पीएम मोदी की मॉरीशस यात्रा क्यों रही खास? जानिए दोनों देशों के बीच कौन से समझौते हुए

PM Modi’s Mauritius Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा के दौरान भारत और मॉरीशस ने आठ समझौतों पर हस्ताक्षर किए.
PM Modi’s Mauritius Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मॉरीशस की दो दिवसीय यात्रा के बाद बुधवार को नयी दिल्ली के लिए रवाना हो गए. प्रधानमंत्री मोदी मंगलवार से मॉरीशस की दो दिवसीय यात्रा पर गए थे, जहां उन्हें देश के सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मॉरीशस के सर्वोच्च सम्मान ‘द ग्रांड कमांडर ऑफ ऑर्डर ऑफ स्टार एंड की ऑफ इंडियन ओशन’ से सम्मानित किया गया. इससे पहले, भारत और मॉरीशस ने अपने संबंधों का विस्तार करते हुए इसे ‘विस्तारित रणनीतिक साझेदारी’ के स्तर तक पहुंचाया और व्यापार एवं समुद्री सुरक्षा सहित कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए आठ समझौतों पर हस्ताक्षर किए. वहीं, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘ग्लोबल साउथ’ के विकास के लिए एक महत्वाकांक्षी दृष्टिकोण की घोषणा की. हस्ताक्षरित समझौतों में सीमा पार लेनदेन के लिए राष्ट्रीय मुद्राओं के उपयोग को बढ़ावा देना, समुद्री डाटा साझा करना, धनशोधन से निपटने में संयुक्त कार्य और एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) क्षेत्र में सहयोग बढ़ाना शामिल हैं.
- मॉरीशस के अपने समकक्ष नवीनचंद्र रामगुलाम के साथ वार्ता के बाद पीएम मोदी ने ‘ग्लोबल साउथ’ के लिए भारत के नए दृष्टिकोण की घोषणा की और इसे ‘‘महासागर” या ‘‘क्षेत्रों में सुरक्षा एवं विकास के लिए पारस्परिक और समग्र उन्नति (म्यूचुअल एंड होलिस्टिक एडवांस्मेंट फॉर सिक्योरिटी एंड ग्रोथ एक्रॉस रीजन्स) नाम दिया. यह नीतिगत दृष्टिकोण हिंद महासागर में अपने प्रभाव का विस्तार करने के चीन के अथक प्रयासों की पृष्ठभूमि में आया है.
- मोदी ने कहा कि एक स्वतंत्र, मुक्त, सुरक्षित और संरक्षित हिंद महासागर भारत और मॉरीशस की साझा प्राथमिकता है. उन्होंने और रामगुलाम ने इस बात पर सहमति जताई कि रक्षा सहयोग एवं समुद्री सुरक्षा दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. प्रधानमंत्री ने अपने मीडिया वक्तव्य में कहा, ‘‘हम मॉरीशस के विशेष आर्थिक क्षेत्र की सुरक्षा में पूर्ण सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध हैं.”
- नए दृष्टिकोण की घोषणा प्रधानमंत्री द्वारा 2015 में मॉरीशस की यात्रा के दौरान नयी दिल्ली की ‘सागर’ या ‘‘क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास” (सिक्योरिटी एंड ग्रोथ फॉर ऑल इन द रीजन्स) की घोषणा के 10 साल बाद हुई, जिसने हिंद महासागर क्षेत्र के साथ भारत की भागीदारी के लिए आधार बनाया.
- प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘हमारा दृष्टिकोण विकास के लिए व्यापार की भावना, सतत उन्नति के लिए दक्षता विकास और साझा भविष्य के लिए आपसी सुरक्षा पर केंद्रित है. इसके तहत प्रौद्योगिकी साझाकरण, रियायती ऋण और अनुदान के माध्यम से सहयोग सुनिश्चित किया जाएगा.”
- प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत मॉरीशस में नए संसद भवन के निर्माण में सहयोग करेगा और यह ‘लोकतंत्र की जननी’ की ओर से मॉरीशस के लिए एक उपहार होगा. दोनों देशों के बीच रणनीतिक सहयोग पर चर्चा करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि मॉरीशस को उसके तटरक्षक बल की जरूरतों को पूरा करने में हरसंभव मदद प्रदान की जाएगी तथा भारत देश में एक पुलिस अकादमी एवं राष्ट्रीय समुद्री सूचना साझाकरण केंद्र की स्थापना में सहायता करेगा. उन्होंने कहा, ‘‘श्वेत नौवहन, नीली अर्थव्यवस्था और जल विज्ञान पर सहयोग को मजबूत किया जाएगा. हम चागोस द्वीपसमूह विवाद के संदर्भ में मॉरीशस की संप्रभुता का पूरा सम्मान करते हैं.”
- वर्ष 1965 में मॉरीशस को आजाद करने के बाद ब्रिटेन ने हिंद महासागर में मौजूद चागोस द्वीपसमूह को मॉरीशस से अलग कर दिया था. हालांकि, मॉरीशस आज भी इस द्वीप पर अपना अधिकार जताता है.
- भारत हिंद महासागर में चागोस द्वीपसमूह पर ब्रिटेन के साथ पारस्परिक रूप से लाभकारी समझौते तक पहुंचने के मॉरीशस के प्रयासों का समर्थन करता रहा है.
- पिछले साल अक्टूबर में ब्रिटेन ने एक ऐतिहासिक समझौते के तहत आधी सदी से अधिक समय के बाद चागोस द्वीपसमूह की संप्रभुता मॉरीशस को सौंपने के अपने फैसले की घोषणा की.
- मॉरीशस के पूर्व प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ के कार्यकाल के दौरान हुए इस समझौते के तहत ब्रिटेन चागोस द्वीपसमूह पर अपनी संप्रभुता का त्याग कर देगा, लेकिन सबसे बड़े द्वीप डिएगो गार्सिया पर ब्रिटेन-अमेरिका सैन्य एयरबेस को लेकर 99 साल का पट्टा बनाए रखेगा.
- हालांकि, रामगुलाम के नेतृत्व वाली मॉरीशस की नयी सरकार ने चागोस द्वीपसमूह पर ब्रिटेन के साथ बातचीत फिर से शुरू करने की मांग की और समझौते पर फिर से विचार करने की मांग की.
- अपने संबोधन में मोदी ने कहा कि उन्होंने और रामगुलाम ने भारत-मॉरीशस संबंधों को ‘‘विस्तार देते हुए इसे विस्तारित रणनीतिक साझेदारी” का दर्जा देने का फैसला किया है. उन्होंने कहा, ‘‘हम आर्थिक और सामाजिक प्रगति के पथ पर एक-दूसरे के साझेदार हैं. चाहे प्राकृतिक आपदा हो या कोविड-19 महामारी जैसी आपदा, हमने हमेशा एक-दूसरे का साथ दिया है.”
- प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘चाहे रक्षा हो या शिक्षा, स्वास्थ्य हो या अंतरिक्ष, हम हर क्षेत्र में कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं. पिछले 10 वर्षों में हमने अपने संबंधों में कई नए आयाम जोड़े हैं. हमने विकास सहयोग और दक्षता विकास में नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं.”
- प्रधानमंत्री ने भारत की सहायता से मॉरीशस में क्रियान्वित की जाने वाली कई विकास परियोजनाओं की भी घोषणा की. उन्होंने कहा कि 100 किलोमीटर लंबी जल पाइपलाइन के आधुनिकीकरण का काम किया जाएगा. प्रधानमंत्री ने कहा कि सामुदायिक विकास परियोजनाओं के दूसरे चरण में 50 करोड़ मॉरीशस रुपये की नयी परियोजनाएं शुरू की जाएंगी. हम स्थानीय मुद्राओं में आपसी व्यापार करने पर भी सहमत हुए हैं. उन्होंने मॉरीशस में भारत से सहायता प्राप्त विभिन्न परियोजनाओं का भी उल्लेख किया, जिनमें ‘‘मॉरीशस में गति के लिए मेट्रो एक्सप्रेस, न्याय के लिए सर्वोच्च न्यायालय भवन, बेहतर आवास के लिए सामाजिक आवास, अच्छे स्वास्थ्य के लिए ईएनटी अस्पताल, व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ‘यूपीआई’ (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) और रुपे कार्ड शामिल हैं.
- मोदी और रामगुलाम ने मॉरीशस को ‘‘अटल बिहारी वाजपेयी लोक सेवा एवं नवाचार संस्थान” भी समर्पित किया. प्रधानमंत्री ने दोनों देशों के लोगों के बीच आपसी संबंधों पर भी बात की. मोदी ने कहा, ‘‘हम एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) और डीपीआई के उपयोग के लिए मिलकर काम करेंगे, जो मानव विकास में डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना है. मॉरीशस के लोगों के लिए भारत में चार धाम यात्रा और रामायण यात्रा के लिए सुविधाएं प्रदान की जाएंगी.”
- पश्चिमी हिंद महासागर में स्थित द्वीपीय राष्ट्र मॉरीशस के साथ भारत के घनिष्ठ और दीर्घकालिक संबंध हैं. विशेष संबंधों का एक प्रमुख कारण यह तथ्य है कि इस द्वीपीय देश की 12 लाख की आबादी में लगभग 70 प्रतिशत भारतीय मूल के लोग हैं. भारत 2005 से मॉरीशस के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में से एक रहा है.