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मणिपुर में उबाल, NDA का प्रस्ताव सिविल सोसायटी ने किया खारिज, दिया 24 घंटे का अल्टीमेटम
मणिपुर में हुई हिंसा (Manipur Violence) के बाद उबाल अब तक जारी है. मैतेई नागरिक समाज संगठनों के एक प्रमुख निकाय ने NDA विधायकों की बैठक में पारित प्रस्तावों को खारिज कर दिया है. उन्होंने कुकी विद्रोही गुटों के खिलाफ ठोस कदम उठाने का आह्वान किया है.
- पिछले साल मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा (Manipur Violence) भड़क गई थी, जिसके बाद से पूर्वोत्तर राज्य खतरे में है. इस महीने की शुरुआत में जिरीबाम में महिलाओं और बच्चों समेत 6 लोगों की हत्या के बाद से हिंसा का एक नया दौर शुरू हो गया है, जिसके बाद हालात को काबू में करने के लिए केंद्र को और ज्यादा सुरक्षा बल भेजना पड़ा.
- असम ने मणिपुर के साथ अपने बॉर्डर सील कर दिए हैं. उनको ये डर है कि कहीं हिंसा उनके राज्य में भी न फैल जाए. असम पुलिस ने राज्य के बॉर्डर पर कमांडो तैनात कर दिए हैं और कहा है कि उनके पास बेड एलिमेंट्स के बॉर्डर पार करने की कोशिश को लेकर इनपुट हैं.
- मणिपुर में भड़कती हिंसा के बीच एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार खुद को मुश्किल हालात में पा रही है. दरअसल लोग मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग तेजी से कर रहे है.
- एनडीए के सहयोगी दल नेशनल पीपुल्स पार्टी ने मणिपुर में सामान्य हालात बहाल करने में विफल रहने की बात कहते हुए बीजेपी सरकार से समर्थन वापस ले लिया है. कॉनराड संगमा के नेतृत्व वाली पार्टी ने कहा है कि अगर राज्य में नेतृत्व परिवर्तन हुआ तो वह अपनी स्थिति पर पुनर्विचार कर सकती है.
- संकट से घिरे हुए सीएम एन बीरेन सिंह ने संकट से निकलने का रास्ता तलाशने के लिए सोमवार को कल अपने आवास पर एनडीए विधायकों की बैठक बुलाई थी. मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों के मुताबिक, दिलचस्प बात यह है कि 38 में से 11 विधायक अपनी गैरमौजूदगी का कारण बताए बिना बैठक में शामिल ही नहीं हुए.
- NDA की बैठक में कई प्रस्ताव पारित किए गए, इनमें मणिपुर में सशस्त्र बल विशेष शक्ति अधिनियम को फिर से लागू करने की जरूरत पर केंद्र द्वारा समीक्षा की मांग करना और 7 दिन के भीतर जिरीबाम हत्याओं के लिए कथित रूप से जिम्मेदार कुकी विद्रोहियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान चलाना शामिल है. विधायकों की मांग ये भी है कि हत्याओं के तीन प्रमुख मामलों को NIA को ट्रांसफर कर दिया जाए. उन्होंने इस बात पर भी सहमति जताई कि जिरीबाम हत्याओं के लिए जिम्मेदार कुकी आतंकियों को “गैरकानूनी संगठन” का सदस्य घोषित किया जाए.
- हालांकि, नागरिक समाज इन फैसलों से असंतुष्ट है. मैतेई संगठनों की प्रमुख संस्था, मणिपुर इंटीग्रिटी पर समन्वय समिति के प्रवक्ता खुराइजम अथौबा ने कहा, “उन्होंने जिरीबाम में मारे गए महिलाओं और बच्चों की हत्या के लिए जिम्मेदार कुकी आतंकियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान शुरू करने का संकल्प लिया है. लेकिन अपराध सिर्फ जिरीबाम में ही नहीं बल्कि मई 2023 से मणिपुर की अन्य कई जगहों पर भी हुआ है. मणिपुर के लोगों ने राज्य सरकार और विधायकों से सभी एसओओ ग्रुपों पर जिम्मेदारी तय करने और उनके खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है.”
- SoO ग्रुप कुकी विद्रोही गुटों से संबंधित हैं, जिसके साथ केंद्र का ऑपरेशन निलंबन समझौता है. एसओओ समझौते के तहत, विद्रोहियों को बताए गए शिविरों में रहना होगा. उनके हथियारों बंद भंडारण में रखे जाएंगे, ताकि उन पर निगरानी रखी जा सके. यह एसओओ फरवरी में खत्म हो चुका है, लेकिन सरकार ने यह ऐलान नहीं किया है कि इसको रिन्यू किया गया है या नहीं. हालांकि, सूत्रों के मुताबिक 11 नवंबर को 10 संदिग्ध कुकी आतंकवादियों की मुठभेड़ से संकेत मिला है कि एसओओ समझौते को रिन्यू नहीं किया गया है. नागरिक समाज निकाय की मांग है कि सभी SoO ग्रुप्स को गैरकानूनी संगठन घोषित किया जाए और केंद्र के साथ उनके समझौते को रद्द किया जाए.
- COCOMI के प्रवक्ता ने कहा कि सरकार या विधायकों को दोबारा जनता से सलाह-मशविरा की जरूरत नहीं है. हमारी स्थिति बिल्कुल साफ है. हम चाहते हैं कि अगले 24 घंटों के भीतर सरकार इस प्रस्ताव की समीक्षा करे और बेहतर समाधान लेकर वापस आए. अगर ऐसा नहीं किया गया तो हम अपना आंदोलन तेज कर देंगे.हमारा पहला कदम राज्य और केंद्र सरकार के दफ्तरों को बंद करना होगा.
- पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर के हालात ने केंद्र के सुरक्षा प्रतिष्ठान में खतरे की घंटी बजा दी है. दिल्ली में बैठकों का दौर जारी है. गृह मंत्री अमित शाह शीर्ष अधिकारियों से शांति सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने को कह रहे हैं.