क्यों बिलबिला रहा बांग्लादेश, JNU के एक्सपर्ट से समझिए

किस राज्‍य से कितनी मिली है सीमा 

2216 किलोमीटर बंगाल में
856 किलोमीटर त्रिपुरा में
443 किलोमीटर मेघालय में
262 किलोमीटर असम में और 
180 किलोमीटर मिज़ोरम में

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फेंसिंग को लेकर खड़ा हो रहा विवाद 

2010 से 2023 के बीच भारत ने 160 जगहों पर फेंसिंग लगाई, जिसे लेकर विवाद खड़ा किया गया. इनके अलावा 78 और जगहों को लेकर भी विवाद खड़ा हुआ, लेकिन फेंसिंग का काम इसलिए जरूरी हो जाता है कि कई जगहों से बड़ी संख्या में घुसपैठ की आशंका हमेशा बनी रहती है. ये घुसपैठिए बाद में नकली कागज़ातों के सहारे दिल्ली से लेकर मुंबई तक फैल जाते हैं और तरह-तरह की समस्याएं खड़ी करते हैं. 

बांग्‍लादेश बॉर्डर पर क्‍यों जरूरी है फेंसिंग?

जेएनयू के प्रोफेसर संजय भारद्वाज ने कहा कि बांग्‍लादेश से लगते बॉर्डर को सुरक्षित करना मुश्किल काम है, लेकिन भारत सरकार ने बॉर्डर डवलपमेंट प्रोग्राम के माध्‍यम से यहां पर फेंसिंग की कोशिश की है. उन्‍होंने कहा कि 2001 से 2006 के बीच व्‍यापक पैमाने पर आतंकवादियों, उग्रवादियों, कट्टरपंथियों की बहुत बड़ी आवाजाही इस बॉर्डर के माध्‍यम से भारत के पूर्वोत्तर राज्‍यों में देखने को मिली है. इसे ध्‍यान में रखते हुए भारत सरकार ने करीब 3200 किमी लंबे बॉर्डर पर फेंसिंग की. इसके जरिये कोशिश की गई कि आतंकवाद, कट्टरपंथियों और उग्रवादियों को रोका जाए.  

उन्‍होंने कहा कि अवैध गतिवधियों जैसे ड्रग्‍स की तस्‍करी, मानव तस्‍करी, करेंसी रैकेट दोनों देशों के बीच चल रहा था. उसे रेगुलेट करके बंद करने का प्रयास किया गया. 

बांग्‍लादेश को फेंसिंग से आखिर दिक्‍कत क्‍या है?

उन्‍होंने कहा कि मोहम्‍मद यूनुस के पीछे जो ताकते हैं, वो कट्टरपंथी ताकते हैं. वो अपने बिजनेस को चलाने के लिए और  खुद को मजबूत करने के लिए इस तरह की अवैध गतिविधियों का सहारा लेते हैं और भारत के पूर्वोत्तर राज्‍यों को अस्थिर करने की उनकी मंशा है. 

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उन्‍होंने कहा कि 2001 से 2006 के बीच ऐसे बहुत से सबूत मिले हैं, जिनमें पाकिस्‍तान की आईएसआई का नाम सामने आया है. वह ताकतें एक बार फिर मजबूत हो गई हैं और वो नहीं चाहती है कि फेंसिंग की जाए. 


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