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नेहरू की 'चिट्ठियों' पर क्‍यों रहा बवाल, पूरा मामला समझिए


नई दिल्‍ली:

देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की चिट्ठियों को लेकर बवाल खड़ा हो गया है. सोमवार को यह मुद्दा संसद में भी गूंजा. बीजेपी ने नेहरू की चिट्ठियों के मुद्दे पर कांग्रेस को घेरने की कोशिश की. बीजेपी सांसद संबित पात्रा ने पूछा कि आखिर, इन चिट्ठियों में ऐसा क्या है, जो गांधी परिवार नहीं चाहता कि देश के लोग जानें. पंडित नेहरू ने लेडी एडविना माउंटबेटन और अन्य को क्या लिखा था, जिसे छिपाने की कोशिश हुई. दरअसल, ये पूरा विवाद तब शुरू हुआ, जब प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय (PMML) सोसाइटी के सदस्य रिज़वान कादरी ने सांसद राहुल गांधी को एक खत लिखा. इस खत में उन्‍होंने राहुल गांधी से पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के खत वापस करने को कहा. ये चिट्ठियां कथित तौर पर साल 2008 में सोनिया गांधी तक पहुंचाई गई थीं.  

पंडित नेहरू ने किसको लिखी थी चिट्ठियां? 

यूपीए के शासनकाल में 2008 में 51 डिब्बों में भर कर नेहरू के निजी खत सोनिया गांधी के पास पहुंचाए गए थे. इन खतों को प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय (PMML) सोसाइटी से लिया गया था. पीएमएमएल का कहना है कि पूर्व प्रधानमंत्री के ये खत ऐतिहासिक महत्व के दस्तावेज हैं, ये किसी की निजी संपत्ति कैसे हो सकते हैं? इसलिए इन्‍हें संग्रहालय को वापस दिये जाने चाहिए. नेहरू ने ये पत्र इनको लिखे…

  • एडविना माउंटबेटन (भारत में ब्रि‍टेन के आखि‍री गवर्नर जनरल लार्ड माउंटबेटन की पत्‍नी एडविना माउंटबेटन). 
  • अल्बर्ट आइंस्टीन (विश्वप्रसिद्ध सैद्धांतिक भौतिकविद्)
  • जयप्रकाश नारायण (भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता)
  • पद्मजा नायडू (भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनीतिज्ञ)
  • विजया लक्ष्मी पंडित (विजय लक्ष्मी पंडित, पंडित जवाहर लाल नेहरू की बहन थीं)
  • अरुणा आसफ़ अली ( भारतीय शिक्षिका, राजनीतिक कार्यकर्ता और प्रकाशक)
  • बाबू जगजीवन राम (भारत के प्रथम दलित उप-प्रधानमंत्री एवं स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता)
  • गोविंद बल्लभ पंत(स्वतन्त्रता सेनानी और वरिष्ठ भारतीय राजनेता, यूपी के पहले मुख्यमंत्री)
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कहां से आईं…सोनिया गांधी तक कैसी पहुंची चिट्ठियां!

पंडित नेहरू की ये चिट्ठियां जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल ने 1971 में नेहरू मेमोरियल म्यूज़ियम एंड लाइब्रेरी को दी थीं, जो अब प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय के नाम से जाना जाता है. ये वे दस्तावेज हैं जो मेमोरियल को दान किए गए थे. बताया जा रहा है कि पंडित नेहरू की चिट्ठियां और अन्य दस्तावेज कथित तौर पर 2008 में सोनिया गांधी के निर्देश पर संग्रहालय से निकाली गई थीं. ये चिट्ठियां सोनिया गांधी के निवास पर 51 डिब्‍बों में पहुंचाई गई थीं. 

बीजेपी ने पूछा- खतों को छुपाने की क्‍या जरूरत

बीजेपी सांसद संबित पात्रा ने संसद में सवाल उठाया कि आखिर क्‍यों पंडित नेहरू के खतों को छुपाया जा रहा है? उन्‍होंने आरोप लगाया कि पंडित नेहरू और माउंट बेटन की पत्‍नी के बीच जो खत लिखे गए थे, उसे गायब कर दिया है. नेहरू और जय प्रकाश नारायण के बीच जो बातचीत पत्रों के जरिए हुई, वो राष्ट्र की धरोहर है और उन लेटर को वापस किया जाना चाहिए. संबित पात्रा ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा- मुझे इस बात की उत्सुकता है कि नेहरू जी ने एडविना माउंटबेटन को क्या लिखा होगा, जिसे सेंसर करने की जरूरत पड़ गई. 

गौरतलब है कि इतिहासकार कादरी ने पत्र लिखकर कहा है कि राहुल गांधी अपनी माताजी (सोनिया गांधी) से बात करिए कि वह नेहरू की वो सारी चिट्ठियां लौटाएं, क्योंकि ये राष्ट्र की धरोहर हैं. देश के हर नागरिक को ये जानने का अधिकार है कि उनके पहले प्रधानमंत्री किससे क्या बात कर थे और कौन से दस्तावेजों पर साइन कर रहे थे. कादरी ने बताया कि सोनिया गांधी से कोई जवाब नहीं मिलने के बाद ही उन्होंने राहुल गांधी को एक और पत्र लिखा.

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