हरदा ब्लास्ट : फैक्ट्री की सरकारी जांच में मिली थीं 11 खामियां, फिर भी बेधड़क कैसे बन रहे थे पटाखे?
2022 में तत्कालीन हरदा SDM श्रृति अग्रवाल ने पटाखे बनाने वाली इस फैक्ट्री की जांच कर 11 सवाल उठाये थे, जो सही मिले थे. उनके आधार पर जिला कलेक्टर ने फैक्ट्री का लाइसेंस सस्पेंड कर दिया था. The Hindkeshariके पास इस जांच की कॉपी है. हालांकि, बाद में दीपावली के नाम पर इस आदेश पर स्टे दे दिया गया.
Harda Blast : हरदा SP, कलेक्टर हटाए गए, CM मोहन यादव के दौरे के बाद बड़ा एक्शन
तत्कालीन हरदा SDM पटाखा फैक्ट्री को लेकर उठाए थे ये सवाल:-
1. पटाखा निर्माण परिसर के स्वीकृत नक्शे/ डिजाइन की जानकारी नहीं थी. पटाखा फैक्ट्री एक रिहाइशी इलाके में अवैध रूप से चल रही थी.
2. पटाखे एक मंजिला इमारत में बनाए जाने थे, जिसके सारे दरवाजे बाहर खुलने चाहिये. लेकिन फैक्ट्री में ये इंतजाम नहीं था. जांच में फैक्ट्री 2 मंज़िला मिली. पहली मंजिल पर पटाखे बन रहे थे. दूसरे फ्लोर पर तैयार किए गए पटाखे और बारूद को स्टोर किया गया था.
3. नियमों के तहत पटाखे एक खास कमरे में बनाए जाएंगे. स्टोरेज की जगह से इस कमरे की दूरी कम से कम 45 मीटर होनी चाहिए. लेकिन हरदा की फैक्ट्री में पटाखा निर्माण, कमरा और स्टोरेज एक ही बिल्डिंग में था.
बच्चे स्कूल में थे, मां-बाप बारूद में उड़ गए : हरदा के मासूमों के आंसुओं का जवाब कौन देगा?
4. स्टोर रूम में जहां पर विस्फोटक बनाने का सामान रखा जाता है, वहां बड़ी मात्रा में खुली छत पर 18 बड़े टब में घुला हुआ मैदा, 6 ड्रम कलर, 108 सुतली धागा बंडल, अनुमानित 36 बोरी डस्टिंग पाउडर, 55 बड़े टब में खुला हुआ मैदा और 127 बोरी पाउडर पाया गया. ये नियमों का उल्लंघन है.
5. नियम कहता है कि फैक्ट्री में विस्फोटक की मात्रा LE-1 में उल्लेखित से अधिक नहीं होगी. लेकिन हरदा फैक्ट्री की जांच में करीब 7 लाख 35 हजार नग सुतली बम और दूसरे पटाखे मिले. इससे पता चलता है कि यहां निर्धारित 15 किलो ग्राम मात्रा से कई गुना ज्यादा मैन्युफैक्चरिंग की जा रही थी.
हरदा ब्लास्ट के बाद एक्शन में MP प्रशासन, छापेमारी के बाद ‘मौत के कारखानों’ से भारी विस्फोटक बरामद
6. आतिशबाजी बनाने और स्टोर रूम के लिए दरवाजे लकड़ी के बने होने चाहिए. या दरवाजे जीआई चादर से ढंके लकड़ी के फ्रेम से बने होने चाहिए हो, जिनमें लोहे के कब्जे नहीं होंगे. लेकिन यहां पूरे परिसर के दरवाजे लोहे या स्टील से बने थे.
7. आतिशबाजी और स्टोरेज की जगह के लिए तय बिल्डिंग में कमरे आमने-सामने नहीं होने चाहिए थे, लेकिन यहां दोनों के कमरे आमने-सामने थे.
8. विस्फोटक नियम 2008 के नियम 13 (1) के मुताबिक, कम से कम 15 सेंटीमीटर से अधिक गहरी सीमेंट की ट्रोजिमा या ट्रफ या स्टोरेज रूम के हर कमरे में लगाया जाएगा. ऐसे ट्रोजिमा में साफ पानी होगा, जहां कोई भी शख्स बगैर पैर डुबोये, अंदर नहीं जाएगा. लेकिन जांच में पाया गया कि फैक्ट्री में इस तरह के नियमों का पालन नहीं किया जा रहा था.
9. जिस काम के लिये कमरा निर्धारित गया हो उसमें वही काम होगा, लेकिन वहां एक ही परिसर के कुछ कमरों में निर्माण में उपयोग होने वाले कलर्स, पैकिंग सामग्री, प्लास्टिक के बैग सभी एक साथ पाए गए थे, जिससे नियम 2008 के नियम 28 का उल्लंघन हुआ.
10. विस्फोटक नियम 2008 के नियम 32 अनुसार, इमारत के बाहर और अंदर लाइसेंसिंग अथॉरिटी की ओर से मंजूर किए गए पहचान संख्या और नाम, मानक सीमा, और विस्फोटकों की सीमा सामान्य सुरक्षा अनुदेशों, प्रचालक अनुदेशों आदि का प्रदर्शन करना अनिवार्य है. लेकिन जांच के समय विस्फोटक नियम 2008 के नियम 32 का पालन होना नहीं पाया गया.
11. तीन लाइसेंस नियमानुसार अलग-अगल स्थानों पर होना चाहिए. लेकिन मौके पर तीनों लाइसेंस एक ही परिसर बैरागढ़ में पाए गए थे. मौके पर तीनों लाइसेंस के संबंध में अलग-अलग स्टॉक लाइसेंस के लिए अप्रूव्ड नक्शों के संबंध में भी जानकारी पेश नहीं की गई थी.
‘हरदा फैक्ट्री ब्लास्ट में मारे गए लोगों की सही संख्या छिपा रही सरकार’, जीतू पटवारी का बड़ा आरोप
2015 में और 2021 में भी हो चुका हादसा
इसी फैक्ट्री में 2015 में हादसा हुआ था, जिसमें 2 लोगों की मौत हुई थी. हमारी तफ्तीश में ये भी पता चला है कि 2017 में फैक्ट्री के मालिकों ने विस्फोटक अधिनियम के तहत अपने लाइसेंस को रिन्यू कराने के लिए हरदा जिला प्रशासन को आवेदन दिया. हालांकि, तब हरदा जिला कलेक्टर ने जांच में पाया था कि यह फैक्ट्री पटाखों के निर्माण में लगी हुई है, जबकि उसके पास केवल पटाखों को स्टॉक करने और बेचने का लाइसेंस था.
उस वक्त भी फैक्ट्री सील हुई थी. 2021 में भी धमाके के बाद 3 लोगों की मौत हुई थी, जिसके बाद मालिक गिरफ्तार हुए फैक्ट्री सील हुई. लेकिन फिर इसका संचालन फिर से शुरू हो गया. जबकि स्थानीय लोगों ने भी कई बार प्रशासन से इसकी शिकायत की थी.
फैक्ट्री के मालिक अग्रवाल परिवार सियासी रसूख रखते हैं. हरदा के एक रसूखदार नेता ने 2017-18 में भी जिला प्रशासन पर फैक्ट्री को सील नहीं करने के लिए दबाव बनाने की कोशिश भी की थी, लेकिन तत्कालीन जिला कलेक्टर ने उनकी नहीं सुनी और नियमों की अनदेखी कर काम करने पर फैक्ट्री को सील कर दिया था. लेकिन 2022 में रसूख नियमों पर भारी पड़ा. अब मंगलवार (6 फरवरी) को इस फैक्ट्री में जोरदार धमाका हुआ, जिसमें 11 लोगों की जान गई, जबकि 200 से ज्यादा जख्मी हुए.
हरदा हादसा: प्रशासन है गुनहगार! 11 गड़बड़ियां मिलने के बावजूद क्यों बनने दिए पटाखे?