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बांग्लादेश में इस साल हिंदुओं पर अत्याचार के सारे रिकॉर्ड टूटे, पाकिस्तान का रहा यह हाल

विदेश राज्य मंत्री ने भारत के एक और पड़ोसी पाकिस्तान में भी हिंदुओं और दूसरे अल्पसंख्यकों के साथ हुई हिंसा की जानकारी दी है. इसके मुताबिक पाकिस्तान में 2022 में हिंदुओं और दूसरे अल्पसंख्यकों के साथ हिंसा की 241, 2023 में 103 और 2024 में अक्तूबर तक 112 घटनाएं दर्ज की गई थीं. 

हिंदुओं पर अत्याचार को गंभीरता से ले रही है भारत सरकार 

केंद्र सरकार का कहना है कि बांग्लादेश में हिंदुओं और दूसरे अल्पसंख्यकों के साथ हुई हिंसा की इन घटनाओं को गंभीरता से लिया है. सरकार ने अपनी चिंताओं से बांग्लादेश की सरकार को अवगत कराया है. सरकार को उम्मीद है कि बांग्लादेश की सरकार हिंदुओं और दूसरे अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाएगी. सरकार ने बताया है कि विदेश सचिव इस साल नौ दिसंबर को बांग्लादेश की यात्रा पर गए थे.इस दौरान वहां के अधिकारियों के साथ बैठक में उन्होंने इस मुद्दे को उठाया. सरकार ने बताया कि ढाका में स्थित भारतीय हाई कमीशन बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के हालात पर नजर रखे हुए है.

सरकार ने बताया है कि सरकार ने कूटनीतिक चैनलों के जरिए पाकिस्तान में हिंदुओं और दूसरे अल्पसंख्यकों के साथ हिंसा की घटनाओं को उठाया है. सरकार ने पाकिस्तान से इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठाने को कहा है. सरकार ने कहा है कि भारत अंतरराष्ट्रीय फोरमों में पाकिस्तान से हिंदुओं के पलायन के मामलों को उठाता रहता है. 

शेख हसीना की सरकार का पतन

बांग्लादेश में इस साल अगस्त तक शेख हसीना की सरकार थी. लेकिन युवाओं के हिंसक प्रदर्शन के बाद शेख हसीना को अपनी गद्दी से हाथ धोना पड़ा था. वो इस्तीफा देकर भारत आ गई थीं. उसके बाद से ही वो भारत में शरण लिए हुए हैं.

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बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार के गिरने के बाद नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार सत्ता में आई. लेकिन यह सरकार हिंदुओं पर हिंसा की घटनाओं को रोकने में नाकाम साबित हुई है. शेख हसीना की सरकार गिरने के साथ ही बांग्लादेश में हिंदुओं और दूसरे धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा में तेजी आ गई थी. वहां की सरकार ने इन हिंसाओं के खिलाफ आवाज उठाने वाले चिन्मय कृष्ण दास को जेल में डाल दिया था. उसके बाद से ही वो जेल में हैं. बांग्लादेश में हिंदुओं पर हिंसा के विरोध में भारत में हर तबके के लोगों ने विरोध-प्रदर्शन कर सरकार से इस तरह की हिंसा को रोकने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की है. 

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