पीएम मोदी के संगम स्नान से निकला राजनीतिक संदेश, क्या बिखरे हिंदू वोटों को एक कर पाएगी BJP
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क्या जाति जनगणना से बीजेपी को नुकसान होगा
जाति जनगणना को लेकर जारी लड़ाई को बीजेपी अपने वोटों के बिखराव के रूप में देख रही है. हालांकि वो इसका न तो खुल कर विरोध कर पा रही है और ना ही खुलकर समर्थन. वह ऊहापोह की स्थिति में है. दरअसल जाति जनगणना की स्थिति में यह पता चल जाएगा कि देश में किस जाति की कितनी आबादी है और देश के संसाधनों में उनकी कितनी हिस्सेदारी है. बीजेपी को डर है कि इससे उसके हिंदुत्व वाले वोटों में बिखराव होगा और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में उसकी पैठ कमजोर हो जाएगी. माना जाता है कि ओबीसी ही देश का सबसे बड़ा जातीय समूह है. इसलिए बीजेपी नेताओं का जोर अब हिंदुत्व की बजाय सनातन की राजनीति पर है. वो सनातन के डोर में सबको बांधना चाहते हैं.उनको लगता है कि सनातन की डोर हिंदुत्व से भी मजबूत है. इसलिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार सनातन धर्म की बात करते हैं. प्रधानमंत्री मोदी भी महाकुंभ को ‘एकता का महाकुंभ’ बता चुके हैं.
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बीजेपी नेताओं ने पकड़ी संगम की राह
बीजेपी और उसके नेता महाकुंभ में स्नान पर लगातार जोर दे रहे हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ कैबिनेट ने संगम में डुबकी लगाई थी और संगम के तट से कई विकास योजनाओं का ऐलान किया था. उत्तर प्रदेश सरकार ने इसलिए ही बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और अन्य गणमान्य लोगों को प्रयागराज महाकुंभ के लिए आमंत्रित किया है. वो लोग प्रयागराज पहुंच भी रहे हैं.पीएम मोदी से पहले उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह संगम में स्नान कर चुके हैं.
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