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SC की सख्ती के बाद चुनावी बॉन्ड के नंबरों समेत SBI ने चुनाव आयोग को दिया सारा डेटा

SBI ने चुनाव आयोग को चुनावी बॉन्ड से जुड़े सभी डेटा सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत आज उपलब्ध करा दिए.

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने आज हलफनामा दाखिल कर बताया कि उसने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन कर दिया है. चुनाव आयोग को (ECI) दानदाता और लाभार्थी पक्ष की चुनावी बॉन्ड (EB) संख्या दे दी गई है. SBI के चेयरमैन दिनेश खारा ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि⁠ बैंक ने अब ECI को संचयी रूप से EB क्रेता का नाम, मूल्यवर्ग और EB  की विशिष्ट संख्या, EB भुनाने वाली पार्टी का नाम और पार्टी के बैंक खाते के अंतिम चार अंक दिए हैं. ⁠इस हलफनामे में कहा गया है कि चुनावी बॉन्ड का कोई अन्य विवरण अब बैंक के पास नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद भारतीय स्टेट बैंक ने चुनावी बॉन्ड पर सारी जानकारी चुनाव आयोग को सौंप दी है. चुनाव आयोग को दिए डेटा में चुनावी बॉन्ड के सभी यूनीक नंबर शामिल हैं. इन यूनीक नंबरों के जरिए दानदाताओं और चंदा पाने वाले राजनीतिक दलों के बारे में जानकारी मिल सकेगी. एसबीआई द्वारा दिए गए विवरण को जल्द ही चुनाव आयोग अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर सकता है.

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18 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से कहा था कि हम जो जानकारी आपसे चाहते हैं, वो आप अभी तक नहीं दे पाएं हैं. हमने आपसे जो भी जानकारी मांगी है, उसे देने के लिए आप बाध्य हैं. आपको हर जानकारी विस्तार से देनी होगी. कोर्ट ने आगे कहा है कि एसबीआई को बॉन्ड नंबर देना होगा. साथ ही बॉन्ड से जुड़ी हर जानकारी भी कोर्ट को देनी होगी. कोर्ट ने आगे कहा कि SBI हलफनामा देकर बताए कि उसने कोई जानकारी नहीं छिपाई है. 

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सुप्रीम कोर्ट के इसी सख्त रुख के बाद आज एसबीआई के चुनावी बॉन्ड से संबंधित सभी डेटा चुनाव आयोग को उपलब्ध कराए हैं. अब चुनाव आयोग को इस डेटा को अपनी वेबसाइट पर अपलोड करना है. माना जा रहा है कि देर शाम तक यह डेटा चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध हो जाएगा. 

एसबीआई ने पहले चुनाव आयोग को दो सूचियां दी थीं, जिन्हें चुनाव आयोग ने 14 मार्च को अपनी वेबसाइट पर जारी किया था. पहले में दानदाताओं के नाम, बॉन्ड के मूल्यवर्ग और उन्हें खरीदे जाने की तारीखें थीं. दूसरे में राजनीतिक दलों के नाम के साथ-साथ बॉन्ड के मूल्य और उन्हें भुनाए जाने की तारीखें थीं. हालांकि, यूनीक नंबरों के बिना यह पता लगाने का कोई तरीका नहीं था कि किस दानदाता ने किस पार्टी को कितना रुपया दिया.

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