इस्तीफे की खबरों के बीच जानें आखिर जेडीयू में क्यों कमजोर हुए ललन सिंह?

ललन सिंह के इस्तीफे की चर्चाएं
जेडीयू में इन दिनों उथल-पुथल मची हुई है. 29 दिसंबर को राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक है. इससे पहले ही जेडीयू के अध्यक्ष ललन सिंह (Lalan Singh) के इस्तीफे को लेकर चर्चा हो रही है. कयास ये भी हैं कि ललन सिंह गए तो कौन अध्यक्ष होगा?
खुद नीतीश या कर्पूरी ठाकुर के बेटे रामनाथ ठाकुर या फिर विजय चौधरी. नीतीश कुमार भी लगातार अशोक चौधरी और ललन सिंह के संपर्क में हैं. क्या उपेंद्र कुशवाहा, आरसीपी सिंह की वापसी होगी. दरअसल, ललन सिंह आरसीपी को हटाकर ही जेडीयू के अध्यक्ष बने थे.
जानें क्यों जेडीयू में कमजोर हुए ललन सिंह?
यह भी पढ़ें
बतौर जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह एमपी चुनाव में गठबंधन करने में विफल रहे और वहां पार्टी को कोई फायदा नहीं हुआ. इसके साथ ही इंडिया गठबंधन में भी वह नीतीश कुमार का नाम आगे करने में फेल रहे. नीतीश कुमार के करीबी अशोक चौधरी से उनके मतभेद जगजाहिर हैं. कहा जाता है कि एक बैठक में लड़ाई-झगड़े के दौरान दोनों के बीच रिश्तों की कलई सबके सामने खुल गई थी. इसके साथ ही एनडीए गठबंधन में रहकर चुनाव जीते नेता ललन सिंह से नाराज हैं. ललन सिंह पर आरजेडी से नजदीकियों के भी आरोप हैं. तेजस्वी यादव को CM और ललन सिंह को डिप्टी सीएम की भी चर्चा रही, हालांकि दोनों पार्टियों ने इस तरह की खबरों से इंकार किया.
राष्ट्रीय सचिव राजीव रंजन प्रसाद अफवाहों को कर चुके हैं खारिज
उधर, जदयू के राष्ट्रीय सचिव राजीव रंजन प्रसाद ने इस मामले पर कहा कि पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष ने अपने इस्तीफे की अफवाहों के जवाब में खुद खंडन जारी किया है. अब तो इस बारे में बात नहीं की जानी चाहिए. नीतीश और ललन के बीच सब कुछ ठीक है, लेकिन फिर भी हम इसके बारे में बात कर रहे हैं क्योंकि भाजपा ऐसी अफवाहें फैलाती है और हमें इन्हें खारिज करने में अपना समय बर्बाद करना पड़ता है.
पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाह का बयान
वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाह ने ललन पर नीतीश कुमार और राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद दोनों को धोखे में रखकर समझौता करने का आरोप लगाया है. कुशवाह ने एक साल पहले जदयू छोड़कर नई पार्टी बना ली थी और भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतात्रिक गठबंधन में लौट आये हैं. उन्होंने कहा, ‘‘ललन ने नीतीश कुमार से वादा किया था कि लालू उन्हें भाजपा विरोधी गठबंधन के प्रधानमंत्री पद के चेहरे के रूप में समर्थन देंगे. दूसरी ओर उन्होंने राजद प्रमुख को आश्वासन दिया था कि जदयू का उनकी पार्टी में विलय हो जाएगा और उनके पुत्र (तेजस्वी यादव) CM बनेंगे. दोनों वादों को पूरा करने में वे असफल रहे .”संयोगवश जदयू ने जब बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़ा था और राजद, कांग्रेस और वाम दलों सहित ‘महागठबंधन’ में शामिल हो गई थी तब कुशवाहा पार्टी के संसदीय बोर्ड के प्रमुख थे. कुछ इसी तरह के विचार भाजपा नेता और पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने भी व्यक्त किए हैं. उन्होंने यह भी दावा किया कि नीतीश लालू प्रसाद के साथ ललन की ‘‘नजदीकियों” से सावधान हो गए थे.
जदयू के वरिष्ठ नेता ने कही ये बात
वैसे बता दें कि जदयू के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न उजागर करने की शर्त पर कहा कि जदयू के अध्यक्ष पद पर आसीन ललन ने वास्तव में पद छोड़ने की इच्छा व्यक्त की है . ऐसी चर्चा है कि ललन कुछ महीनों में होने वाले आम चुनाव के मद्देनजर अपने लोकसभा क्षेत्र मुंगेर में अधिक समय देना चाहते हैं. वहीं नीतीश ने ललन को तब तक पद पर बने रहने के लिए कहा है जब तक कि यह फैसला नहीं हो जाता कि अगला पार्टी प्रमुख कौन हो होगा.