औरंगजेब विवाद: अदालत से जमानत मिलने के बाद मुंबई पुलिस के सामने पेश हुए अबू आजमी

मुंबई:
महाराष्ट्र में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और विधायक अबू आजमी बुधवार को मरीन ड्राइव पुलिस स्टेशन पहुंचे. अदालत के आदेश पर आजमी पुलिस स्टेशन पहुंचे थे. मीडिया से बात करते हुए आजमी ने कहा कि मैं छत्रपति संभाजी महाराज और शिवाजी महाराज का सम्मान करता हूं. इस मामले में एंटीसिपेटरी बेल मैंने ले लिया है. मुझे तीन दिन पुलिस स्टेशन जाकर साइन करना है. इसमें तो कोई केस ही नहीं बनता था, पर अब मैं डरता तो जरूर हूं, जब बिना कुछ किए ही केस हो जा रहा है.
#WATCH | Mumbai: After appearing before the Police over his controversial statement about Aurangzeb, Samajwadi Party MLA Abu Azmi says, ” …I am not There is no need to record statement, there is no case…FIR had been registered against me…I took anticipatory bail. I got the… pic.twitter.com/3MZPbUNf1H
— ANI (@ANI) March 12, 2025
बता दें कि सपा नेता अबू आजमी ने बीते दिनों मुगल शासक औरंगजेब की तारीफ की थी. अबू आजमी ने कहा था, “औरंगजेब इंसाफ पसंद बादशाह था. उसके कार्यकाल में ही भारत सोने की चिड़िया बना. मैं औरंगजेब को क्रूर शासक नहीं मानता हूं. औरंगजेब के समय में राजकाज की लड़ाई थी, धर्म की नहीं थी, हिंदू-मुसलमान की लड़ाई नहीं थी. औरंगजेब ने अपने कार्यकाल में कई हिंदू मंदिरों का निर्माण करवाया. औरंगजेब को लेकर गलत इतिहास दिखाया जा रहा है.” हालांकि,बाद में अबू आजमी ने अपने बयान पर सफाई पेश करते हुए कहा कि उनके शब्दों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया.
छावा फिल्म से शुरू हुआ था विवाद
हाल ही में रिलीज हुई फिल्म ‘छावा’ ने औरंगजेब को लेकर बहस की शुरुआत की थी. यह फिल्म मराठा साम्राज्य के दूसरे शासक और छत्रपति शिवाजी महाराज के बड़े बेटे संभाजी महाराज की जिंदगी पर आधारित थी. फिल्म में विक्की कौशल ने संभाजी का किरदार निभाया है, जबकि अक्षय खन्ना ने औरंगजेब की भूमिका अदा की है. फिल्म में संभाजी के साहस, बलिदान और औरंगजेब के अत्याचारों को दिखाया गया है. संभाजी को औरंगजेब ने 1689 में क्रूरता से मरवा दिया था, जिसे फिल्म में भावनात्मक ढंग से पेश करने की कोशिश हुई थी.
शिवाजी और औरंगजेब का क्या था विवाद
औरंगजेब जो 1658 से 1707 तक मुगल बादशाह रहा, अपनी धार्मिक कट्टरता और सख्त शरिया कानूनों के लिए जाना जाता है. दूसरी ओर, शिवाजी महाराज ने मराठा स्वराज की स्थापना की और मुगलों के खिलाफ कई लड़ाइयां लड़ीं. 1666 में औरंगजेब ने शिवाजी को आगरा बुलाया और उन्हें कैद करने की कोशिश की, लेकिन शिवाजी चतुराई से मिठाई की टोकरियों में छिपकर भाग निकले. यह घटना औरंगजेब के लिए अपमानजनक थी और दोनों के बीच दुश्मनी को गहरा कर गई.
शिवाजी की मृत्यु के बाद उनके बेटे संभाजी ने मराठा साम्राज्य को संभाला. 1689 में औरंगजेब ने संभाजी को पकड़ लिया और उनकी क्रूर हत्या कर दी. इस घटना ने मराठों और मुगलों के बीच की लड़ाई को और बढ़ा दिया. इतिहासकारों के मुताबिक, औरंगजेब ने अपने शासन में कई मंदिरों को नष्ट किया और जजिया कर लागू किया, जिससे हिंदू समुदाय में उसके खिलाफ नाराजगी बढ़ी. वहीं, कुछ लोग मानते हैं कि औरंगजेब एक कुशल प्रशासक था, जिसने विशाल साम्राज्य को एकजुट रखा.
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