देश के नए CJI को क्यों नहीं मिल रहा अमृतसर में 'मिसिंग' हुआ अपना घर, पढ़िए इसके पीछे की पूरी कहानी
CJI संजीव खन्ना अमृतसर में नहीं ढूंढ़ पाते हैं अपना पुराना घर
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना ने देश के नए न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ ले ली है. उन्होंने पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की जगह ली है. डीवाई चंद्रचड़ 10 नवंबर को रिटायर हो चुके हैं. संजीव खन्ना के निजी जीवन से लेकर सुप्रीम कोर्ट के जज बनने तक कई ऐसी बातें है जो आम लोगों को पता है लेकिन उनसे जुड़ी एक बात ऐसी है जो शायद ही किसी को पता है. ये बात CJI खन्ना के घर से जुड़ी हुई है. दरअसल, CJI खन्ना आज भी अपने अमृतसर के घर को तलाशते हैं जो उनको नहीं मिलता.ये घर उनके ‘बाऊजी’ यानी दादाजी ने खरीदा था. CJI के करीबी सूत्रों ने बताया कि अब भी जब कभी CJI खन्ना अमृतसर जाते हैं तो वो कटरा शेर सिंह जरूर जाते हैं .यहां वो अपने दादाजी सरव दयाल के घर को पहचानने की कोशिश करते हैं लेकिन सालों बीत जाने के बाद वो इलाका और घर पूरी तरह बदल चुके है.
सूत्रों के मुताबिक CJI खन्ना के दादाजी और लीजेंडरी जस्टिस एच आर खन्ना के पिता सरव दयाल उस जमाने में मशहूर वकील थे.1919 के जलियांवाला बाग कांड के लिए गठित कांग्रेस की कमेटी में वो शामिल थे. उस जमाने में उन्होंने दो घर खरीदे थे.एक अमृतसर के कटरा शेर सिंह में और दूसरा हिमाचल के डलहौजी में.
बताया गया है कि 1947 में आजादी के समय उनके कटरा शेर सिंह के घर में तोड़फोड़ और आगजनी हो गई थी.हालांकि बाद में दादाजी ने फिर से ठीक कराया जब CJI खन्ना पांच साल के थे तो एक बार अपने पिता देवराज खन्ना के साथ उस घर में गए थे जहां एक निशानी भी मिली थी. जिस पर ‘बाऊजी’ लिखा था. ये निशानी आज भी उनके डलहौजी के घर में रखी है.
सूत्रों के मुताबिक सर्व दयाल के निधन के बाद 1970 में अमृतसर के घर को बेच दिया गया. हालांकि CJI खन्ना को आज तक वो घर याद है.इसलिए जब भी वो अमृतसर जाते हैं तो जलियांवाला बाग के पास कटरा शेर सिंह जरूर जाते हैं और कोशिश करते हैं कि वो उस घर को पहचान सकें. लेकिन वो घर उनकी पहचान में नहीं आता क्योंकि अब पूरे इलाके का नक्शा ही बदल चुका है .हालांकि डलहौजी वाला घर आज भी उन्हीं के पास है.इसमें सालों से वो अपने परिवार के साथ छुट्टियां मनाने जाते हैं. CJI खन्ना हमेशा जिक्र करते हैं कि कैसे उनके बाऊजी कहते थे कि छुट्टियों में स्कूल की किताबें ना लाएं क्योंकि वो जो शिक्षा देंगे वो किताबों में भी नहीं मिलेगी.