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काहे बवाल, 10 सवाल: खान सर खुद ही आए थाने? बिहार में क्या एक अफवाह से भड़के छात्र?


पटना:

बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की 70वीं संयुक्त प्राथमिक परीक्षा में नॉर्मलाइजेशन को लेकर छात्र पटना में विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों को टीचर खान सर का भी समर्थन मिला है, वे भी छात्रों के साथ प्रदर्शन करने सड़क पर उतरे तो उनके साथ सैकड़ों छात्र खड़े नजर आए. इस बीच खबर आई की खान सर को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. इसके बाद कहा गया कि खान सर को गिरफ्तार नहीं हिरासत में लिया गया है. खान सर को पुलिस ने अपनी वैन बिठा लिया था. पुलिस खान सर को गर्दनीबाग थाना लेकर गई. उनके साथ पुलिस ने छात्र नेता दिलीप को भी हिरासत में लिया. खान सर को हिरासत में लिए जाने के बाद प्रदर्शन कर रहे छात्रों का गुस्सा बढ़ गया है. ऐसे में छात्रों का आंदोलन और तेज होने की आशंका जताई जा रही है, लेकिन पुलिस का कहना है कि खान सर को हिरासत में नहीं लिया गया है. बीपीएससी की 70वीं प्रारंभिक परीक्षा 13 दिसंबर को आयोजित होनी है.

आखिर, क्‍यों सड़कों पर उतरे छात्र

पटना में बीपीएससी ऑफिस के बाहर प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों की मांग है कि नॉर्मलाइजेशन लागू नहीं होना चाहिए. छात्रों ने ‘वन शिफ्ट, वन पेपर’ की मांग की है. प्रदर्शनकारी अभ्यर्थी 70वीं बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा को पिछले वर्षों की तरह ही आयोजित करने की मांग कर रहे हैं. साथ ही परीक्षा प्रक्रिया को सामान्य बनाने की मांग कर रहे हैं. वे मांग कर रहे हैं कि आयोग वही परीक्षा प्रक्रिया अपनाए जो निष्पक्षता और एकरूपता के लिए अपनाई जाती रही है. छात्रों की बात जब नहीं मानी गई, तो वे सड़कों पर उतर गए और विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. अभ्यर्थियों ने शहर में बेली रोड को भी जाम कर दिया. इसके बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों को तितर-बितर करने और व्यवस्था बहाल करने के लिए लाठीचार्ज किया, जिसमें कई घायल हो गए. 

एक अफवाह उठ रही थी 19 तारीख के एग्जाम को लेकर. BPSC ने तब तुरंत नोटिस दे दिया था कि यह अफवाह है, आप अफवाह में न आइए. अगर हम लोगों को भी नोटिस दे दिया जाता, तो हम क्यों आंदोलन करते. हम लोग पढ़ने वाले हैं. यह आखिरी समय है, हम इसमें पढ़ाई करते. अंतिम एक सवाल यह है कि जो विद्यार्थी आवेदन नहीं कर पाए, उनका क्या होगा. यह भी सबसे बड़ा सवाल है.

पुलिस ने कहा- अफवाह फैलाई गई…

पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) राजीव मिश्रा ने बताया कि दोपहर करीब 12 बजे बड़ी संख्या में अभ्यर्थी बेली रोड पर स्थित बीपीएससी कार्यालय के पास एकत्र हुए और वे बीपीएससी कार्यालय की ओर बढ़ना चाहते थे, लेकिन पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने अनुमति नहीं दी. उन्होंने कहा कि इसके बाद वे बेली रोड पर ही धरने बैठ गये और यातायात बाधित कर दिया, सुरक्षाकर्मियों के बार-बार अनुरोध के बावजूद उन्होंने सड़क से हटने से इनकार कर दिया. मिश्रा ने कहा कि प्रदर्शनकारियों को बताया गया कि यह एक प्रतिबंधित क्षेत्र है और यहां विरोध प्रदर्शन की अनुमति नहीं है, लेकिन जब उन्होंने बात नहीं मानी तो अंत में उन्हें तितर-बितर करने के लिए हल्का लाठीचार्ज किया गया. इस बीच बीपीएससी सचिव सत्य प्रकाश शर्मा ने कहा कि आयोग सामान्यीकरण पद्धति से परिणाम जारी नहीं करेगा. आयोग की छवि खराब करने के लिए अफवाह फैलाई जा रही हैं. 

क्‍या है नॉर्मलाइजेशन सिस्‍टम

प्रदर्शनकारी अभ्यर्थी बीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा ‘एक पाली, एक पेपर’ प्रारूप में आयोजित करने की मांग कर रहे हैं. बीपीएससी पहले ही परीक्षा प्रक्रिया में किसी भी बदलाव से इनकार कर चुका है. हालांकि, अभ्यर्थियों के एक समूह का मानना है कि बीपीएससी परीक्षा में ‘अंकों के सामान्यीकरण (नॉर्मलाइजेशन)’ प्रक्रिया का उपयोग कर सकता है. ‘नॉर्मलाइजेशन’ एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से दो या दो से अधिक पालियों में आयोजित परीक्षाओं में प्राप्त अंकों को एक सांख्यिकीय सूत्र का उपयोग करके बराबर किया जाता है. अंत में अभ्यर्थी को प्राप्त अंकों के आधार पर प्रतिशत अंक दिया जाता है.

खान सर ने क्‍या कहा…

इस बीच पटना स्थित ‘ट्यूटर’ और ‘यूट्यूबर’ खान सर भी छात्रों के समर्थन में आए. वह विरोध प्रदर्शन और धरना स्थल गर्दनी बाग के पास प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों के साथ धरने पर भी बैठे. खान सर ने पत्रकारों से कहा, ‘बीपीएससी अध्यक्ष को तुरंत एक बयान जारी करना चाहिए कि नए प्रारूप (नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया) में प्रारंभिक परीक्षा आयोजित नहीं की जाएगी. आयोग को परीक्षा की तारीख भी बढ़ानी चाहिए, क्योंकि कई अभ्यर्थी आयोग के सर्वर में तकनीकी समस्या के कारण आवेदन नहीं कर सके. जब तक बीपीएससी के अध्यक्ष स्पष्टीकरण जारी नहीं करते, हमारा धरना जारी रहेगा.’ इसके बाद खान सर को हिरासत में लिया. बीती रात उन्‍हें पुलिस ने छोड़ भी दिया. पुलिस स्‍टेशन से बाहर निकलते हुए उनका एक वीडियो भी सामने आया है. हालांकि, पुलिस का कहना है कि खान सर खुद पुलिस स्‍टेशन आए थे, उन्‍हें गिरफ्तार या हिरासत में नहीं लिया गया. खान सर यूट्यूब और डिजिटल मीडिया के जरिए विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग के लिए प्रसिद्ध हैं. 

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85 हजार छात्रों का आवेदन छूटा है. आखिर वे भी तो बिहार के बच्चे हैं. उनको समय देने में बीपीएससी का क्या जा रहा है. आवेदन प्रक्रिया के दौरान तीन दिन साइट क्रैश थी. उनके लिए साइट को रि-ओपन किया जाए. मुख्यमंत्री जी इस मामले में हस्तक्षेप करें.

प्रदर्शन कर रहा एक छात्र

हंगामे में सियासी एंगल

खान सर पर पटना में मचे इस हंगामे में सियासी एंगल भी आ रहा है. सोशल मीडिया पर जहां खान सर के फैन्स उनके साथ मजबूती से खड़े दिखाई दे रहे हैं, वहीं कुछ उन पर सवाल भी उठा रहे हैं. खासकर राष्ट्रीय जनता दल के समर्थकों ने उनको लेकर कुछ इस तरह के ट्वीट किए. बता दें कि कि कुछ दिन पहले राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने भी मांग की थी कि बीपीएससी को परीक्षा की ‘नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया’ पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए. यादव ने एक बयान में कहा था, ‘बीपीएससी को परीक्षा आयोजित करनी चाहिए जैसे कि यह पहले आयोजित की जाती थी. इसे नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया के माध्यम से प्रारंभिक परीक्षा आयोजित नहीं करनी चाहिए और आयोग को परीक्षा की तारीख भी बढ़ानी चाहिए.’

बिहार सरकार के मंत्री बोले- जब हमने इसे लागू नहीं किया, तो…

बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी ने कहा, ‘सचिव ने स्पष्ट रूप से कहा है कि हमने नॉर्मलाइजेशन लागू नहीं किया है. जब हमने इसे लागू नहीं किया, तो इसे वापस लेने का तो सवाल ही नहीं उठता. हमारी इस बारे में किसी से कोई बात नहीं हुई है. यह जानकारी हमें अखबार के माध्यम से मिली है.’ उन्होंने कहा कि कुछ लोग, खासकर राजनेता, इन लोगों को भड़काने का काम कर रहे है. भड़काने के बाद उन पर दंडात्मक कार्रवाई करवा रहे हैं. ये वही नेता हैं जो बाद में आराम से बयान दे रहे हैं. वे बेचारे छात्रों को गुमराह कर रहे हैं. जो चीज हुई नहीं है उस पर बयान देना पूरी तरह से गलत है.

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ग्रुप ए और बी पदों पर भर्ती के लिए बीपीएससी एकीकृत 70वीं संयुक्त (प्रारंभिक) प्रतियोगी परीक्षा 13 दिसंबर को आयोजित की जानी है। 925 केंद्रों पर आयोजित होने वाली परीक्षा में लगभग पांच लाख अभ्यर्थियों के शामिल होने की उम्मीद है.  

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