देश

Azamgarh Lok Sabha Seat: यहां जिसे मिला 'M-Y' का साथ उसने चखा सत्ता का स्वाद, यादव vs यादव में इस बार कौन मारेगा बाजी?

आजमगढ़ के सियासी इतिहास की बात करें तो इस लोकसभा सीट पर हमेशा से एमवाई यानी मुस्लिम-यादव फैक्टर हावी रहा. इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि यहां अभी तक हुए 20 बार के लोकसभा चुनाव में 17 बार मुस्लिम-यादव कैंडिडेट ने जीत दर्ज की है. वहीं सिर्फ यादव की बात करें तो 14 बार यादवों ने यहां से सांसदी प्राप्त की है. जबकि मुस्लिम प्रत्याशी तीन बार सांसद बनने में कामयाब हुए हैं.

वहीं दलों के हिसाब से बात करें तो आजमगढ़ में अभी तक हुए कुल 20 बार के लोकसभा चुनाव में 7 बार कांग्रेस, 4 बार सपा, 4 बार बसपा, 2 बार बीजेपी, 1 बार जनता पार्टी, 1 बार जनता पार्टी (सेक्युलर) और जनता दल ने चुनाव जीता. आजादी के बाद से आपातकाल के बीच हुए पांचों चुनाव में यहां कांग्रेस का कब्जा रहा. आपातकाल के बाद 1977 में यहां पहली बार जनता पार्टी का प्रत्याशी जीता. इसके बाद 1978 में हुए उपचुनाव में एक बार फिर कांग्रेस की वापसी हुई. 1980 के चुनाव में जनता पार्टी (सेक्युलर) और 1984 के चुनाव फिर से कांग्रेस विजयी रही. आजमगढ़ लोकसभा सीट पर यह कांग्रेस की आखिरी जीत थी.

इसके बाद हुए 1989 के चुनाव में पहली बार बसपा ने अपना परचम लहराया. 1991 में जनता दल और 1996 में सपा के उम्मीदवार रमाकांत यादव ने यहां से जीत दर्ज कर पार्टी की इस सीट पर एंट्री हुई. इसके बाद 1998 में बसपा के खाते में जीत गई और अकबर अहमद यहां से सांसद बने. इसके बाद 1999 और 2004 के चुनाव में रमाकांत लगातार दो बार सांसद बने, 1999 में सपा से और 2004 में बसपा से चुने गए.

यह भी पढ़ें :-  कानून के मुताबिक जो जरूरी होगा, करेंगे : ईडी के समन पर अरविंद केजरीवाल

2008 में रमाकांत यादव की सदस्यता समाप्त होने पर एक बार फिर चुनाव हुए. इस बार बसपा से अहमद अकबर ने बाजी मारी. हालांकि, 2009 के चुनाव में रमाकांत यादव ने फिर से सांसदी जीत ली, लेकिन वे इस बार बीजेपी से चुने गए. 2009 के चुनाव में पहली बार बीजेपी की आजमगढ़ लोकसभा सीट में एंट्री हुई. इसके बाद 2014 के चुनाव में समाजवादी दिग्गज नेता मुलायम सिंह यादव यहां से सांसद चुने गए.

2019 के चुनाव में अखिलेश यादव आजमगढ़ के सांसद बने. इसके बाद 2022 में अखिलेश के विधायक बनने के बाद उन्होंने सांसद पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद हुए उपचुनाव में बीजेपी से दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ ने बाजी मारी और यहां से सांसद बने. बीजेपी ने एक बार फिर निरहुआ पर भरोसा जताया है और उन्हें लोकसभा का टिकट दिया है. हालांकि ये अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ है कि सपा और बसपा की ओर से इस बार के उम्मीदवार कौन होंगे.

Latest and Breaking News on NDTV

अखिलेश फिर लड़ सकते हैं आजमगढ़ से चुनाव

माना जा रहा कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव फिर से इस सीट पर उतर सकते हैं. इसका मुख्य कारण यह माना जा रहा कि आजमगढ़ सपा का गढ़ रहा है. दूसरा मुख्य कारण यह निकल कर आ रहा कि 2022 के उपचुनाव में सपा के हारने का कारण बसपा प्रत्याशी गुड्डू जमाली थे. उनके चुनाव लड़ने से मुस्लिम वोटों में बंटवारा हुआ था, जिसका फायदा बीजेपी प्रत्याशी निरहुआ को हुआ.

लेकिन, अब गुड्डू जमाली के सपा में आने की वजह से मुस्लिम वोट फिर से सपा की तरफ जा सकते हैं. ऐसे में एमवाई समीकरण एक बार फिर मजबूत होता दिख रहा है. इसका फायदा अखिलेश यादव उठाना चाहेंगे और वह आजमगढ़ से लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं. वहीं इस सीट के अलावा सपा प्रमुख के कन्नौज सीट से भी चुनाव लड़ने की चर्चा है.

यह भी पढ़ें :-  नया संसद भवन आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक है : ओम बिरला

मुस्लिम-यादव वोटर ज्यादा

आजमगढ़ लोकसभा क्षेत्र में गोपालपुर, सगड़ी, मुबारकपुर, आजमगढ़ सदर और मेहनगर विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. वहीं मतदाताओं की बात करें तो यहां करीब 19 लाख मतदाता हैं. जिनमें से करीब 26 फीसदी यादव वोटर, 24 फीसदी मुस्लिम वोटर और करीब 20 फीसदी दलित वोटर हैं. यहां की जनता के मूड की बात करें तो यहां का चुनावी ट्रेंड जातीय आधार पर रहा है. माना जा रहा कि इस बार यहां सपा और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर होगी.

यह भी पढ़ें – Lok Sabha Polls 2024: बीकानेर में रोमांचक हुआ मुकाबला, इस चुनाव में अर्जुन और गोविंद के बीच होगी ‘महाभारत’

यह भी पढ़ें – सतना सीट पर कांटें की टक्कर! कांग्रेस Vs BJP में आमने-सामने होंगे सिद्धार्थ कुशवाहा और गणेश सिंह

Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button