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'अमरावती' आंध्र प्रदेश की नई राजधानी की कहानी, जिसका सपना चंद्रबाबू नायडू ने देखा

चंद्रबाबू नायडू ने आज मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. इससे पहले मंगलवार को उन्होंने घोषणा की कि प्रदेश की राजधानी अमरावती होगी विशाखापत्तनम नहीं. उन्होंने कहा कि विशाखापत्तनम को प्रदेश की आर्थिक राजधानी और हाईटेक सिटी के रूप में विकसित किया जाएगा. नायडू के इस बयान के बाद भी अमरावती एक बार फिर चर्चा में आ गई है. अधिकारियों ने वहां के दौरे शुरू कर, उसके विकास पर काम शुरू कर दिया है. आइए जानते हैं कि क्या है चंद्रबाबू नायडू का ड्रीम प्रोजक्ट अमरावती क्या है.

कांग्रेस के नेतृत्व वाली केंद्र की यूपीए सरकार ने फरवरी 2014 में आंध्र प्रदेश का बंटवारा दो हिस्सों में कर दिया था. आंध्र प्रदेश से अलग होकर तेलंगाना अलग राज्य बना.आंध्र प्रदेश पुनर्गनठन एक्ट के मुताबिक हैदराबाद अधिकतम 10 साल तक आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की राजधानी बनी रहेगी.इसके बाद आंध्र प्रदेश को अपनी नई राजधानी बसानी पड़ेगी.

चंद्रबाबू नायडू का सपना

आंध्र प्रदेश में 2014 में कराए गए विधानसभा चुनाव में चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) ने जीत दर्ज की. उसे राज्य की 175 सीटों वाली विधानसभा में 102 सीटों पर विजय मिली थी.वहीं जगनमोहन की वाईएसआर कांग्रेस पार्टी को 67 सीटें मिलीं. वो विपक्ष की मुख्य पार्टी थी.

मुख्यमंत्री बनने के बाद चंद्रबाबू नायडू ने नई राजधानी बसाने के लिए जगह की पहचान करने के लिए एक कमेटी का गठन किया.इस कमेटी के प्रमुख थे नायडू सरकार में नगर विकास मंत्री पी नारायणा. इस कमेटी ने प्रदेश की नई राजधानी के लिए अमरावती का चुनाव किया.इसे सरकार ने भी मंजूरी दे दी.इसके बाद सरकार ने किसानों से जमीन अधिग्रहण का काम शुरू किया.सरकार ने 29 गांवों की 54 हजार एकड़ जमीन में से 38 हजार 851 एकड़ जमीन अधिग्रिहित करना तय किया. 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी थी आधारशिला

इतना सब होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 अक्टूबर 2015 को अमरावती में नई राजधानी के निर्माण का शिलान्यास किया था.चंद्रबाबू नायडू का सपना अमरावती को दुनिया के पांच बड़े शहरों में शामिल करने का है.

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आंध्र प्रदेश की राजधानी अमरावती में सड़क की फाइल फोटो.

आंध्र प्रदेश की राजधानी अमरावती में सड़क की फाइल फोटो.

किसानों से जमीन लेने के लिए नायडू की सरकार ने 1 जनवरी 2015 से लैंड पूलिंग स्कीम नाम की एक योजना शुरू की. इसके तहत दो महीने में 33 हजार एकड़ से अधिक जमीन का अधिग्रहण कर लिया.अब तक अमरावती में 28 हजार 733 किसानों से 34 हजार चार सौ एकड़ से अधिक जमीन अधिग्रहीत की जा चुकी है.इसके साथ ही इस परियोजना का विरोध भी हो रहा था.जगनमोहन की पार्टी ने जमीन अधिग्रहण में जातिवाद का आरोप लगाया. वहीं अमरावती को राजधानी बनाने का विरोध पर्यावरण विशेषज्ञों ने भी किया.उनका कहना था कि खेती की जमीन को कंक्रीट का जंगल बनाना पर्यावरण के लिहाज से ठीक नहीं है.सरकार के फैसले को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में भी चुनौती दी गई, लेकिन एनजीटी ने जनवरी 2019 में सरकार के फैसले का समर्थन किया. 

अमरावती में अदालत

सराकार ने साल 2019 में सरकार, प्रशासन और अदालत को अमरावती में शिफ्ट कर दिया. वहां विधानसभा और विधानमंडल के साथ हाई कोर्ट का अस्थाई निर्माण भी शुरू हो गया था.

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चंद्रबाबू नायडू के मुख्यमंत्री कार्यकाल में विपक्ष के नेता जगनमोहन ने उनके फैसले का समर्थन किया. लेकिन जून 2019 में कराए गए चुनाव में जगन मोहन की पार्टी ने प्रचंड बहुमत हासिल किया. उसने 175 में से 151 सीटें जीत लीं. वहीं नायडू की टीडीपी केवल 23 सीटें ही जीत पाई.नायडू की इस हार ने अमरावती के भविष्य पर ताला लगा दिया. 

मुख्यमंत्री बनने के बाद जगनमोहन ने उन अंतरराष्ट्रीय बैंकों जहां नायडू सरकार ने कर्ज के लिए आवेदन किया था, बताया कि अब कर्ज लेने में उनकी कोई रुचि नहीं है.इसके बाद बैंकों ने कर्ज देने की काम रोक दिया. वहीं जगनमोहन सरकार ने इस परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण के लिए अपनाई गई प्रक्रिया में अनियमितता की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया. इसने पी नारायणा को गिरफ्तार किया था. 

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जगनमोहन ने बनाई तीन राधानियां

जगनमोहन सरकार ने विधानसभा में’आंध्र प्रदेश डिसेंट्रलाइजेशन एंड इनक्लूसिव डेवलपमेंट ऑफ ऑल रीजन बिल’ पेश किया.यह बिल विधानसभा से पारित हो गया. लेकिन विधान परिषद में पारित नहीं हुआ.इस बिल में आंध्र प्रदेश के लिए तीन राजधानियों का प्रावधान था. इसमें अमरावती को विधायी राजधानी, विशाखापट्टनम को कार्यकारी राजधानी और कुरनूल न्यायिक राजधानी बनाने की बात कही गई थी. इसलिए इसे’थ्री कैपिटल बिल’भी कहा जाता है. जगनमोहन सरकार ने एक बिल के जरिए ‘आंध्र प्रदेश कैपिटल रीजन डेवेलपमेंट अथॉरिटी’ को भंग कर दिया.

अमरावकती में बना आंध्र प्रदेश का ट्रांजिट हाई कोर्ट.

अमरावकती में बना आंध्र प्रदेश का ट्रांजिट हाई कोर्ट.

विधान परिषद में बिल पारित न होने से दुखी जगनमोहन ने जनवरी 2020 में एक वैधानिक प्रस्ताव के जरिए विधान परिषद को ही भंग करने का प्रस्ताव पारित कर उसे मंजूरी के लिए केंद्र सरकार को भेज दिया. लेकिन केंद्र सरकार ने इसे मंजूरी नहीं दी.वाईआरएससीपी ने नवंबर 2021 में विधान परिषद में बहुमत हासिल कर लिया. इसके बाद उसने अपना प्रस्ताव वापस ले लिया.

जगनमोहन के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती

जगनमोहन सरकार के तीन राजधानी बनाने के फैसले से अमरावती के लोग खुश नहीं थे. उन्होंने सरकार के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी. अदालत ने मार्च 2022 फैसला सुनाया कि सरकार अपनी मर्जी से तीन राजधानियां नहीं बना सकती. अदालत ने सरकार को अमरावती में चल रहे विकास कार्यों को अगले छह महान में पूरा करने का आदेश दिया. इस दौरान खास बात यह हुई कि अदालत का फैसला आने से पहले ही जगनमोहन सरकार ने ‘थ्री कैपिटल बिल’ को वापस ले लिया और आंध्र प्रदेश कैपिटल रीजन डेवेलपमेंट अथॉरिटी को भंग करने वाले एक्ट को खारिज कर दिया. जगनमोहन सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. यह मामला अभी भी लंबित है.

जनवरी 2019 में निर्माणकार्यों का जायजा लेते तत्कालीन सीएम चंद्रबाबू नायडू.

जनवरी 2019 में निर्माणकार्यों का जायजा लेते तत्कालीन सीएम चंद्रबाबू नायडू.

हाई कोर्ट के फैसले के बाद आंध्र प्रदेश की राजधानी के रूप में अब अमरावती ही विकल्प है. लेकिन जगनमोहन सरकार ने वहां के निर्माण कार्यों को लेकर कोई खास रुचि नहीं दिखाई. लेकिन आधाकारिक रूप में अमरावती ही आंध्र प्रदेश की राजधानी है.

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कैसी होगी अमरावती

साल 2016 में तैयार नई राजधानी के मास्टर प्लान के मुताबिक इस परियोजना पर 50 हजार करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है. नायडू के पिछले कार्यकाल में इस परियोजना पर साढ़े 10 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए थे.नई राजधानी में एक नया शहर बसाने की योजना है. इसमें सड़कें काफी चौड़ी होंगी, एक अतंरराष्ट्रीय हवाई अड्डा होगा, मेट्रो रेल होगी.इसे ईबसों, वाटर टैक्सी और साइकिलों के जरिए जोड़ने की योजना है.अमरावती की शुरुआती परियोजना 217 वर्ग किलोमीटर की थी. यह छह कलस्टरों में बंटी हुई है.इसमें सिविक और एंटरटेनमेंट जैसे कलस्टर शामिल हैं. 

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