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वामपंथी उग्रवाद की चपेट में छत्तीसगढ़ के 15 जिले, देखिए अब तक हुए बड़े नक्सली हमलों की टाइमलाइन


नई दिल्ली:

छत्तीसगढ़ के बीजापुर में सोमवार को नक्सलियों हमले में सुरक्षाबलों के 9 जवान शहीद हो गए. नक्सलियों ने ज्वॉइंट ऑपरेशन खत्म करके बेस कैंप लौट रही सुरक्षाबलों की एक गाड़ी को टारगेट करके IED ब्लास्ट किया था. धमाका इतना जोरदार था कि बख्तरबंद गाड़ी के पार्ट्स 30 फीट दूर पेड़ पर अटके मिले.

पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी गांव से साल 1967 में नक्सलवाद की शुरुआत हुई थी. आज ये छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है. छत्तीसगढ़ पिछले 50 सालों से नक्सलवाद से संघर्ष कर रहा है. इस दौरान कई जवान शहीद हुए. सेना और सुरक्षाबलों ने कई ऑपरेशन में नक्सलियों को मार भी गिराया है. 

छत्तीसगढ़ में बड़ा हमला, नक्सलियों ने सुरक्षाबलों की गाड़ी को IED से उड़ाया, 9 जवान शहीद

गृह मंत्रालय की ओर से जारी की गई जानकारी के मुताबिक, देश में कुल 38 जिले वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित हैं. इसमें छत्तीसगढ़ टॉप पर है. छत्तीसगढ़ के कुल 33 में से 15 जिले वामपंथी उग्रवाद की चपेट में हैं. जबकि ओडिशा के 7 और झारखंड के 5 जिले वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित हैं. देखिए छत्तीसगढ़ में हुए बड़े नक्सली हमलों की टाइमलाइन:

कब-कब हुई मुठभेड़?
20 जून 2009– दंतेवाड़ा में हुए नक्सली हमले में CRPF के 11 जवान शहीद हुए.
6 अप्रैल 2010– दंतेवाड़ा हमले में 76 जवान शहीद हुए.
17 मई 2010- दंतेवाड़ा में स्पेशल टीम के 12 और 36 आम नागरिकों की मौत हुई.
29 जून 2010– नारायणपुर में हुए नक्सली हमले CRPF के 27 जवान शहीद हुए.
19 अगस्त 2011- बीजापुर में 11 जवान नक्सली हमले में शहीद हुए.
13 मई 2012– NDMC के प्लांट में ब्लास्ट, CISF के 6 जवान शहीद.
11 मार्च 2014- CRPF के 15 जवान और स्टेट पुलिस के 5 जवान शहीद.
11 मार्च 2017- नक्सलियों का एंबुश अटैक, CRPF के 12 जवान शहीद हुए.
24 अप्रैल 2017- सुकमा में बड़ा नक्सली हमला, CRPF के 25 जवान शहीद हुए.
13 मार्च 2018- सुकमा में IED ब्लास्ट, 8 जवान शहीद हुए.
22 मार्च 2020- नक्सलियों के एंबुश में फंसकर 17 जवान शहीद हो गए.
3 अप्रैल 2021-बीजापुर में नक्सलियों का हमला, एंबुश में 23 जवान शहीद हो गए.
26 अप्रैल 2023- दंतेवाड़ा में नक्सलियों के IED ब्लास्ट में सुरक्षाबलों के 10 जवान शहीद.
13 मार्च 2024- छत्तीसगढ़-तेलंगाना बॉर्डर पर 3 मुठभेड़ हुए. इस दौरान 42 नक्सली मारे गए.
2 अप्रैल 2024- बीजापुर के करचोली में 13 नक्सलियों को ढेर किया गया.
5 अप्रैल 2024-  दंतेवाड़ा हमले में सुरक्षाबलों ने 6 नक्सलियों को ढेर किया.
15 अप्रैल 2024- कांकेर में एक ज्वॉइंट ऑपरेशन में 29 नक्सलियों को मार गिराया गया.
29 अप्रैल 2024- नारायणपुर में एक ऑपरेशन में सुरक्षाबलों ने 10 नक्सलियों को मार गिराया.
10 मई 2024- बीजापुर में 12 नक्सली ढेर किए गए.
23 मई 2024- अबूझमाड़ के रेकावाया में 8 नक्सली मारे गए.
8 जून 2024- अबूझमाड़ के आमदई एरिया में 6 नक्सली मारे गए.    
17 जुलाई 2024- छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र बॉर्डर पर एक एनकाउंटर में 12 नक्सली मारे गए.
18 जुलाई 2024- दंतेवाड़ा में एक मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने महिला नक्सली को मार गिराया.
20 जुलाई 2024- सुकमा के जगरगुंडा में मुठभेड़ हुई. इसमें 7 नक्सली मारे गए.
29 अगस्त 2024- नारायणपुर-कांकेर बॉर्डर पर मुठभेड़ हुई, इसमें 3 महिला नक्सलियों की ढेर किया गया.

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ये हैं छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाके
छत्तीसगढ़ 1 नवंबर 2000 को ही मध्य प्रदेश से अलग होकर भारत का 26वां राज्य बना था. इस राज्य के नक्सल प्रभावित जिलों में पूरा बस्तर संभाग शामिल हैं. बीजापुर, सुकमा, दंतेवाड़ा, बस्तर, नारायणपुर, कोंडागांव, कांकेर, राजनांदगांव, बालोद, गरियाबंद, धमतरी, महासमुंद, कवर्धा, अबूझमाड़ और बलरामपुर हार्ड कोर नक्सल प्रभावित इलाके माने जाते हैं. इसके अलावा राजनांदगांव, मोहला मानपुर अंबागढ़, खैरागढ़ छुईखदान गंडई, सुकमा कबीरधाम और मुंगेली जिले हैं. ये सभी जिले वामपंथ उग्रवाद वाले जिले में शामिल हैं. इन जिलों की सुरक्षा में करीब 60 हजार से भी ज्यादा जवान तैनात है. 

संसद में 7 अगस्त 2024 में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने एक रिपोर्ट पेश की थी. उसके मुताबिक, साल 2010 में 96 जिले के 465 पुलिस स्टेशन और साल 2023 में 42 जिलों के 171 पुलिस स्टेशन वामपंथी उग्रवाद प्रभावित पुलिस स्टेशनों की श्रेणी में थे. सुरक्षाबलों के लगातार ऑपरेशन के बाद इनकी संख्या में कमी आई है. 

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने कहा था, “इससे स्पष्ट है कि लगातार नक्सलियों के खिलाफ चल रही कार्रवाई से नक्सलियों का मनोबल गिरा है. साथ ही नीतिगत सुरक्षा पुनर्वास नीति, विकास संबंधी क्रियाकलापों का भी असर पड़ा है. स्थानीय लोगों के अधिकारों में बहुआयामी बदलाव और रोजगार के अवसर के साथ मजबूत रणनीति की परिकल्पना ने वामपंथी उग्रवाद को कम करने की दिशा में काम किया है. इसमें स्थानीय लोगों का भी सहयोग रहा है.”

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