"गलत तथ्यों को रोकना चाहिए" : ट्रस्ट में हिंदू प्रार्थना न होने के आरोपों पर बोलीं इला गांधी
दक्षिण अफ़्रीक का शांति कार्यकर्ता और महात्मा गांधी की पोती इला गांधी ने कहा है कि घृणा, शत्रुता और हिंसा किसी भी धार्मिक शिक्षा का हिस्सा नहीं हैं और जो लोग धर्म के नाम पर इन्हें बढ़ावा देते हैं, वे उपद्रवी कारणों से अपने विश्वासों की गलत व्याख्या कर रहे हैं और इससे दूर रहना चाहिए. उनकी यह टिप्पणी तब आई जब उन्होंने उन सोशल मीडिया पोस्टों का जवाब दिया, जिनमें दावा किया गया था कि गांधी विकास और फीनिक्स सेटलमेंट ट्रस्ट ने फीनिक्स सेटलमेंट में आयोजित एक अंतरधार्मिक बैठक में जानबूझरकर हिंदू प्रार्थनाओं को छोड़ दिया था, जिसकी शुरुआत उनके दादा महात्मा गांधी ने डरबन में अपने कार्यकाल के दौरान शुरू किया था.
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इला गांधी ने कहा, “हमारे सभी विश्वास और हमारे धर्मग्रंथ हमें अच्छे, दयालु और प्रेमपूर्ण इंसान बनने का मार्गदर्शन करते हैं. घृणा, शत्रुता और हिंसा हमारी आवश्यक धार्मिक शिक्षाओं का हिस्सा नहीं हैं. जो लोग धर्म के नाम पर कृत्यों को बढ़ावा देते हैं, वे उपद्रवी कारणों से अपने विश्वासों की गलत व्याख्या कर रहे हैं और उनसे बचना चाहिए.”
इला, गांधी विकास और फीनिक्स सेटलमेंट ट्रस्ट की चेयरपर्सन हैं और उन्होंने कहा, “इस तरह के कदम हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच विभाजन पैदा करने और गांधी जी और मुझे हिंदू समुदाय से अलग करने के प्रयास हैं.” इला ने ओपन लेटर में कहा, तथ्यों को सार्वजनिक रूप से बताना महत्वपूर्ण है ताकि जो चीज की जा रही है उसे अभी रोका जा सके.
इला ने चार हिंदू संगठनों को निमंत्रित करने का हवाला देते हुए कहा, “स्पष्ट करने के लिए, मैंने व्यक्तिगत रूप से कई हिंदू संगठनों और हिंदुओ सामूहिक रूप से इस समारोह में हिंदू प्रार्थना करने के लिए आमंत्रित किया था.”
उन्होंने कहा, “महत्वपूर्ण बात यह है कि, आज तक, फीनिक्स सेटलमेंट के अस्तित्व के 120 वर्षों में, किसी ने भी हम पर जानबूझकर एक संप्रदाय को छोड़ने या “सामूहिक उपदेश” में संलग्न होने का आरोप नहीं लगाया है, जैसा कि पोस्टिंग में आरोप लगाया गया है”.