देश

सीमेंट के बैरिकेड और सड़क पर कीलें: हरियाणा में किसानों के मार्च को रोकने की तैयारी

पंजाब से लगती हरियाणा की सभी सीमाओं को बड़े-बड़े सीमेंट के बैरिकेड और कंटीले तारों से सील कर दिया गया है. हरियाणा के कई जिलों में धारा 144 लागू कर दी गई है और पुलिस बल के साथ ही सीआरपीएफ और अन्य सुरक्षा एजेंसियां ​​भी तैनात की गई हैं.

प्रशासन की यह तैयारी 2020 में किसानों के मार्च की याद दिलाती है. 2020 में पंजाब और अंबाला के आसपास के इलाकों से बड़ी संख्या में किसान शंभू बॉर्डर पर एकत्र हुए और उन्‍होंने दिल्ली की ओर मार्च करने के लिए पुलिस अवरोधकों को तोड़ दिया था. किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर एक साल तक तीन कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था, जिन्‍हें निरस्‍त कर दिया गया है.  

बॉर्डर पर रोकी आवाजाही, खोदी घग्‍घर नदी 

इससे पहले दिन में शंभू में हरियाणा-पंजाब बॉर्डर को अंबाला और दिल्ली की ओर वाहनों की आवाजाही के लिए बंद कर दिया गया. इससे अंबाला की ओर जाने वाले यात्रियों को भारी ट्रैफिक जाम का सामना करना पड़ा. 

अधिकारियों ने कहा कि किसानों को ट्रैक्टरों के माध्यम से राजमार्ग तक पहुंचने से रोकने के लिए घग्‍घर नदी के तल को भी खोद दिया गया है. 

हरियाणा के 7 जिलों में इंटरनेट सेवाएं निलंबित 

हरियाणा सरकार ने भी किसानों के प्रस्तावित मार्च से पहले सात जिलों – अंबाला, कुरूक्षेत्र, कैथल, जिंद, हिसार, फतेहाबाद और सिरसा में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं और बल्क एसएमएस को निलंबित करने का आदेश दिया है. 

यह तब हुआ है जब किसान मार्च में भाग लेने के लिए अपनी ट्रैक्टर ट्रॉलियां तैयार कर रहे हैं. राजपुरा में किसानों ने दिल्ली की ओर बढ़ने की तैयारी के तहत ट्रैक्टर मार्च निकाला.

यह भी पढ़ें :-  "मुझे मौका दे सकता है हरियाणा": एग्जिट पोल के पूर्वानुमानों के एक दिन बाद बोलीं कुमारी शैलजा

न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के संबंध में कानून बनाने समेत विभिन्न मांगों को लेकर केंद्र सरकार पर दबाव डालने के लिए 13 फरवरी को 200 से अधिक किसान यूनियनों के समर्थन से ‘दिल्ली चलो’ मार्च की घोषणा की है. 

केंद्रीय मंत्रियों की तीन सदस्यीय टीम ने गुरुवार को किसान संगठनों के नेताओं के साथ विस्तृत चर्चा की.

किसान नेताओं ने कहा था कि केंद्रीय मंत्रियों ने उन्हें आश्वासन दिया है कि वे जल्द ही दूसरे दौर की बैठक करेंगे, लेकिन उन्होंने यह भी कहा था कि उनका प्रस्तावित ‘दिल्ली चलो’ मार्च कायम है. इस बीच मंत्रियों ने मार्च से एक दिन पहले 12 फरवरी को चंडीगढ़ में एक बैठक के लिए किसान नेताओं को आमंत्रित किया है. 

किसान स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, कृषि ऋण माफी, पुलिस मामलों को वापस लेने और लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए “न्याय” की भी मांग कर रहे हैं

ये भी पढ़ें :

* CM भगवंत मान के हस्तक्षेप से भारत सरकार और किसानों के बीच विभिन्न मुद्दों पर सहमति बनी

* दिल्ली में घुसने से पहले प्रदर्शनकारी किसानों को पुलिस ने रोका, सभी बॉर्डर पर धारा-144, नोएडा में भयंकर जाम

* MSP पर इसी सत्र में कानून लाए सरकार: कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी

Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button