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CG – कमलचंद भंजदेव को रथयात्रा के दौरान रथ पर चढ़ाने की मांग नियम विरुद्ध – बलदेव मौर्य

कमलचंद भंजदेव को रथयात्रा के दौरान रथ पर चढ़ाने की मांग नियम विरुद्ध – बलदेव मौर्य

जगदलपुर। विश्व प्रसिद्ध दशहरा पर्व के दौरान राज परिवार के कमलचंद भंजदेव के रथ पर चढ़ने पर विरोध के स्वर प्रबल हो रहे है।

इस संबंध में दंतेश्वरी मंदिर के पुजारी प्रेम पाढ़ी ने जानकारी देते हुए बताया कि 1966 में महाराजा प्रवीर चंद भंजदेव की मृत्यु के पश्चात महारानी को रथ में चढ़ने की अनुमति तत्कालिन कलेक्टर द्वारा दी गई थी। परन्तु पारिवारिक विवाद पर निरस्त कर दिया गया था। उसके पश्चात यह परंपरा बंद हो गई।

सर्व आदिवासी समाज के संरक्षक बलदेव मौर्य ने कमल चंद के रथ पर चढ़ने पर स्पष्ट असहमति जताई और कहा कि माटी पुजारी को ही रथ पर चढ़ने का अधिकार है, कमल चंद भंजदेव माटी पुजारी नहीं है।

ज्ञात हो कि महाराजा प्रवीर चंद की कोई संतान नहीं थी । दंतेश्वरी मंदिर के पुजारी प्रेम पाढ़ी ने बताया प्रवीर चंद के छोटे भाई, विजय चंद स्वंय को महाराज घोषित किया था, जिसे जनता द्वारा नकार दिया गया था। उसके पश्चात उनके पुत्र भरत चंद्र भंजदेव व वर्तमान कमलचंद भंजदेव वर्तमान स्वंय को महाराजा मानते है।

उस दौर मे महल के पारिवारिक विवाद में दो रानियां में विवाद की स्थिति निर्मित होने पर इसे हमेशा के लिए रद्द कर दिया गया ।

दंतेश्वरी मंदिर के पुजारी प्रेम पाढ़ी ने वर्तमान महाराजा कमलचंद भंजदेव को सथारूढ किए जाने पर कहा की ऐसा कोई आदेश सरकार की मंशा पर निर्भर है,जहां तक मुझे मालूम है ऐसा कोई निर्णय या आदेश सरकार ने जारी नहीं की है।

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वर्तमान मे कमल चंद भंजदेव बस्तर दशहरा में मावली परघाव व उसके पश्चात जो पूजा पाठ व कार्यक्रम करते हैं उसकी कोई विधिवत शासन से आदेश जारी नही हुई है।

बावजूद वे अपने विवेक से पूजा पाठ कर रहे हैं।
साथ ही उन्होंने मांझी

मुखिया द्वारा कमल चंद को रथ मे रथपति बनाने के सवाल पर कहा आजकल के लोग है उन्हें इतिहास की जानकारी नहीं है। जो पुराने लोग थे, वे अब इस दुनिया में नहीं है। अब प्रजातंत्र है, शासन के निर्देश पर जो निर्णय होगा वह सभी को मान्य होगा।

राजाराम तोड़ेंम, संभागीय प्रभारी सर्व आदिवासी समाज बस्तर ने कहा कि राज्य शासन यदि कमलचंद भंजदेव को दशहरा पर्व के दौरान रथ पर चढ़ने की इजाजत देती है। तो इस पर समाज विचार करेगी।

कांग्रेस के शहर कांग्रेस अध्यक्ष सुशील मौर्य ने कमलचंद भंजदेव को सलाह और नसीहत देते हुए कहा कि राजतंत्र खत्म हो चुका है प्रजातंत्र में यह सब बातें शोभा नहीं देती,विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक दशहरा हम . सब को इसे गौरवपूर्ण मनाना है ,इस पर विचार करना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा यदि राज्य शासन ऐसा कोई आदेश जारी करती है ,तो कांग्रेस पार्टी इसका पुरजोर विरोध करेगी।

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