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दुनिया

अमेरिका में 'स्ट्रेटेजिक बिटकॉइन रिजर्व' क्यों बना रहे ट्रंप? क्या से क्यों तक, हर सवाल का जवाब


नई दिल्ली:

डोनाल्ड ट्रंप जब से अमेरिका के राष्ट्रपति बने हैं, तब से एक के बाद एक फैसले कर रहे हैं. उनमें से कई चौंकाने वाले हैं. अब एक कार्यकारी आदेश पर साइन करके ट्रंप ने अमेरिका में ‘स्ट्रेटेजिक बिटकॉइन रिजर्व’ बनाने का ऐलान किया है. कभी बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी को “स्कैम जैसा” बताने वाले ट्रंप ने आज उसे गले लगा रखा है.

इस एक्सप्लेनर में हम आपको एकदम आसान शब्दों में बताएंगें कि आखिर ‘स्ट्रेटेजिक बिटकॉइन रिजर्व’ है क्या. चलिए शुरुआत इस सवाल से करते हैं कि क्रिप्टोकरेंसी क्या है?

क्रिप्टोकरेंसी क्या है?

क्रिप्टोकरेंसी करेंसी का ही ऐसा कोई रूप है जो डिजिटल है. वह आपके हाथ में नहीं बल्कि वर्चुअली इंटरनेट या कंप्यूटर में मौजूद है. यह लेनदेन को सुरक्षित करने के लिए क्रिप्टोग्राफी का उपयोग करता है.

क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल पेमेंट सिस्टम है. यह लेनदेन यानी ट्रांजेक्शन को वेरिफाई करने के लिए बैंकों पर निर्भर नहीं होती है. यह एक पीयर-टू-पीयर सिस्टम है जो किसी को भी कहीं भी पेमेंट भेजने और पाने में सक्षम बना सकती है. 

आप एटीएम से निकाले अपने नोट को वास्तविक दुनिया में इधर-उधर ले जाते हैं न. इसमें ऐसा नहीं हैं. क्रिप्टोकरेंसी में यह सब ऑनलाइन होता है और आपका देनदेन एक डेटाबेस में डिजिटल एंट्री के रूप में मौजूद है. यानी जब आप क्रिप्टोकरेंसी को ट्रांसफर करते हैं, तो लेनदेन एक सार्वजनिक बहीखाता में दर्ज किया जाता है. क्रिप्टोकरेंसी को डिजिटल वॉलेट में स्टोर किया जाता है.

अब आप जान गए कि क्रिप्टोकरेंसी क्या होता है. बिटकॉइन भी एक तरह की क्रिप्टोकरेंसी है. 2009 में स्थापित, बिटकॉइन पहली क्रिप्टोकरेंसी थी और अभी भी इसका सबसे अधिक कारोबार होता है.

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‘स्ट्रेटेजिक बिटकॉइन रिजर्व’ है क्या?

अब बात ‘स्ट्रेटेजिक बिटकॉइन रिजर्व’ की. रिजर्व यानी किसी चीज को किसी खास उद्देश्य से भविष्‍य में इस्‍तेमाल के लिए सुरक्षित रखना. ट्रंप ने अपना आदेश पारित करके अमेरिकी सरकार के पास मौजूद सभी बिटकॉइन का एक रिजर्व बना दिया है. किसी भी स्टॉक का स्ट्रेटेजिक रिजर्व इस उद्देश्य से बनाते हैं कि जब कभी उस स्टॉक की सप्लाई में बहुत उतार-चढ़ाव हो तो उस रिजर्व से स्टॉक निकालकर उसे कंट्रोल किया जा सके. 

व्हाइट हाउस ने बताया है कि स्ट्रैटेजिक बिटकॉइन रिजर्व में ट्रेजरी विभाग के स्वामित्व वाले बिटकॉइन को डाला जाएगा. अमेरिका के ट्रेजरी विभाग ने आपराधिक या नागरिकों की संपत्ति जब्ती करने की अपनी कार्यवाही के हिस्से के रूप में ये बिटकॉइन जमा किए हैं. 

साफ कहा गया है कि अमेरिकी सरकार इस स्ट्रैटेजिक बिटकॉइन रिजर्व में जमा बिटकॉइन को नहीं बेचेगी. इसे रिजर्व की गई संपत्तियों के भंडार के रूप में बनाए रखा जाएगा.

व्हाइट हाउस के क्रिप्टो जार डेविड सैक्स के अनुसार, अनुमान है कि अमेरिकी सरकार के पास लगभग 200,000 बिटकॉइन हैं. कॉइनमार्केटकैप के अनुसार, अभी हर बिटकॉइन का मूल्य लगभग $87,000 है, जिससे अमेरिका के इस रिजर्व का अनुमानित मूल्य लगभग $17.5 बिलियन है. हालांकि सरकार के पास मौजूद बिटकॉइन की सटीक संख्या का पता लगाने के लिए कभी कोई ऑडिट नहीं हुआ है. ट्रंप ने जो कार्यकारी आदेश पारित किया है, उसमें ऐसा करने का निर्देश शामिल है.

डेविड सैक्स ने पुष्टि की है कि यह कार्यकारी आदेश एक अमेरिकी डिजिटल संपत्ति भंडार (एसेट स्टॉकपाइल) भी बनाता है. इसमें सरकार द्वारा जब्त बिटकॉइन के अलावा जितनी और क्रिप्टोकरेंसी या डिजिटल एसेट है, वो शामिल हैं.

ट्रंप सरकार ने साफ कहा है कि इन दोनों रिजर्व में केवल वही क्रिप्टोकरेंसी रखी जाएंगी, जो जब्ती में मिली हैं. यह रिजर्व अमेरिकी जनता के टैक्स के पैसे पर निर्भर नहीं होगी.

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ट्रंप ऐसा क्यों कर रहे हैं?

ट्रंप के इस कदम का उद्देश्य क्रिप्टो इंडस्ट्री को सपोर्ट करना है, जिसने उनके राष्ट्रपति चुनाव अभियान के दौरान उनका समर्थन किया था. दूसरी तरफ ट्रंप जैसे इस विचार के समर्थक क्रिप्टोकरेंसी को तेल या सोने जैसी राष्ट्रीय और आर्थिक सुरक्षा संपत्ति मानते हैं. और इसलिए इसका रिजर्व बना रहे हैं. व्हाइट हाउस ने कहा है कि राष्ट्रपति ट्रंप क्रिप्टोकरेंसी में अमेरिका को वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करने के अपने वादे को पूरा कर रहे हैं. उन्होंने पहले ही “क्रिप्टो जार” नियुक्त कर दिया है और 7 मार्च को व्हाइट हाउस में पहली बार क्रिप्टो शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहे हैं.

क्या इसका सिर्फ समर्थन हो रहा?

नहीं. फोर्ब्स की रिपोर्ट के अनुसार क्रिप्टोकरेंसी की इंडस्ट्री ने नेशनल रिजर्व बनाए जाने की खबर से खुशी जताई है, लेकिन कुछ अर्थशास्त्रियों ने इसपर चिंता जताई है. वे क्रिप्टोकरेंसी की अस्थिरता की ओर इशारा करते हैं. 

भले ही ट्रंप सरकार ने साफ कहा है कि वो टैक्सपेयर्स के पैसे से कोई बिटकॉइन नहीं खरीदेगी. सिर्फ जब्ती में जो क्रिप्टोकरेंसी मिली हैं, उनसे रिजर्व बनाएगी. लेकिन आलोचकों को डर है कि अगर ट्रंप ने किसी वक्त अपना आदेश बदला और बिटकॉइन बेचना शुरू कर दिया तो दाम नीचे चला जाएगा और निवेशकों को जबरदस्त घाटा होगा.

उनका तर्क है कि अगर सरकार क्रिप्टोकरेंसी खरीदती है तो यह एक जुआ है जो मुख्य रूप से मौजूदा क्रिप्टो होल्डर्स को लाभ पहुंचाएगा और अगर इस इंडस्ट्री में मंदी आती है तो अंततः टैक्सपेयर्स के अरबों पैसे नष्ट हो सकते हैं. 


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