सामान्य जेल क्यों… अवैध प्रवासियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पूछा पश्चिम बंगाल सरकार से सवाल
![](https://i0.wp.com/thehindkeshari.in/wp-content/uploads/2025/02/gdemneb8_supreme-court_625x300_04_February_25.jpg?fit=1200%2C738&ssl=1)
अवैध रूप से रह रहे विदेशियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पश्चिम बंगाल सरकार (West Bengal Government) पर सवाल उठाया है. अवैध प्रवासियों को हिरासत केंद्र में रखने के बजाए सामान्य जेल में रखने पर सवाल पूछा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपके पास सुधार गृह या हिरासत केंद्र क्यों नहीं हैं? किसी व्यक्ति को दोषी ठहराए जाने के बाद भी वह पूरी सजा काट लेता है. फिर भी आप उसे जेल में रखते हैं? आप ऐसा कैसे कर सकते हैं? क्या राज्य इतना गरीब है कि उसके पास सुधार गृह या हिरासत केंद्र नहीं है?
इसी के साथ ही देश में अवैध बांग्लादेशी अप्रवासियों की अनिश्चितकालीन हिरासत के मुद्दे को उठाने वाली याचिका पर शीर्ष अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर निराशा व्यक्त की कि अवैध अप्रवासियों को सजा पूरी करने के बाद भी जेलों में कठोर सजा भुगतनी पड़ रही है. आपके लिए जेल परिसर के बाहर ‘सुधार गृह’ का बोर्ड लगाना बहुत आसान है, लेकिन फिर भी यह जेल ही रहता है और जेल का मतलब है कि आप उसे बाहर घूमने नहीं देते. बाजार में टहलने नहीं देते. उसे सूर्यास्त तक वापस आने के लिए कहते हैं और फिर आप उसे फिर से जेल में डाल देते हैं. सुधार गृहों में शायद कुछ स्वतंत्रता हो, वे एक प्रतिबंधित क्षेत्र में घूमते हैं, जो निर्धारित है.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से यह भी सवाल किया कि अवैध अप्रवासियों की राष्ट्रीयता का पता लगाने की आवश्यकता क्यों है, जिन देशों में उन्हें निर्वासित किया जाना है, जबकि उनके खिलाफ सटीक आरोप यह है कि वे उस देश के नागरिक होते हुए भी अवैध रूप से भारत में प्रवेश कर गए हैं . जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ 2013 के एक मामले पर विचार कर रही थी, जिसे कलकत्ता उच्च न्यायालय से स्थानांतरित किया गया था.
2011 में याचिकाकर्ता ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र लिखा, जिसमें बांग्लादेश से अवैध अप्रवासियों की दुर्दशा पर प्रकाश डाला गया, जिन्हें विदेशी अधिनियम के तहत अपराध के लिए दोषी ठहराए जाने के बाद सुधार गृहों में सीमित रखा जा रहा है. पत्र में बताया गया कि अप्रवासियों को सजा काटने के बाद भी उनके अपने देश में निर्वासित करने के बजाय पश्चिम बंगाल राज्य के सुधार गृहों में हिरासत में रखा जा रहा है.