"राज्यसभा में मनोनीत सदस्यों के कोटे में मिले प्रतिनिधित्व",राजनीतिक दलों से दिव्यांगों ने की मांग
नई दिल्ली:
लोकसभा इलेक्शन (Lok Sabha Elections 2024) के एजेंडा को और ज्यादा समावेशी और विविध बनाने के लिए दिव्यांगों के हित के लिए काम करने वाली संस्थाओं ने सत्ताधारी बीजेपी और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के सामने 10 सूत्री मांगों की एक लंबी लिस्ट रखी है. उनकी मांग है कि बीजेपी और कांग्रेस अपने इलेक्शन मेनिफेस्टो में दिव्यांगों के राजनीतिक सशक्तिकरण के लिए राज्य सभा में मनोनीत होने वाले सांसदों की लिस्ट में एक Person with Disability समुदाय के प्रतिनिधि के लिए आरक्षित करने का वायदा करें.
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600 संस्थाओं ने किया है समर्थन
राज्य सभा में राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत होने वाले विशिष्ट व्यक्तियों में एक प्रतिनिधि दिव्यांग समुदाय का भी होना चाहिए. करीब 600 संस्थाओं ने नेशनल सेंटर फॉर प्रमोशन ऑफ़ एम्प्लॉयमेंट फॉर डिसेबल्ड पीपल द्वारा दिव्यांग नागरिकों के लिए तैयार Disability Manifesto for Lok Sabha Elections 2024 का समर्थन किया है. जिसमें ये मांग की गयी है. वो चाहते हैं कि इस मांग को बीजेपी और कांग्रेस अपने चुनावी एजेंडे में शामिल करें.
राज्यसभा में मनोनीत सांसदों में कोटे की मांग सबसे अहम
नेशनल सेंटर फॉर प्रमोशन ऑफ़ एम्प्लॉयमेंट फॉर डिसेबल्ड पीपल के अक्षय जैन ने The Hindkeshariसे बात करते हुए कहा कि, “सबसे मुख्य मांग हमनें राजनीतिक दलों के सामने रखी है कि राज्य सभा में राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत होने वाले सदस्यों में एक विकलांग होना चाहिए. राष्ट्रपति Article 80 के तहत 12 सदस्यों को नामांकित कर सकते हैं, इसमें एक दिव्यांग समुदाय का भी होना चाहिए. देश में सर्वोच्च संस्था में एक दिव्यांग प्रतिनिधि भी होना चाहिए”. उनकी सहयोगी वामिका गुप्ता का कहना है कि हमने ये भी मांग रखी है कि Article 15 के तहत हर तरह के भेदभाव रोकने के लिए प्रावधान हैं उसमें दिव्यांगता को भी शामिल करना चाहिए. क्योंकि हर रोज़ दिव्यांग को कई तरह का अपमान और शर्मिंदगी झेलना पड़ता है”.
The Hindkeshariने जब अक्षय जैन से पूछा कि केंद्रीय मंत्री G किशन रेड्डी और कांग्रेस इलेक्शन मैनिफेस्टो के अध्यक्ष पी चिदंबरम से मुलाकात के समय उन्हें किस तरह के अश्वासन मिले तो उन्होंने कहा कि “राष्ट्रीय पार्टियों का रिस्पांस पॉजिटिव रहा है. उन्होंने हमारे काम को सराहा है और वायदा किया है कि वो ज्यादा से ज्यादा विकलांगों की मांगों को शामिल कराने की कोशिश करेंगे”. अब देखना होगा कि इस बार दिव्यांग मतदाताओं की इन मांगों को राष्ट्रीय पार्टियां चुनावी अभियान के दौरान कितने प्रभावी तरीके से आगे बढाती हैं.
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