देश

जम्मू-कश्मीर में क्या किंगमेकर बनेंगे राशिद इंजीनियर?

विरोधियों के लिए खतरा हैं राशिद इंजीनियर?

राशिद और उनकी अवामी इत्तेहाद पार्टी कश्मीर में मजबूती के साथ चुनावी मैदान में हैं. ये बात उनके विरोधयों को परेशान कर रही है. पीडीपी और एनसी का आरोप है कि मुख्यधारा की पार्टियों में सेंध लगाने और कश्मीर के वोटों को बांटवे के लिए बीजेपी ने रणनीति के तहत राशिद इंजीनियर को चुनावी मैदान में उतारा है. 

राशिद की लोकप्रियता किस हद तक है इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि जेल से बाहर आने के बाद उत्तरी कश्मीर में शायद ही कोई ऐसा शख्स हो, जिसने ये सवाल उठाया हो कि राशिद को चुनाव प्रचार के लिए 22 दिनों की जमानत क्यों मिली. हालांकि उनको संसद में हिस्सा लेने की परमिशन नहीं है. 

राशिद के सामने टिक पाएंगे ये दिग्गज?

उत्तरी कश्मीर में कई निर्दलीय भी मजबूती के साथ चुनावी मैदान में हैं, जिनमें बारामूला में पीडीपी से बागी हुए मुजफ्फर बेग का नाम है. वहीं पीसी के अलावा कुछ जमात-ए-इस्लामी समर्थित उम्मीदवार भी राशिद को कड़ी टक्कर दे रहे हैं. राशिद के भाई उनकी पूर्व विधानसभा सीट लंगेट से चुनाव लड़ रहे हैं. एनसी भी चुनाव जीतने के लिए पूरा दमखम लगा रही है.

क्या हैं कश्मीर के चुनावी मुद्दे?

  • बेरोजगारी युवाओं और बुजुर्गों के बीच चिंता का मुख्य कराण है.
  • धारा 370 और “धर्मनिरपेक्षता” भी कश्मीर में भावनात्मक मुद्दा है.  

 राशिद  का कोई समर्थक, कोई विरोधी

कोई कह रहा है कि राशिद बेनकाब हो गए हैं तो कोई उनका कट्टर समर्थक है, तो कोई एनसी पर ही दाव लगा रहा है. टीओआई के मुताबिक, संग्रामा में एक मामूली ढाबा चलाने वाले शौकत तांत्रे  एआईपी के वकील मुरासलीन का समर्थन कर रहे हैं. उनका कहना है कि राशिद अच्छे हैं. वहीं एक कंपनी में काम करने वाले  इंजीनियर शाकिर भट कह रहे हैं कि चुनाव में एनसी मजबूत है. 

  • एक रिटायर्ड 70 साल के शख्स ने कहा, मैंने 2024 के लोकसभा चुनावों में पहली बार वोट किया. राशिद और उनके बच्चों के इमोशनल अभियान ने युवाओं को प्रभावित किया.”
  • सिंचाई विभाग से रिटायर्ड 67 साल के इंजीनियर ने कहा कि राशिद को बीजेपी के शिकार के रूप में देखा जा रहा है, लेकिन स्थानीय चुनावों में वह सीटें हार जाएंगे. उन्होंने इस पर भी शक जताया कि  उनको अचानक जेल से क्यों रिहा किया गया.
  • उत्तरी कश्मीर ने लोकसभा चुनाव में राशिद को जमकर समर्थन किया था.  लेकिन उनकी रिहाई से लोगों के मन में शक पैदा होने लगा है. इसका असर उनके वोटर्स पर देखा जा सकता है.
यह भी पढ़ें :-  PM मोदी और CJI की गणेश पूजा पर उठाए सवाल, तो BJP ने कांग्रेस को दिखाया मनमोहन की इफ्तार पार्टी का फोटो


Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button