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असम में बिहार दिवस पर क्यों हो रही है राजनीति, विरोधियों को CM हिमंत बिस्वा सरमा ने दी यह नसीहत


नई दिल्ली:

पूर्वी असम के तिनसुकिया में कुछ स्थानीय बीजेपी नेता 22 मार्च को बिहार दिवस मनाना चाहते हैं. इसका वहां के कुछ संगठन विरोध कर रहे हैं. बिहार दिवस कार्यक्रम का विरोध करने वालों में प्रतिबंधित संगठन उल्फा (आई) भी शामिल है. उसने इसके गंभीर नतीजे भुगतने की चेतावनी दी है. उसने इसे असम की संस्कृति और विरासत पर हमला बताया है. उल्फा (आई) के अलावा कुछ छोटे-छोटे संगठनों ने भी इस आयोजन का विरोध किया है. इस विरोध का असम के मुख्यमंत्री हेमंत विश्व सरमा ने आलोचना की है. उनका कहना है कि इस तरह से असमियां युवाओं के कल्याण को खतरे में डाला जा रहा है. 

कहां मनाया जाना है बिहार दिवस 

दरअसल पूर्वी असम के तिनसुकिया में बिहारी मूल के लोगों की आबादी ठीक-ठीक है. वहां के कुछ स्थानीय बीजेपी नेता 22 मार्च को बिहार दिवस पर एक कार्यक्रम आयोजित करना चाहते हैं. इसकी खबर सामने आने के बाद उल्फा (आई) ने एक बयान जारी किया. इसमें कहा गया है कि यह कार्यक्रम मूल निवासियों की संस्कृति, विरासत और गर्व पर हमला है. संगठन ने कहा है, “हम बाहरी लोगों द्वारा बिहार दिवस का उत्सव बर्दाश्त नहीं करेंगे.”

विरोध करने वालों का क्या कहना है

तिनसुकिया में बिहार दिवस के आयोजन का विरोध करने वाला उल्फा (आई) अकेला संगठन नहीं है. उसके अलावा ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन, अखिल गोगोई का रायजोर दल और असम जातीय परिषद (एजेपी) ने भी बिहार दिवस के आयोजन का विरोध किया है. एजेपी नेता लुर्निज्योति गोगोई ने कहा, “जब से बीजेपी सत्ता में आई है, वह लगातार असम पर बिहार और उत्तर प्रदेश की भाषा और संस्कृति थोपने की कोशिश कर रही है. यह बीजेपी-आरएसएस के ‘एक राष्ट्र, एक भाषा, एक धर्म’ के एजेंडे का हिस्सा है. इसके लिए सरकार हिंदी भाषा और संस्कृति का विस्तार करने और असमिया भाषा और परंपराओं को कमजोर करने के लिए काम कर रही है.”

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वहीं  रायजोर दल के नेता और शिवसागर से विधायक अखिल गोगोई ने कहा कि असम में बिहार दिवस मनाने का कोई कारण नहीं है. बिहार में असम दिवस नहीं मनाया जाता, वह भी जिलों में.” उन्होंने इसे अगले साल होने वाले असम विधानसभा चुनावों में हिंदी भाषी आबादी के वोट हासिल करने की कोशिश बताया. 

मुख्यमंत्री ने विरोधियों से क्या कहा है

वहीं मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने बिहार दिवस के आयोजन का विरोध करने वालों की आलोचना की है. उनका कहना है कि वे देश के विभिन्न हिस्सों में काम करने वाले असमिया युवाओं के कल्याण को खतरे में डाल रहे हैं. उन्होंने पूछा कि अगर असम से यह संदेश जाता है कि हम बिहारियों के खिलाफ हैं, मारवाड़ियों के खिलाफ हैं, गुजरातियों के खिलाफ हैं, तमिलों के खिलाफ हैं तो असम के युवा राज्य के बाहर कैसे रोजगार पाएंगे?” उन्होंने कहा कि दो दिसंबर को देश भर में असम दिवस भी मनाया जाता है. 

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