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'चंदा मामा दूर के…' से लेकर वहां तिरंगा फहराने तक… कैसे बदले भारत के चांद से रिश्‍ते


नई दिल्‍ली:

चंदा मामा दूर के पुए पकाएं बूर के… एक समय भारत में बच्‍चों के लिए चांद उनके ‘मामा’ हुआ करते थे. माएं उन्‍हें चंदा मामा की कहानियां सुनाया करती थीं. बच्‍चे भी चांद को बड़े प्रेम-भाव से निहारते थे, और कब सपनों की दुनिया चले जाते थे, पता ही नहीं चलता था. तब बच्‍चों ने शायद ही कभी सोचा होगा कि चांद पर कभी इंसान पहुंचेंगे. आज वहां भारतीय पहुंच भी गए हैं और वहां तिरंगा भी लहरा दिया है. आज हम चांद से जुड़ी कहानियों को इसलिए याद कर रहे हैं, क्‍योंकि इतिहास के पन्नों में 20 जुलाई की तारीख एक खास घटना के साथ दर्ज है. यह वही तारीख थी, जब नील आर्मस्ट्रांग के रूप में किसी इंसान ने पहली बार चंद्रमा की सतह पर कदम रखा.

इंसान का धरती पर पहला कदम… 

16 जुलाई को अमेरिका के फ्लोरिडा प्रांत में स्थित जॉन एफ कैनेडी अंतरिक्ष केन्द्र से उड़ा नासा का अंतरिक्ष यान अपोलो-11 चार दिन का सफर पूरा करके 20 जुलाई 1969 को इंसान को धरती के प्राकृतिक उपग्रह चांद पर लेकर पहुंचा. यह यान 21 घंटे 31 मिनट तक चंद्रमा की सतह पर रहा और इसके बाद धरती पर वापस लौट आया था. इसके बाद चांद से जुड़ी कई जानकारियां लोगों के सामने आईं. आज भी चांद को लेकर कई रिसर्च कर रहे हैं, जिनमें भारत भी शामिल है. 

भारत के ‘चंद्रयान-3′ मिशन का विश्‍व में डंका

चांद पर रिसर्च करने के मामले में भारत कई देशों से आगे निकल गया है. भारत चंद्र मिशन की तारीफ आज वैश्विक स्‍तर पर हो रही है. पिछले दिनों नासा के पूर्व अंतरिक्ष यात्री और प्रौद्योगिकी कार्यकारी स्टीव ली स्मिथ ने कहा कि रूस, जापान और अमेरिका जैसे बड़े दिग्गजों को पछाड़कर अपने चंद्र मिशन को हासिल करने में भारत के ‘साहसिक’ लक्ष्यों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. स्मिथ भारत के ‘चंद्रयान-3′ मिशन का जिक्र कर रहे थे, जिससे भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में सफलतापूर्वक अंतरिक्ष यान उतारने वाला पहला देश बन गया है. अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री यहां देश के पहले ‘इंटरनेशनल जेनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ (जेनएआई) सम्मेलन में ‘स्काईवॉकर से सीखे गए पाठ’ विषय पर एक सत्र में बोल रहे थे.

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चांद पर तिरंगा, भारत का गौरव

भारत ने 23 अगस्त, 2023 को इतिहास रचा, जब उसका चंद्रयान-3 मिशन चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतरा. चांद की सतह पर विक्रम लैंडर की लैंडिंग और प्रज्ञान रोवर के डिप्‍लॉयमेंट के साथ चंद्रयान-3 मिशन सफल हुआ. इस स्मारकीय उपलब्धि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा चंद्रमा की सतह पर भारतीय राष्ट्रीय ध्वज, तिरंगे को फहराना था. यह भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ, जिससे यह चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतरने वाला चौथा देश बन गया और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश. चंद्रमा पर भारतीय ध्वज का स्थान अंतरिक्ष अन्वेषण और प्रौद्योगिकी में भारत की बढ़ती शक्ति का प्रतीक है. चंद्रयान-3 मिशन का लक्ष्‍य चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग करना, चंद्रमा पर घूमते रोवर का प्रदर्शन करना और यथास्थान वैज्ञानिक प्रयोगों का संचालन करना था.

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