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सरकार क्या बेटी को मौत की सजा से बचाने के लिए महिला को यमन जाने की अनुमति देगी? : अदालत

अधिवक्ता ने कहा कि मां के लिए यह उचित नहीं होगा कि वह वर्तमान में संघर्ष से जूझ रहे देश का दौरा करें. 

केंद्र की ओर से पेश अधिवक्ता ने कहा, ‘‘पश्चिम एशिया में स्थिति ठीक नहीं है. इस अवस्था में यमन की यात्रा करना उचित नहीं है. अगर वहां याचिकाकर्ता (मां) को कुछ हुआ तो भारत मदद नहीं कर पाएगा. हम नहीं चाहते कि वहां फिरौती मांगने की स्थिति पैदा हो.”

यमन के उच्चतम न्यायालय ने 13 नवंबर को पश्चिम एशियाई देश में नर्स के रूप में काम करने वाली निमिषा प्रिया की सजा के खिलाफ दाखिल अपील खारिज कर दी थी.

प्रिया को तलाल अब्दो महदी नामक व्यक्ति की हत्या का दोषी ठहराया गया है, जिसकी जुलाई 2017 में मृत्यु हो गई थी. आरोप है कि प्रिया ने महदी के कब्जे से अपना पासपोर्ट वापस पाने के लिए उसे शामक (बेहोशी का) इंजेक्शन दे दिया था.

आरोप है कि प्रिया ने उसे बेहोशी का इंजेक्शन दिया ताकि उसके बेहोश होने पर अपना पासपोर्ट वापस ले सके लेकिन अधिक मात्रा के कारण उसकी मृत्यु हो गई.

प्रिया की मां ने भारतीय नागरिकों के लिए यमन जाने पर रोक के बावजूद वहां जाने और अपनी बेटी को बचाने के लिए ‘ब्लड मनी’ पर बातचीत करने की अनुमति मांगने के लिए इस साल की शुरुआत में उच्च न्यायालय का रुख किया था.

‘ब्लड मनी’ से तात्पर्य अपराधियों या उनके परिजनों द्वारा हत्या के शिकार व्यक्ति के परिवार को दिए जाने वाले मुआवजे से है.

याचिकाकर्ता का पक्ष रख रहे वकील सुभाष चंद्रन के.आर. ने कहा कि वर्तमान में भारत में व्यवसाय चलाने वाले कुछ भारतीयों को यमन की यात्रा करने की अनुमति दी जा रही है.

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उन्होंने कहा कि वे कुछ भारतीयों को जानते हैं जिनके पास यमन का वैध वीजा है और वे महिला के साथ जाने और पीड़ित परिवार के साथ ‘ब्लड मनी’ पर बातचीत करने के इच्छुक हैं. 

उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता के वकील से कल तक एक हलफनामा दाखिल करने को कहा जिसमें महिला के साथ यमन की यात्रा करने के इच्छुक लोगों का विवरण हो. अदालत ने मामले की सुनवाई 11 दिसंबर तक के लिए सूचीबद्ध की है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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