रूस में मोदी, टेंशन में क्यों अमेरिका? क्या भारत की विदेश नीति फेर रही उनके मंसूबों पर पानी

चीन पर आश्रित हो रही रूस की अर्थव्यवस्था!
ग़ौरतलब है कि जहां यूक्रेन से अबाध अनाज निर्यात की ज़रूरत इसमें झलकती है, वहीं रूस के तेल और फर्टिलाइज़र की भी. रूसी हमलों की वजह से यूक्रेन से अनाज आपूर्ति पर जहां असर पड़ा है, वहीं प्रतिबंधों की वजह से रूस के अनाज के साथ-साथ तेल और फर्टिलाइज़र के निर्यात पर भी असर पड़ा है. इससे रूस की अर्थव्यवस्था पर भी ख़राब असर हुआ है और वह बहुत हद तक चीन पर आश्रित होता चला गया है. ये भी ठीक बात नहीं है.
तेल आपूर्ति के लिए भारत ने रूस को दिया धन्यवाद
पीएम मोदी ने रूसी तेल का ज़िक्र करते हुए राष्ट्रपति पुतिन का आभार भी व्यक्त किया. रूस के तेल से भारत में तेल की क़ीमतों को स्थिर रखने में तो मदद मिली ही है, दुनिया के कई देश भी रूसी तेल का फ़ायदा उठा रहे हैं. ऐसे भी देश जिसने रूसी तेल पर प्रतिबंध लगा रखा है, लेकिन कच्चे रूसी तेल से भारत में बनने वाले पेट्रोलियम प्रोडक्ट का वे भी लाभ उठा रहे हैं. पीएम मोदी ने इशारे-इशारे में इसका भी ज़िक्र कर दिया और कह दिया कि कैसे रूस के तेल ने कई देशों की अर्थव्यवस्था को सहारा दिया है.

भारत-रूस के बीच व्यापार को 100 बिलियन का करने का लक्ष्य
विदेश सचिव ने कहा कि भारत और रूस के बीच जो 65 बिलियन डॉलर का व्यापार है उसे 100 बिलियन का करने का लक्ष्य रखा गया है. व्यापार के बास्केट को बढ़ाने और व्यापार के असंतुलन को कम करने की कोशिश भी हो रही है. रुपये-रूबल में व्यापार हो रहा है, बेशक रूस भारतीय रुपयों का अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में इस्तेमाल न कर पा रहा हो और वो भारतीय बैंको में हो, लेकिन एक विकल्प है कि रूस इसे भारत में ही निवेश के काम ला सकता है.
कुल मिलाकर भारत-रूस अपने संबंधों को लेकर अपनी गति से आगे बढ़ रहे हैं. बेशक अमेरिका और पश्चिम के देश असहज हो रहे हों, लेकिन भारत सिर्फ़ किसी एक पक्ष के साथ न दिखा है न दिखेगा.