"क्या अरविंद केजरीवाल को फिर गिरफ्तार करेंगे?" : हाईकोर्ट ने ED से पूछा
नई दिल्ली:
अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की जमानत के मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय से पूछा कि क्या वह दिल्ली के मुख्यमंत्री को फिर से गिरफ्तार करेगी? दिल्ली उच्च न्यायालय की न्यायाधीश न्यायमूर्ति नीना बंसल ने कहा कि “मैं असमंजस में हूं. आप क्या करना चाहते हैं? क्या आप उन्हें फिर से गिरफ्तार करने जा रहे हैं?” बुधवार की सुनवाई के दौरान, वकील विवेक गुरनानी ईडी की ओर से पेश हुए और न्यायमूर्ति बंसल से याचिका पर कल या किसी अन्य तारीख पर सुनवाई करने का अनुरोध किया क्योंकि अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू एक अन्य मामले में व्यस्त थे.
केजरीवाल के वकील ने क्या कहा?
न्यायाधीश ने कहा कि केजरीवाल को पहले ही सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जमानत दे दी गई थी, केजरीवाल के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता विक्रम चौधरी ने कहा कि यह मामला “सरासर उत्पीड़न” का था. इसके बाद अदालत ने मामले को बाद के लिए स्थगित कर दिया, जिसका अर्थ है कि इसकी सुनवाई कुछ अन्य मामलों के बाद की जाएगी.
क्या है दिल्ली शराब नीति मामला?
दिल्ली सरकार ने नवंबर 2021 में राजधानी के शराब विक्रेताओं के लिए एक नई नीति लेकर आई थी. नई नीति के तहत सरकारी दुकानों की बजाय शराब के स्टोर बेचने के लिए निजी पार्टियों को लाइसेंस के लिए आवेदन करने की परमिशन दी गई. दिल्ली सरकार का कहना था कि नई नीति लाने से शराब की कालाबाजारी रुकेगी, दिल्ली सरकार का राजस्व बढ़ेगा और ग्राहकों को फायदा होगा. केजरीवाल सरकार की नई नीति में शराब की दुकानों को आधी रात के बाद भी खुले रहने की परमिशन दी गई थी. शराब विक्रेताओं को बिना किसी लिमिट के डिस्काउंट देने की भी परमिशन दी गई थी.
कैसे शुरू हुई परेशानी?
दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने जुलाई 2022 में एक रिपोर्ट में आरोप लगाया कि नई शराब नीति में कई नियमों का उल्लंघन किया गया है. उन्होंने आरोप लगाया कि केजरीवाल सरकार की शराब नीति ने विक्रेताओं को “अनुचित लाभ” दिया. मुख्य सचिव ने कोरोना महामारी के दौरान शराब लाइसेंस फीस में 144 करोड़ की छूट देने की भी बात कही. दिल्ली के मुख्य सचिव की रिपोर्ट के बाद उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने सीबीआई से इस मामले को देखने को कहा. इसके बाद आम आदमी पार्टी बीजेपी पर हमलावर हो गई. वहीं केजरीवाल सरकार ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया. इसके तुरंत बाद दिल्ली सरकार ने नई शराब नीति वापस ले ली. इसकी वजह से 400 से ज्यादा नए खुले स्टोर बंद हो गए. नई नीति लागू होने तक शराब की बिक्री पर फिर से सरकार का कंट्रोल हो गया.
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