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क्या BJP से नाराज हैं दलित वोटर्स? जानिए आखिर क्यों हुआ SC आरक्षित सीटों पर नुकसान


नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव 2024 (Lok sabha election 2024) में एनडीए को बहुमत मिल गया लेकिन इस चुनाव में बीजेपी अकेले दम पर बहुमत से दूर रह गयी. भारतीय जनता पार्टी को पिछले चुनाव में मिली 303 सीटों की तुलना में महज 240 सीटें मिली. बीजेपी की कम सीटों की समीक्षा की जा रही है. भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) के बहुमत से दूर रहने के पीछे एक कारण दलित सीटों पर उसके खराब प्रदर्शन को भी बताया जा रहा है. बीजेपी इस चुनाव में दलितों के लिए आरक्षित 84 सीटों में से केवल 30 सीटों पर ही जीतने में सफल रही है. पिछले चुनाव में बीजेपी को 45 सीटों पर जीत मिली थी. वहीं कांग्रेस पार्टी को दलित सीटों पर 2019 की तुलना में शानदार सफलता मिली है. कांग्रेस पार्टी ने 20 सीटों पर जीत दर्ज की है. 

बीजेपी से क्यों खिसके दलित वोटर्स? 

दलित वोटर्स से भारतीय जनता पार्टी को इस चुनाव में काफी उम्मीदें थी. हालांकि दलित वोट का एक बड़ा हिस्सा इस चुनाव में बीजेपी से दूर चला गया. इस मुद्दे पर राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी का मानना है कि विपक्ष की तरफ से बीजेपी पर लगाए गए संविधान बदलने की कोशिशों के आरोप का असर दलितों पर इस चुनाव में देखने को मिला. विपक्षी दल अपने नरेटिव को सेट करने में कामयाब रहे. बीजेपी को एससी एसटी सीटों पर इस कारण काफी नुकसान देखने को मिला.

मायावती को भी हुआ नुकसान
इस चुनाव में बहुजन समाज पार्टी को भी भारी नुकसान का सामना करना पड़ा. वोट प्रतिशत में भी गिरावट देखने को मिली. अमिताभ तिवारी ने बताया कि उत्तर प्रदेश में दलित वोट 21 प्रतिशत के आसपास है और बसपा को महज 9-10 प्रतिशत वोट मिले हैं. दलित मतों में जाटव और नॉन जाटव वोट हैं. नॉन जाटव वोट पहले से ही बीजेपी की तरफ शिफ्ट हो चुके हैं. अब बीजेपी को उम्मीद थी कि जाटव वोट भी बीजेपी की तरफ शिफ्ट हो सकते हैं. लेकिन जाटव और नॉन जाटव राजनीति के कारण जाटव वोट धीरे-धीरे समाजवादी पार्टी के करीब आता चला गया. सपा ने 6 जाटव उम्मीदवार इस चुनाव में उतारे थे. 2 जनरल सीटों पर सपा ने जाटव उम्मीदवार उतारा था. इसका फायदा सपा को मिला.  कांग्रेस के साथ गठबंधन का फायदा भी सपा को मिला. 

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ग्रामीण सीटों पर INDIA गठबंधन के प्रदर्शन में सुधार
ग्रामीण सीटों पर इंडिया गठबंधन के प्रदर्शन में इस चुनाव में बड़ी उछाल देखने को मिली है. भारत में 408 सीटें ऐसी हैं जिसे ग्रामीण सीट माना जाता है. इन सीटों पर ग्रामीण आबादी 60 प्रतिशत से अधिक है. इनमें से 226 सीटों पर एनडीए को जीत मिली है वहीं इंडिया गठबंधन को 170 सीटों पर जीत मिली है. अन्य को 8 सीटों पर जीत मिली है. 2019 के चुनाव में एनडीए का स्ट्राइक रेट इन सीटों पर 68 प्रतिशत था जो इस बार 55 प्रतिशत रहा. वहीं  इंडिया गठबंधन का 19 प्रतिशत था जो बढ़कर 41 प्रतिशत पर पहुंच गया. 

अमिताभ तिवारी ने बताया कि बीजेपी का स्ट्राइक रेट इस चुनाव में कम हुआ है. इस कारण इसका असर शहरी और ग्रामीण दोनों ही सीटों पर देखने को मिले हैं. हालांकि मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़,ओडिशा जैसे राज्यों की ग्रामीण सीटों पर भी बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन किया लेकिन कुछ राज्यों में जहां स्थानीय मुद्दे पर चुनाव हुए वहां बीजेपी को नुकसान का सामना करना पड़ा. 

गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के बाद केंद्र में तीसरी बार NDA की सरकार बनने जा रही है. नरेंद्र मोदी  9 जून को तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे. 2024  के लोकसभा चुनाव में BJP बहुमत से दूर रही. उसे 240 सीटें ही मिली हैं. जबकि NDA की 293 सीटें हैं. चंद्रबाबू नायडू  की पार्टी TDP को 16 और नीतीश कुमार की JDU को 12 सीटों पर जीत हासिल हुई है. लिहाजा नरेंद्र मोदी की सरकार नायडू और नीतीश के भरोसे रहेगी.

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