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हिंडनबर्ग रिपोर्ट की जांच JPC से करवाना क्यों सही नहीं : जानें क्या बोले विशेषज्ञ


नई दिल्ली:

अमेरिकी शॉर्टसेलर हिंडनबर्ग द्वारा एक बार फिर भारतीय बाज़ारों को अस्थिर करने के लिए जारी की गई रिपोर्ट को शेयर बाज़ारों ने खारिज कर दिया, लेकिन विपक्षी दलों को फिर मुद्दा मिल गया, और वे शोरशराबा करते हुए SEBI प्रमुख के इस्तीफ़े और मामले की संयुक्त संसदीय समिति (JPC) से जांच करवाने की मांग करने लगे. एक तरफ जब सरकार हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को भारत को अस्थिर करने के लिए किया गया हमला करार दे रही है, उस वक्त JPC की मांग को कतई जायज़ नहीं ठहराया जा सकता.

जानें, क्यों गलत है JPC की मांग…

देश के पूर्व सॉलिसिटर जनरल तथा जाने-माने वकील हरीश साल्वे ने कहा है कि इस मामले में JPC जांच की मांग करना देश की सुप्रीम कोर्ट और स्वायत्त नियामक संस्था SEBI को नीचा दिखाने जैसा है. इस मामले में पिछले साल आई रिपोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट अपना फ़ैसला सुना चुका है, और SEBI ने भी जांच के बाद हिंडनबर्ग को नोटिस जारी किया था.

हरीश साल्वे ने The Hindkeshariसे एक्सक्लूसिव बातचीत में साफ़-साफ़ कहा कि हिंडनबर्ग रिसर्च के ताज़ा आरोप JPC जांच के लायक नहीं हैं. उनके मुताबिक, किसी भी मुद्दे की JPC से जांच करवाना भारतीय संसद के इतिहास में बेहद दुर्लभ घटना है, और तभी करवाई जाती रही है, जब राष्ट्रीय हित से जुड़ा कोई मुद्दा सामने होता है.

विपक्षी दलों के नैरेटिव पर कड़ी चोट करते हुए पूर्व सॉलिसिटर जनरल ने कहा, “JPC जांच पर ज़ोर देना सुप्रीम कोर्ट और SEBI जैसी नियामक संस्था के अधिकार को कमज़ोर करना है… हो सकता है, विपक्ष आने वाले दिनों में आरक्षण या चुनावी बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ JPC से जांच की मांग करने लगें…”

हरीश साल्वे के मुताबिक, “संसद इस काम के लिए नहीं है… कानून के कथित उल्लंघन के मामलों में सुप्रीम कोर्ट का आदेश अंतिम शब्द होता है… क्या संसद की कोई समिति सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों को नकार सकती है…”

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को सिरे से खारिज करते हुए उन्होंने कहा, “किसी भी अन्य मुल्क में होते, तो लोग कहते कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट कूड़ेदान में फेंकने लायक है… हिंडनबर्ग इस वक्त SEBI को डराने-धमकाने की कोशिश कर रहा है…”

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हरीश साल्वे ने विपक्षी नेताओं पर भी वार किया, और कहा, “भारत में मानहानि के लिए न्यायाधिकरण होना चाहिए, क्योंकि कल ऐसी संस्थाएं न्यायाधीशों को भी नहीं बख्शेंगी… यह ‘शर्मनाक’ है कि राजनेताओं का एक वर्ग हिंडनबर्ग को गंभीरता से ले रहा है… हमारे यहां लोग अनाप-शनाप आरोप लगाकर भी बच कैसे जाते हैं…? भारत में हम लोगों की इज़्ज़त की इज़्ज़त नहीं करते… लेकिन अब वक्त आ गया है कि हम भारतीय सभी की इज़्ज़त को गंभीरता से लेना शुरू कर दें…”

BJP ने भी कहा, JPC की मांग करना देश को नीचा दिखाने की कोशिश

भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने साफ़-साफ़ कहा, “इस मुद्दे पर JPC की मांग करना देश को नीचा दिखाने की कोशिश है… किसी भी बाहरी मुल्क में बैठे किसी भी शख्स ने किसी पर भी कोई भी आरोप लगाया हो, या देश को अस्थिर करने की कोशिश की हो, हमारे विपक्षी दल सच्चाई को जानने की कोशिश किए बिना JPC की मांग करने लगते हैं, जो जायज़ नहीं है, क्योंकि इस मामले में ऐसा करने से वे देश के निवेशकों और शेयर बाज़ारों को गलत साबित कर रहे हैं…”

रविशंकर प्रसाद ने आगे कहा, “लगता है, भारत के स्टॉक इन्वेस्टर, हिंडनबर्ग और कांग्रेस की मिलीभगत को समझ गए हैं… इस साज़िश का बाज़ार पर कोई असर नहीं पड़ा है… मैं निवेशकों को सैल्यूट करना चाहता हूं…” पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री ने यह भी दावा किया कि कांग्रेस ‘आर्थिक अराजकता’ और ‘भारत के ख़िलाफ़ नफ़रत’ पैदा करने में शामिल है.

किरीट सोमैया ने भी राहुल गांधी पर किया पलटवार

कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा मामले की जांच JPC से करवाए जाने की मांग पर BJP नेता किरीट सोमैया ने भी सोमवार को पलटवार करते हुए कहा, “मैं राहुल गांधी से पूछता हूं कि आपके सामने यह बात आने पर आप क्यों नहीं बोले कि हिंडनबर्ग की जांच SEBI कर रही है… मैं हिंडनबर्ग से पूछना चाहता हूं कि आपने नया खुलासा किया ही क्या है…? SEBI चेयरपर्सन पर आप आरोप लगा रहे हो, क्योंकि म्यूचुअल फ़ंड में निवेश किया गया है, लेकिन रिपोर्ट में इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि कहां इन्वेस्ट किया है, या कैसे इन्वेस्ट किया है…”

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BJP ने कहा, “SC कमेटी की जांच के बाद JPC की ज़रूरत नहीं…”

BJP प्रवक्ता आर.पी. सिंह ने कहा, “पिछले साल हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी कमेटी गठित की थी, और SEBI ने भी मामले की गहन जांच की थी… उस जांच में सब कुछ साफ़-साफ़ सामने आ ही चुका है, इसलिए अब JPC की मांग कतई व्यर्थ है…”

कांग्रेस, AAP और SP ने की JPC की मांग

गौरतलब है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद कांग्रेस ने 22 अगस्त को राष्ट्रव्यापी आंदोलन की चेतावनी देते हुए SEBI प्रमुख के इस्तीफ़े और हिंडनबर्ग के आरोपों की JPC से जांच करवाने की मांग की है. INDI गठबंधन में कांग्रेस की सहयोगी और दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी (AAP) ने भी JPC से पूरे मामले की जांच की मांग की है. इनके अलावा, समाजवादी पार्टी ने भी JPC की मांग को कतई जायज़ ठहराया है.

पिछले साल भी JPC मांग को व्यर्थ बताया था शरद पवार ने

पिछले साल भी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद कांग्रेस के नेतृत्व में ढेरों विपक्षी दलों ने खूब हंगामा कर JPC से जांच की मांग को ज़ोरशोर से उठाया था, लेकिन उस वक्त भी उन्हीं के वरिष्ठ सहयोगी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने इसे व्यर्थ करार दिया था.

शरद पवार ने उस वक्त The Hindkeshariके एडिटर-इन-चीफ़ संजय पुगलिया के साथ खास बातचीत में विपक्ष की JPC की मांग को लेकर साफ़-साफ़ कहा था, “JPC गठन से यह मामला नहीं सुलझेगा, सुप्रीम कोर्ट की कमेटी से सच्चाई देश के सामने आएगी… इस मामले में JPC की ज़रूरत नहीं है, इसका कोई महत्व नहीं है…”

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JPC की मांग कतई गैरज़रूरी : हरीश साल्वे

वरिष्ठ वकीलों ने भी पिछले साल JPC की मांग को कतई गैरज़रूरी करार दिया था. वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने पिछले साल मार्च में The Hindkeshariसे बातचीत में ही कहा था, “अदाणी समूह-हिंडनबर्ग रिसर्च मामले की जांच JPC से करवाने की कुछ विपक्षी पार्टियों की मांग ‘केवल सरकार को शर्मिन्दा करने के लिए’ है… छह विशेषज्ञों की समिति गठित करने का सुप्रीम कोर्ट का आदेश ज़्यादा बेहतर विकल्प है और यह जांच समयबद्ध होनी चाहिए, क्योंकि इससे निवेशकों का भरोसा जुड़ा है…”

JPC के गठन से सिर्फ़ ‘राजनीतिक झड़प’ को बढ़ावा मिलेगा : मुकुल रोहतगी

जाने-माने कानून विशेषज्ञ मुकुल रोहतगी ने तो चिंता जताई थी कि JPC के गठन से सिर्फ़ ‘राजनीतिक झड़प’ को बढ़ावा मिलेगा. The Hindkeshariके साथ खास बातचीत के दौरान मुकुल रोहतगी ने कहा था, “JPC गठित करने के मुद्दे को राजनीतिक विवाद बनाने के स्थान पर यह देखना ज़्यादा ज़रूरी और फ़ायदेमंद है कि हमारी व्यवस्था में क्या खामियां हैं और उन्हें कैसे दूर किया जाए…”

(Disclaimer: New Delhi Television is a subsidiary of AMG Media Networks Limited, an Adani Group Company.)


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