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BJD ने BJP के साथ गठबंधन का किया इशारा, 15 साल पहले इस वजह से NDA से तोड़ा था नाता

दोनों पार्टियों के बीच संभावित समझौता राज्य की राजनीतिक गतिशीलता में एक अहम बदलाव ला सकता है. बता दें कि 15 साल पहले जब बीजेडी ने नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (NDA) से अलग होने का फैसला किया था तो सुष्मा स्वराज ने कहा था कि “नवीन पटनायक को 11 साल के इस समझौते को तोड़ने का अफसोस होगा”.

हालांकि, इस पर अभी तक कोई औपचारिक घोषणा नहीं की गई है. बीजेडी के उपाध्यक्ष और विधायक देबी प्रसाद मिश्रा ने कंफर्म किया कि दोनों पार्टियों के बीच बातचीत हुई है लेकिन उन्होंने अलायंस को लेकर किसी भी तरह की बातचीत नहीं की. नवीन निवास पर मीटिंग के बाद मिश्रा ने रिपोर्टर्स से कहा, “बीजू जनता दल के लिए ओडिशा के लोगों का हित प्राथमिकता रखता है. हां, हमारे बीच अलायंस को लेकर बातचीत हुई है.”

बीजेडी द्वारा जारी की गई प्रेस रिलीज में कहा गया है कि “आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव की रणनीति को लेकर आज बीजद अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के नेतृत्व में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ व्यापक चर्चा हुई. यह संकल्प लिया गया चूंकि 2036 तक, ओडिशा अपने राज्य के गठन के 100 साल पूरे कर लेगा, और बीजद और मुख्यमंत्री पटनायक को तब तक राज्य के लिए प्रमुख मील के मत्थर हासिल करने हैं, इसलिए बीजू जनता दल लोगों के व्यापक हित को देखते हुए अपने काम को आगे बढ़ाने की कोशिशों में लगा हुआ है.”

वहीं बीजेपी की ओर से वरिष्ठ नेता और सांसद जुएल ओराम ने जेपी नड्डा की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद बीजद के साथ चुनाव से पहले गठबंधन पर चर्चा की पुष्टि की है. हालांकि, उन्होंने कहा कि अंतिम फैसला पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व पर निर्भर है. जुएल ओराम ने कहा, हां, “अन्य मुद्दों के अलावा गठबंधन पर भी चर्चा की गई है लेकिन अंतिम फैसला केंद्रीय नेतृत्व ही करेगा.”

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लोकसभा और विधानसभा चुनावों को लेकर होगी साझेदारी

21 लोकसभा सीटों और 147 विधानसभा सीटों वाले ओडिशा का रणनीतिक महत्व किसी भी पार्टी के लिए घाटे का सौदा नहीं है. 2019 के चुनावों में बीजेपी और बीजेडी ने 8 और 12 संसदीय निर्वाचन क्षेत्र और विधानसभा में 23 और 112 सीटें हासिल की थीं. सूत्रों के मुताबिक, गठबंधन की स्थिति में बीजेपी अधिकांश लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी और बीजेडी विधानसभा सीटों पर अपना ध्यान केंद्रित करेगी. 

गठबंधन को लेकर बढ़ती अटकलों को उस वक्त बल मिला जब हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने एक दूसरे की सार्वजनिक प्रशांस की थी. दोनों नेताओं ने एक दूसरे के योगदान को स्वीकार किया और बीजेडी ने संसद में मोदी सरकार के एजेंडे पर भी अपना समर्थन दिया था. 

2019 में क्या हुआ था

बीजद-भाजपा गठबंधन को ओडिशा में दो विधानसभा चुनावों और तीन लोकसभा चुनावों में सफलता मिली थी. फरवरी 1998 में बनी इस साझेदारी की नींव मजबूत रही, दोनों पार्टियों ने 1998, 1999 और 2004 में लोकसभा चुनाव के साथ-साथ 2000 और 2004 में विधानसभा चुनाव सफलतापूर्वक लड़े थे.

एक समय पर एनडीए में भाजपा का सबसे विश्वसनीय सहयोगी माना जाने वाला गठबंधन 2009 में सीटों के बंटवारे को लेकर बातचीत के विफल होने के बाद टूट गया था. इस टूट का कारण आधिकारिक तौर पर बीजद की विधानसभा सीटों में भाजपा की हिस्सेदारी 63 से घटाकर लगभग 40 करने और संसदीय सीटों को 9 से घटाकर 6 करने की बीजद की मांग को माना गया था. भाजपा नेताओं द्वारा अनुचित समझी गई इस मांग के कारण मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की सरकार से समर्थन वापस ले लिया था, जिससे 11 साल की राजनीतिक गठन का अंत हो गया था. 

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समर्थन वापसी को बीजेडी ने “विश्वासघात का कार्य” करार दिया था. बीजेपी और बीजेडी का गठन 1998 में वरिष्ठ नेता बिजय मोहापात्रा और दिवंगत प्रमोद महाजन द्वारा किया गया था. 

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