बिना बैग के स्कूल चले हम! NCERT ने क्यों की बैगलेस 10 डेज की सिफारिश, समझें क्या है शिक्षा मंत्रालय का प्लान?
नई दिल्ली:
बच्चे और टीचर्स स्कूल में औसतन 6 घंटे और साल में करीब हजार घंटे समय बिताते हैं. नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) की अब सोच है कि स्कूली शिक्षा (School Education) के साथ बच्चों को दुनिया का अनुभव दिया जाए. उन्हें पढ़ाई के साथ-साथ कुछ ऐसी स्किल्स सिखाई जाए, जो जिंदगी में आगे जाकर उनके काम आ सके. इसी विचार के लिए शिक्षा मंत्रालय (Education Ministry) ने अब बच्चों को बिना बस्ते के साल में 10 दिन स्कूल आने की पहल की है.
NCERT की सिफारिशों पर शिक्षा मंत्रालय ने सोमवार को एक गाइडलाइंस भी जारी की है. इसमें 6वीं से 8वीं क्लास के बच्चों को साल में 10 दिन पढ़ाई के अलावा पर्सनालिटी ग्रूमिंग और स्किल्स डेवलपमेंट से जुड़ी एक्टिविटी से जोड़ा जाएगा. नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के अमल के 4 साल पूरे होने के मौके पर शिक्षा मंत्रालय ने यह कदम उठाया है. इसका उद्देश्य बच्चों को पढ़ाई के बोझ से राहत देना है.
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क्या है 10 बैगलेस डेज का मकसद?
NCERT की वोकेशनल एजुकेशन बॉडी पंडित सुंदरलाल शर्मा सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ वोकेशनल एजुकेशन ने ये सिफारिशें की हैं.
NCERT की 10 बैगलेस डेज की सिफारिशों का मकसद है कि बच्चों को छोटी उम्र से ही प्रैक्टिकल ट्रेनिंग और प्रैक्टिकल नॉलेज की तरफ झुकाया जा सके. बच्चों में शुरुआत से ही क्लासरूम और सिलेबस से इतर जाकर पढ़ने और सोचने की क्षमता बढ़ाई जा सके. उनकी फील्ड वर्क और प्रैक्टिकल नॉलेज में दिलचस्पी बढ़े. बच्चों में रटने की बजाय सीखने की इच्छा को बढ़ाया जा सके.
क्या है शिक्षा मंत्रालय की गाइडलाइंस
-केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने 6-8 क्लास तक के छात्रों के लिए जारी की गई गाइडलाइंस में कहा है कि हर स्कूल को 10 Bagless Days को अनिवार्य तौर पर मानना होगा.
-गाइडलाइंस के मुताबिक, इनडोर और आउटडोर एक्टिविटीज के तमाम ऑप्शन दिए गए हैं. हर स्कूल अपने एनुअल एकेडमिक कैलेंडर में सुविधा के हिसाब से 10 बैगलेस डेज प्लान को शामिल कर सकते हैं.
-गाइलाइंस में सभी स्कूलों को सलाह दी गई है कि वो अपने एनुअल कैलेंडर में साल में दो बार यानी 5-5 दिन तय करे, जब छात्रों को बिना बैग के स्कूल बुलाया जाएगा.
-नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 में सिफारिश की गई है कि बैगलेस डेज के समय बच्चों को लोकल आर्टिस्ट से मिलवाया जाए. उनको ऐतिहासिक स्मारकों पर लेकर जाया जाए. बच्चों को क्लासरूम से बाहर की दुनिया से रूबरू करवाया जाए.
-गाइडलाइंस के मुताबिक, 10 बैगलेस डेज में स्कूल का माहौल पूरी तरह से फन मोड में कन्वर्ट किया जाएगा.
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10 दिन क्या करेंगे बच्चे?
-10 बैगलेस डे यानी बिना बैग के 10 दिनों में बच्चे स्कूल में क्लास के बाहर की दुनिया का अनुभव हासिल करेंगे.
-इस दौरान बच्चों को चिड़ियों, पौधों, पानी और मिट्टी से रूबरू करवाया जाएगा.
-10 दिनों में बच्चों को लकड़ी का काम, मिट्टी के बर्तन बनाने काम काम, कागज से कई तरह की चीजें बनाने का काम सिखाया जाएगा.
-बच्चों को बागवानी के बारे में बताया जाएगा. तरह-तरह के फूलों के बारे में समझाया जाएगा.
-बच्चों को सोलर एनर्जी, बायो गैस प्लांट दिखाए जाएंगे. उन्हें ग्रीन एनर्जी और रिन्यूएबल एनर्जी के बारे में बताया जाएगा.
-बच्चों को पोस्ट ऑफिस, बैंक, नेशनल पार्क, एजुकेशनल टूर, फील्ड विजिट, महिला पुलिस स्टेशन, सरकारी दफ्तर, यूनिवर्सिटी- कॉलेज समेत कई जगहों पर फील्ड विजिट पर ले जाया सकता है.
-बच्चों को म्यूजियम और आर्कियोलॉजिकल साइट, मल्टी आर्ट सेंटर, कंस्ट्रक्शन साइट, चैरिटी विजिट पर भी ले जाया जा सकता है.
-नेशनल एक्सप्लोरेशन के लिए बच्चों को हाईकिंग, बर्ड वॉचिंग, माउंटेन बाइकिंग कराई जाएगी.
-आर्ट एंड क्राफ्ट के तहत बच्चों को बेस्ट आउट ऑफ वेस्ट यानी कचरे से सामान बनाना, डूडलिंग करना, स्क्रैपबुक बनाना, बंबू क्राफ्टिंग करना सिखाया जाएगा.
-बच्चे एजुकेशनल गेम्स खेलेंगे या क्विज में हिस्सा लेंगे. उन्हें म्यूजिक और कल्चरल एक्टिविटी भी सिखाई जाएगी.
-बच्चों को रोबोटिक्स, AI और नेटवर्किंग के बारे में बताया जाएगा.
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टीचर्स का भी बढ़ेगा रोल
-NCERT की सिफारिशें लागू होने के बाद टीचर्स की जिम्मेदारी बढ़ेगी. उन्हें देखना होगा कि बच्चों को कैसे इंगेज रखना है.
-टीचरों को यह भी देखना होगा कि बच्चों सिलेबस के साथ-साथ अपनी मनपसंद एक्टिविटी में कैसे अच्छा करें.
-कोई खास एक्टिविटी दिए जाने पर बच्चे उसे कैसे दिलचस्प तरीके से पूरा करते हैं, इसका भी रिकॉर्ड रखना होगा.
-खेल-खेल में पढ़ाई कराने का ये तरीका बच्चों के लिए मजेदार हो सकता है. लिहाजा टीचरों को भी फिजिकली उतना ही एक्टिव दिखाना होगा.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?
NCERT की नई सिफारिशों को लेकर The Hindkeshariने शिक्षाविदों और एक्सपर्ट्स से बात की. प्रोफेसर अनिता रामपाल ने बताया, “10 बैगलेस डेज वाली बात पहले भी थी. अब इसे SUPW (Socially Useful Productive Work) कहे या कुछ और… लेकिन चीजें स्कूलों में पहले से थीं. पहले की किताबें उठाकर देखिए… ये सब सिलेबस में इंटिग्रेटेड थी. NCERT की सिफारिशों में लक्ष्य को थोड़ा हाइलाइट किया गया है. गाइडलाइंस में लिखा है कि हम समाज के हर वर्ग को समझें. ऊंच-नीच की भावना से ऊपर उठकर काम करें. लेकिन 10 बैगलेस डेज को फन कोर्स कहना कुछ सही नहीं लगता. इससे संदेह होता है कि इन 10 दिनों में हम सिर्फ एक टूरिस्ट की तरह चीजों को देख रहे हैं.”
शिक्षाविद डॉ. प्रियदर्शी नायक ने कहा, “ये सिर्फ हमारे देश के बच्चों की बात नहीं है. ये विश्व के बच्चों की बात है. स्कूल एजुकेशन के साथ-साथ स्किल एजुकेशन भी बहुत जरूरी है. पीएम मोदी भी इस बात पर जोर देते हैं कि हमें स्किल एजुकेशन और वोकेशनल एजुकेशन पर ज्यादा जोर देना चाहिए. बच्चों को किताबी ज्ञान के अलावा दूसरे स्किल्स भी सिखाने चाहिए. उम्मीद है कि NCERT की नई सिफारिशों से इस दिशा में कुछ अच्छा काम होगा.”
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