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"लाइन में गोलियों से भून डाला"… सीरिया में अपने सैकड़ों नागरिकों की हत्या क्यों कर रही सरकार?

सत्ता परिवर्तन. बदले की आग. हिंसा का एक और दौर…  सीरिया की जमीं फिर खून से सनी जा रही है. अपने ही नागरिकों के खून से. 6 मार्च से 10 मार्च के बीच ही कम से कम 973 नागरिकों की हत्या कर दी गई है. एक खास अल्पसंख्यक समुदाय, अलावी को निशाना बनाया जा रहा. इन हत्याओं का आरोप भी किसपर लगा? खुद सुरक्षाकर्मियों और सरकार समर्थक लड़ाकों पर. 

सवाल है कि एक देश की सेना अपने ही नागरिकों की हत्या क्यों कर रही है? कैसे ये हत्याएं वहां हुए सत्तापरिवर्तन से जुड़ीं हुई हैं? आखिर अलावी अल्पसंख्यकों के खात्मे पर सीरिया की नई सरकार तुली क्यों दिख रही है? यह सब आपको इस एक्सप्लेनर में बताएंगे. पहले प्वाइंट में आपको इससे जुड़े अपडेट बताते हैं.

  • सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स वॉर मॉनिटर ने कहा कि 6 मार्च से 10 मार्च के बीच अलावी अल्पसंख्यक समुदाय जिन तटीय क्षेत्र में रहते हैं, वहां सुरक्षाकर्मियों या सरकार समर्थक लड़ाकों ने “जातीय सफाई अभियानों” में 973 नागरिकों की हत्या कर दी है. लड़ाई में सुरक्षा बलों के 231 सदस्य और 250 असद समर्थक लड़ाके भी मारे गए हैं.
  • UN राइट्स के प्रमुख वोल्कर तुर्क ने कहा है कि ये हत्याएं “तुरंत बंद होनी चाहिए”. अरब लीग, संयुक्त राष्ट्र, संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन और अन्य सरकारों ने हिंसा की निंदा की है.
  • आलोचनाओं के बीच सीरिया के नए नेता अहमद अल-शरा ने अलावी नागरिकों की सामूहिक हत्याओं की जवाबदेही तय करने और जांच कराने की कसम खाई है.

सीरिया में हिंसा क्यों हो रही है?

1971 से सीरिया में अल-असद परिवार का कंट्रोल था जो दिसंबर 2024 में जाकर खत्म हुआ. बशर अल-असद को सत्ता से हटाकर अहमद अल-शरा ने अंतरिम सरकार बनाई है. सीरिया में कई लोगों का मानना ​​है कि भले वहां सुन्नी बहुसंख्यक हैं, लेकिन इन 5 दशकों में सत्ता और संसाधन अल्पसंख्यक समुदाय- अलावी के हाथों में केंद्रित थी. अल-असद परिवार इसी समुदाय से आता है. 

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2000 में पिता हाफिज अल-असल की मौत के बाद बशर अल-असद को कंट्रोल मिला था. सत्ता में आने के बाद, बशर अल-असद ने भले अर्थव्यवस्था को खोला, लेकिन इसका फायदा काफी हद तक कुलीन वर्ग तक ही सीमित रहा. जब महंगाई और बेरोजगारी बढ़ी तो शुरू में शांतिपूर्ण दिखने वाला विरोध हिंसा में बदलने लगा. बशर अल-असद की सरकार ने प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई की और आंदोलन जल्द ही हिंसक गृहयुद्ध में बदल गया.

दिसंबर 2024 में जाकर सीरिया में सत्तापरिवर्तन हुआ और बशर अल-असद को सीरिया छोड़कर भागना पड़ा. अहमद अल-शरा के नेतृत्व वाले इस्लामी समूह हयात तहरीर अल-शाम ने असद को सत्ता से उखाड़ फेंका है. इस समूह की जड़ें अल-कायदा की सीरियाई शाखा में हैं. इसे अभी भी अमेरिका और कई पश्चिमी सरकारों ने आतंकवादी संगठन के रूप में लिस्ट कर रखा है.

अब बशर अल-असद के वफादार लड़ाकों की टक्कर नई सरकार के सुरक्षाकर्मियों और हयात तहरीर अल-शाम के लड़ाकों से हो रही है. सुरक्षाकर्मियों और हयात तहरीर अल-शाम के लड़ाकों ने उन क्षेत्रों को निशाना बनाया है जहां अलावी समुदाय के लोग रहते हैं. खून-खराबा बेहिसाब हो रहा है और अलावी समुदाय इससे सबसे अधिक प्रभावित हुआ है.

सीरिया की नई सरकार के सुरक्षाकर्मियों पर ही हिंसा के आरोप हैं
Photo Credit: एएफपी

अलावी कौन हैं?

सीरिया में अलावी एक धार्मिक अल्पसंख्यक हैं. सीरिया की कुल आबादी में इनका हिस्सा लगभग 12 प्रतिशत है. शिया इस्लाम से निकले इस समुदाय की अलग-अलग मान्यताएं और रीति-रिवाज हैं. ऐतिहासिक रूप से, अलावी सीरिया के तटीय क्षेत्रों में केंद्रित रहे हैं, खासकर लताकिया और टार्टस प्रांतों में.

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अलावी समुदाय को निशाना क्यों बनाया जा रहा?

असद परिवार अलावी समुदाय से जुड़ा है. इस परिवार के 5 दशक के शासन के दौरान, अलावी समुदाय के लोगों ने सेना और सरकार में महत्वपूर्ण पदों पर कब्जा कर लिया था. इसे अल्पसंख्यकों के कब्जे के रूप में देखा गया.

अब असद के सत्ता से बेदखल होने के बाद, हथियारबंद सुन्नी गुटों ने, जो कथित तौर पर नई सरकार के प्रति वफादार हैं, अलावी समुदाय के खिलाफ बदला लेने के लिए हत्याएं शुरू कर दी हैं. माना जा रहा है कि नई सरकार ने भी इसे खुली छूट दे रखी है, अपनी सेना को भी इस काम में लगा रखा है.

AFP की रिपोर्ट के अनुसार दक्षिणी सीरिया के शहर, बनियास से आने वाले 67 साल के समीर हैदर ने खूनी मंजर बताया. उसके अनुसार हथियार लिए समूह ने लोगों के घरों में घुसकर मार डाला. इसमें उनके दो भाइयों और भतीजा भी शामिल था. उन्होंने कहा कि हत्यारों में “विदेशी भी थे”. हैदर ने कहा, “उन्होंने सभी लोगों को छत पर इकट्ठा किया और उन पर गोलियां चला दीं.”

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