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धृतराष्ट्र न बनो, महाकुम्भ पर योगी ने यह किसे सुनाया; जानें पूरा मामला


लखनऊ:

दुनिया के सबसे बड़े आयोजन महाकुम्भ के महामैनेजमेंट और ग्लोबल ब्रैंडिंग पर आज The Hindkeshariका ‘महाकुम्भ संवाद’ हो रहा है. The Hindkeshariके इस संवाद में महाकुम्भ के महामैनेजमेंट से लेकर इस आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और भव्य आयोजन की अद्भुत यात्रा के हर पहलू पर चर्चा हो रही है. इसी बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कार्यक्रम में सम्मिलित हुए. उन्होंने एक ऐसी बात कही, जो काफी महत्वपुर्ण है.

धृतराष्ट्र न बनो, महाकुम्भ पर योगी ने यह किसे सुनाया

उन्होंने कहा कि, ”जो सनातन धर्म पर टिप्पणी करते थे, उनसे कहा, देखो आपके बगल में कौन स्नान कर रहा है…आप स्वयं नहीं जानते हैं किस जाति का है, किस मत का है, किस मजहब का है, क्यों टिप्पणी करते हो. अपने मुंह को खराब क्यों करते हो. यह तो महापर्व है, महा आयोजन है, जाति भेद से हटकर है. न जाति का भेद है न पंथ का भेद है, न सम्प्रदाय का भेद है, न भाषा का भेद है. 13 और 15 जनवरी को लगभग 6 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में स्नान किया. वे संदेश लेकर गए… ‘त्रिवेणी से संदेश, एकता से अखंड रहेगा यह देश.’ एकता का संदेश त्रिवेणी ने दे दिया. न जाति का भेद, न छुआछूत का भेद न पंथ का भेद, न भाषा का भेद.. और हम उसी पर प्रहार कर रहे थे. जो हमें बदनाम करते थे, सनातन धर्म को बदनाम करते थे वे आकर इन आयोजनों से जुड़कर देखें.  दूर से न देखें.. धृतराष्ट्र न बनो..किसी संजय की आंखों से मत देखो… स्वयं आकर इसका दर्शन करो. दर्शन करोगे तो पुण्य के भागीदार बनोगे. मुझे खुशी है कि विदेशी श्रद्धालु भी आए और उन्होंने इस पर अच्छे कमेंट किए.”

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उन्होंने कहा ये भारत की ताकत है. ये आस्था की ताकत, दुनिया के लिए अकल्पनीय है. 13 जनवरी से 26 फरवरी तक के बीच महाकुंभ होने वाला है, देखा जाए तो यह सदी का महाकुंभ है. 

कुंभ सिर्फ एक पंथ एक जाति एक संप्रदाय तक सीमित नहीं है

पहले भी यही शब्द रखता था, अब जिसकी समझ ना हो तो अब क्या करूं. मैं पहले भी यही मानता था, आज भी यही मान रहा हूं. सनातन ही इस देश की पहचान है. सनातन मानव धर्म भारत का राष्ट्रीय धर्म है. पंथ, संप्रदाय, जाति, अलग-अलग हो सकती है, लेकिन धर्म एक है वो है सनात. कुंभ सनातन धर्म का त्योहार है.



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