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मालदीव के नए राष्ट्रपति भारतीय सेना को द्वीप से बाहर क्यों करना चाहते हैं?

केंद्रीय मंत्री किरन रिजिजू के साथ मालदीव के नए राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू

मोहम्मद मुइज्जू ने शनिवार को मालदीव के नए राष्ट्रपति बनते ही भारत से अपने सैनिकों (Indian Army In Maldives) को हटाने की अपील की.राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि वह यह सुनिश्चित करेंगे कि अपने छोटे से द्वीप की सरजमीं पर कोई विदेशी सैन्य उपस्थिति न हो.  केंद्रीय मंत्री किरन रिजिजू संग बैठक में उन्होंने औपचारिक रूप से नई दिल्ली से अपने सैनिकों को  को वापस बुलाने की अपील की. भारत सरकार के सूत्रों ने कहा है कि दोनों पक्ष द्वीप राष्ट्र द्वारा भारतीय सैन्य प्लेटफार्मों का उपयोग जारी रखने के लिए “व्यावहारिक समाधान” पर चर्चा करने पर सहमत हुए हैं, क्यों कि वह अपने लोगों के हितों के बारे में सोचते हैं. 

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बता दें कि द्वीपीय देशों में भारत के सिर्फ 70 सैनिक हैं. ये सैनिक भारत प्रायोजित रडार और निगरानी विमान संचालित करते हैं. इस क्षेत्र में भारतीय युद्धपोत देश के विशेष आर्थिक क्षेत्र में गश्त करने में मदद करते हैं. उनके कार्यालय द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक, राष्ट्रपति डॉ. मुइज्जू ने कई इमरजेंसी मेडिकल चिकित्सा निकासी में दो भारतीय हेलीकॉप्टरों की अहम भूमिका को स्वीकार किया. बता दें कि भारतीय सैनिकों का यह छोटा समूह कई सालों से मालदीव में तैनात है.

मालदीव एक भूराजनीतिक हॉटस्पॉट

मालदीव का आकार दिल्ली के पांचवें हिस्से के बराबर है. यहां पर करीब 5 लाख लोग रहते हैं. बड़ी संख्या में पर्यटक यहां घूमने आते हैं. लेकिन हिंद महासागर क्षेत्र के बढ़ते रणनीतिक महत्व और प्रमुख एशियाई प्लेयर्स भारत और चीन के बीच सीमा तनाव के बीच, यह द्वीप एक भू-राजनीतिक हॉटस्पॉट बन गया है. नई दिल्ली और बीजिंग दोनों ने लॉन्ग-टर्म भू-राजनीतिक दृष्टिकोण से द्वीप में विकास के लिए निवेश किया है. मालदीव के राष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि वह भारत और चीन दोनों के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं. उन्होंने इस बात पर भी फोकस किया कि मालद्वीव “भूराजनीतिक प्रतिद्वंद्विता में उलझने के लिए बहुत छोटा है.” दरअसल मालदीव भारत और चीन के बीच भूराजनीतिक प्रतिद्वंद्विता में उलझना नहीं चाहता है.

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भारतीय सेना को हटाने के पीछे चीन कनेक्शन

बता दें कि पिछले राष्ट्रपति मोहम्मद सोलिह के कार्यकाल में मालद्वीव और नई दिल्ली के बीच संबंधों में काफी बढ़ोतरी देखी गई थी. नए राष्ट्रपति मुइज्जू पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के करीबी हैं, जिन्होंने 2013 से 2018 तक अपने कार्यकाल के दौरान बीजिंग से भारी उधार लिया था. एक साल पहले, मुइज्जू ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से कहा था कि अगर उनकी पार्टी चुनाव जीतती है तो वह बीजिंग के साथ मजबूत संबंध रखना चाहेंगे. उन्होंने कहा था, ”हम राष्ट्रपति यामीन के नेतृत्व में 2023 में सरकार में लौटने के लिए उत्सुक हैं, ताकि हमारे दोनों देशों के बीच घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत संबंधों का एक और अध्याय लिखा जा सके.” जब यामीन को  भ्रष्टाचार के मामले में 11 साल की जेल की सजा के कारण चुनाव लड़ने से रोक दिया गया, तो उन्होंने मुइज्जू को नामांकित किया था. 

भारत-चीन के बीच उलझना नहीं चाहता मालदीव 

राष्ट्रपति मुइज़ू ने सुरक्षा के आधार पर मालदीव से भारतीय सैनिकों की वापसी पर जोर दिया. राष्ट्रपति की शपथ लेने के बाद उन्होंने कहा, “जब हमारी सुरक्षा की बात आती है, तो मैं एक रेड लाइन खींचूंगा. साथ ही मालदीव भी अन्य देशों की रेड लाइन का सम्मान करेगा.” उन्होंने एएफपी को दिए एक इंटरव्यू में साफ किया कि उनका इरादा भारतीय सेना की जगह चीनी सैनिकों को तैनात करके क्षेत्रीय संतुलन को बिगाड़ने का नहीं है. मालदीव के राष्ट्रपति स्पष्ट रूप से भारत और चीन के साथ अपने संबंधों में एक अच्छा संतुलन बनाने की कोशिश कर रहे हैं. केंद्रीय मंत्री रिजिजू के साथ अपनी बैठक में उन्होंने मालदीव में भारत द्वारा समर्थित परियोजनाओं की प्रगति पर चर्चा की. बयान में कहा गया, “राष्ट्रपति डॉ. मुइज्जू और मंत्री किरण रिजिजू ने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने की नई प्रतिबद्धता के साथ बैठक का समापन किया.”

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