ईरान की जामकरन मस्जिद पर क्यों फहरा रहा लाल झंडा? जानिए पहले कब-कब ऐसा हुआ
नई दिल्ली:
ईरान इज़राइल से बदला लेने के लिए सैन्य तैयारी कर रहा है. ईरान ने इजरायल को कड़ा संदेश भी दिया है, साथ ही साथ उसने एक बहुत ही प्रतीकात्मक संदेश भी दिया है. हमास चीफ़ के मारे जाने के बाद ही उसने शियाओं के पवित्र शहर क़ौअम की जमकरान मस्जिद पर ख़ून के रंग का लाल झंडा फहरा दिया है. जमकरान मस्जिद पर ख़ून के रंग का लाल झंडा फ़हराने का ख़ास मतलब है. मतलब ये कि घोर अन्याय कर ख़ून बहाया गया है और जिसका ख़ून बहाया गया है, उसके खून का बदला लिया जाएगा.
ईरान को गहरी चोट लगी है
इस तरह से लाल झंडा जब लगाया जाता है तो इसका मतलब हुआ कि ईरान को गहरी चोट लगी है. ईरान इस चोट की क्षतिपूर्ति बदला लेकर ही करेगा. जमकरान मस्जिद क़ौअम शहर में स्थित है. यह शहर ईरान का सातवां सबसे बड़ा शहर है जो तेहरान से 140 किलोमीटर दूर है. ये शिआओं का एक बहुत ही पवित्र स्थल है. और सैंकड़ों साल से जमकरान मस्जिद मुसालमानों की ईबादत की जगह रही है. महमूद अहमदिनेजाद के राष्ट्रपति काल में 10 मिलियन यूरो खर्च कर इस मस्जिद परिसर को आलीशान बनाया गया.
मुहर्रम के दिन फहरता है लाल झंडा
इस मस्जिद पर खून के रंग का लाल झंडा अमूमन मुहर्रम के दौरान फहराया जाता है जोकि हज़रत अली की कर्बला की जंग में शहादत की दुखद याद के तौर पर मनाया जाता है. इसके अलावा लाल झंडे को बहुत ही कम मौक़े पर फ़हराया जाता है. अधिकतर किसी आपदा के समय में ही लाल झंडा फहराया गया है. जैसे कि 2020 में जब ईरान के इलीट क़ुद्स फ़ोर्स के प्रमुख क़ासिम सुलेमानी को अमेरिकी हमले में मारा गया था, तब भी इस मस्जिद पर लाल झंडा फहराया गया था. इसके अलावा कोविड महामारी में जब ईरान में अत्यधिक मौत हुई उसके बाद भी ऐसा किया गया.
इस्माइल हानिया ईरान के अतिथि थे
तो अभी जिस तरह से हमास के राजनीतिक प्रमुख इस्माइल हानिया को ईरान की ज़मीन पर मारा गया, वो भी राजधानी तेहरान में मारा गया उससे ईरान आग बबूला है. जबकि हानिया ईरान के राजकीय अथिति के तौर पर बुलाए गए थे और नए राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण में हिस्सा लिया था. हमले के कुछ घंटे पहले ही हानिया की मुलाक़ात ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामनेई से भी हुई थी. और इसके बाद हानिया की हत्या ने ईरान को बौखला दिया है. ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई ईरान को इज़राइल पर सीधे हमले का आदेश दे चुके हैं.