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जनता के अनुकूल शासन से हम व‍िकस‍ित भारत के सपने को कर सकते हैं साकार : पीएम मोदी


नई दिल्‍ली:

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को राष्ट्रीय राजधानी में मुख्य सचिवों के चौथे राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि “लोगों के अनुकूल सक्रिय सुशासन (पी2जी2) हमारे काम का मूल है, जिसके माध्यम से हम विकसित भारत के सपने को साकार कर सकते हैं.”

एक्स पर प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा, “मुख्य सचिवों के सम्मेलन में भाग लिया, जो सुशासन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्यों के बीच सहयोग के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है. सम्मेलन में विकास को आगे बढ़ाने, प्रभावी शासन सुनिश्चित करने और नागरिकों को सेवा वितरण बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया. हमने इस बात पर भी ध्यान केंद्रित किया कि कैसे बेहतर शासन के लिए बुनियादी ढांचे को बढ़ावा दिया जाए और प्रौद्योगिकी का लाभ उठाया जाए.”

तीन दिवसीय सम्मेलन 13-15 दिसंबर तक दिल्ली में आयोजित किया गया था. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस सम्मेलन का सबसे बड़ा लाभ यह था कि टीम इंडिया खुले दिमाग से चर्चा के लिए एक साथ आई और विकसित भारत के लिए मिलकर काम किया.

सम्मेलन में ‘उद्यमिता, रोजगार और कौशल को बढ़ावा देना – जनसांख्यिकी लाभांश का लाभ उठाना’ के विषय पर चर्चा की गई. पीएमओ ने एक विज्ञप्ति में उल्लेख किया कि प्रधानमंत्री ने विशेष रूप से टियर 2/3 शहरों में स्टार्टअप के आगमन की सराहना की. उन्होंने राज्यों से ऐसे नवाचारों को प्रोत्साहित करने और ऐसा माहौल प्रदान करने की दिशा में काम करने को कहा, जहां स्टार्ट-अप फल-फूल सकें.

पीएम मोदी ने राज्यों से छोटे शहरों में उद्यमियों के लिए उपयुक्त स्थानों की पहचान करने और उन्हें बैंकिंग प्रणाली से जोड़ने, रसद प्रदान करने और उन्हें सुविधा प्रदान करने की पहल करने का आग्रह किया.

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प्रधानमंत्री ने राज्यों से अनुपालन को सरल बनाने के लिए भी कहा, जिससे अक्सर नागरिकों को परेशान किया जाता है. उन्होंने प्रतिभागियों से आग्रह किया कि राज्यों को नागरिक भागीदारी या जनभागीदारी को प्रोत्साहित करने के तरीके से शासन मॉडल में सुधार करना चाहिए.

पीएम मोदी ने यह भी कहा कि सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण है, और लोगों को सरकार की विभिन्न पहलों के बारे में सूचित करना भी महत्वपूर्ण है.

पीएमओ की विज्ञप्ति में कहा गया क‍ि सर्कुलर इकोनॉमी के बारे में बात करते हुए प्रधानमंत्री ने सराहना की कि गोबर्धन कार्यक्रम को अब एक बड़े ऊर्जा संसाधन के रूप में देखा जा रहा है. उन्होंने कहा कि यह पहल कचरे को संपदा में बदल देती है, साथ ही वृद्ध मवेशियों को दायित्व के बजाय संपत्ति बनाती है. 

पीएम मोदी ने राज्यों को ई-कचरे के पुनर्चक्रण के लिए व्यवहार्यता अंतर निधि की अवधारणा का पता लगाने का निर्देश दिया. यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि डेटा और प्रौद्योगिकी संचालित समाज में वृद्धि के साथ, डिजिटल कचरा और भी बढ़ेगा. इस ई-कचरे को एक उपयोगी संसाधन में बदलने से ऐसी सामग्री के आयात पर हमारी निर्भरता कम होगी.

स्वास्थ्य क्षेत्र में, पीएम मोदी ने आग्रह किया कि फिट इंडिया मूवमेंट के तहत भारत में मोटापे को एक बड़ी चुनौती के रूप में लिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि केवल एक फिट और स्वस्थ भारत ही विकसित भारत हो सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि भारत को 2025 के अंत तक ‘टीबी-मुक्त’ बनाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता इस लक्ष्य को प्राप्त करने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं.

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प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि पुरानी पांडुलिपियां भारत का खजाना हैं और इसे डिजिटल बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि राज्यों को इस दिशा में कदम उठाने चाहिए. उन्होंने इस बात की सराहना की कि पीएम गतिशक्ति सुशासन के लिए एक महत्वपूर्ण प्रवर्तक रही है, साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि पीएम गतिशक्ति को नियमित रूप से अपडेट किया जाना चाहिए और पर्यावरणीय प्रभावों, आपदा संभावित क्षेत्रों के संकेतकों को भी इसमें शामिल किया जाना चाहिए. 

आकांक्षी जिलों और ब्लॉक कार्यक्रमों के बारे में बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि इन ब्लॉकों और जिलों में तैनात सक्षम अधिकारी जमीनी स्तर पर बड़े पैमाने पर बदलाव ला सकते हैं. इससे सामाजिक-आर्थिक लाभ भी बहुत होंगे. शहरों के विकास के बारे में बात करते हुए पीएम मोदी ने शहरों को आर्थिक विकास के केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए मानव संसाधन विकास के लिए दृढ़ता से प्रोत्साहित किया. 

उन्होंने शहरी शासन, जल और पर्यावरण प्रबंधन में विशेषज्ञता के लिए संस्थानों के विकास पर जोर दिया. शहरी गतिशीलता में वृद्धि के साथ, उन्होंने पर्याप्त शहरी आवास प्रदान करने पर भी जोर दिया, जिससे नए औद्योगिक केंद्रों में विनिर्माण क्षेत्र में बेहतर उत्पादकता हो सकेगी. 

प्रधानमंत्री ने सरदार वल्लभभाई पटेल को भी नमन किया और उन्हें सभी सिविल सेवकों के लिए प्रेरणा बताया. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज उनकी पुण्यतिथि है और इस साल उनकी 150वीं जयंती भी है. उन्होंने कहा कि अगले दो साल का जश्न मनाया जाना चाहिए और हमें उनके सपनों के भारत को साकार करने की दिशा में काम करना चाहिए.

विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में प्रत्येक भारतीय को सक्रिय भागीदार बनाने के लिए उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन के उदाहरण का अनुसरण करने का आग्रह किया. जिस तरह सभी क्षेत्रों के पुरुषों, महिलाओं और बच्चों ने अपनी अलग-अलग परिस्थितियों, वैचारिक मतभेदों और अलग-अलग साधनों के बावजूद स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया, उसी तरह प्रत्येक भारतीय को 2047 तक विकसित भारत बनाने की दिशा में काम करना चाहिए.

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दांडी मार्च के 25 साल बाद भारत के स्वतंत्र होने का हवाला देते हुए, जो उस समय की एक बड़ी क्रांति थी, प्रधानमंत्री ने कहा कि इसी तरह, 2047 तक विकसित भारत बनाने की दिशा में काम करना चाहिए.

तीन दिवसीय सम्मेलन में विशेष विषयों पर जोर दिया गया, जिसमें विनिर्माण, सेवा, ग्रामीण गैर-कृषि, शहरी, नवीकरणीय ऊर्जा और परिपत्र अर्थव्यवस्था शामिल थे.

 सम्मेलन में मुख्य सचिवों, सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के वरिष्ठ अधिकारियों, डोमेन विशेषज्ञों और केंद्र के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया.
 


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