रतन टाटा को देश में ही नहीं दुनिया भर में मिला सम्मान, लिस्ट देख गर्व से भर उठेंगे
Ratan Tata Death: देश और दुनिया के दिग्गज उद्योगपतियों में से एक रतन टाटा नहीं रहे. उन्हें दुनिया भर में कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था. भारत के 50वें गणतंत्र दिवस समारोह पर 26 जनवरी 2000 रतन टाटा को तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था. इसके बाद 26 जनवरी 2008 को भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया. उन्हें नैसकॉम ग्लोबल लीडरशिप (NASSCOM Global Leadership) पुरस्कार से भी 2008 में सम्मानित किया गया था. ये पुरस्कार उन्हें 14 फरवरी 2008 को मुंबई में एक समारोह में दिया गया. रतन टाटा ने 2007 में टाटा परिवार की ओर से परोपकार का कारनैगी पदक प्राप्त किया.
रतन टाटा मित्सुबिशी निगम (Mitsubishi Corporation), अमेरिकन इंटरनेशनल समूह (American International Group), जेपी मॉर्गन चेज़ (JP Morgan Chase) और बूज़ एलन हैमिल्टन (Booz Allen Hamilton) के अंतरराष्ट्रीय सलाहकार बोर्ड के सदस्य थे. वे रैंड निगम (RAND Corporation) और कॉर्नेल विश्वविद्यालय (Cornell University) और दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय (University of Southern California) के न्यासी मंडल के भी सदस्य थे.
कई देशों में सलाहकार थे
वे दक्षिण अफ्रीका गणराज्य की अंतरराष्ट्रीय निवेश परिषद के बोर्ड सदस्य थे और न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज के एशिया पेसिफिक सलाहकार समिति के सदस्य थे. रतन टाटा टाटा एशिया पेसिफिक पॉलिसी के रैंड केंद्र के सलाहकार बोर्ड, पूर्व-पश्चिम केन्द्र के बोर्ड ऑफ़ गवर्नर्स में शामिल रहे. बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन (Bill & Melinda Gates Foundation) के भारत एड्स इनिशीएटिव कार्यक्रम बोर्ड में भी सेवारत थे. फरवरी 2004 में रतन टाटा को चीन के झोज्यांग प्रान्त में हांग्जो (Hangzhou) शहर में मानद आर्थिक सलाहकार की उपाधि से सम्मानित किया गया था.
उन्हें लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स (London School of Economics) से मानद डॉक्टरेट की उपाधि भी मिली थी और नवंबर 2007 में फॉर्च्यून पत्रिका ने उन्हें व्यापर क्षेत्र के 25 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल किया था. मई 2008 में टाटा को टाइम पत्रिका की 2008 की विश्व के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल किया गया.
रतन टाटा आखिरी समय तक रहे अकेले, खुद बताई थी अपनी प्रेम कहानी…यहां जानिए उनकी लव स्टोरी
रतन टाटा नहीं रहे, बचपन से लेकर अंत तक हुआ मुसीबतों से सामना, हर बार निकले ‘बाजीगर’ बनकर
दिल छू लेते थे रतन टाटा…जब अपने बीमार कर्मचारी का हालचाल लेने मुंबई से पुणे चले आए थे