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Exclusive : क्या मणिपुर में एजेंसियों ने संभावित ड्रोन हमले की सूचना को नजरअंदाज किया?


इंफाल/गुवाहाटी/नई दिल्ली:

पिछले सात महीनों में मुख्यमंत्री के सचिवों द्वारा पुलिस प्रमुख और सुरक्षा एजेंसियों को भेजे गए दो पत्रों से पता चलता है कि मणिपुर के मुख्यमंत्री कार्यालय ने दो मौकों पर राज्य में हथियारबंद ड्रोन हमलों की संभावना पर चिंता जताई है. पुलिस और राज्य गृह विभाग ने अलग-अलग बयानों में कहा है कि रविवार को मणिपुर में संदिग्ध कुकी विद्रोहियों द्वारा गोलीबारी और ड्रोन हमलों में दो लोग मारे गए हैं, वहीं नौ अन्य घायल हुए हैं.

भारत में संदिग्ध विद्रोहियों द्वारा नागरिकों पर बम गिराने के लिए हथियारबंद ड्रोन का ये पहला ऑन रिकॉर्ड मामला है.

पुलिस ने कहा कि सोमवार को एक अन्य ड्रोन ने इंफाल पश्चिम जिले के सेनजम चिरांग में दो बम गिराए, जिसमें तीन घायल हो गए. पुलिस द्वारा लिए गए दृश्यों से पता चलता है कि बमों ने एक घर की छत को क्षतिग्रस्त कर दिया.

12 जनवरी को मणिपुर के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) राजीव सिंह को लिखे पत्र में, मुख्यमंत्री के सचिव एन जेफ्री ने इंडिया रिजर्व बटालियन (आईआरबी) की भर्ती के लिए हवाई खतरों से सुरक्षा सुनिश्चित करने का अनुरोध किया. उन्हें प्रशिक्षण के लिए सड़क मार्ग से असम जाना है. सड़क यात्रा में 15 घंटे से अधिक का समय लगता है. मुख्यमंत्री के सचिव ने डीजीपी से 22 असम राइफल्स और अन्य केंद्रीय बलों को हवाई खतरों से सुरक्षा के अनुरोध वाले पत्र के बारे में सूचित करने को भी कहा.

जेफ्री ने पत्र में कहा, “…डीजीपी, मणिपुर से अनुरोध है कि वे 10 आईआरबी, 11 आईआरबी और अन्य कर्मियों की सड़क यात्रा के दौरान आवाजाही और परिवहन के लिए फुलप्रूफ सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी संभव सुरक्षा उपाय करें. जिसमें ऊपर से खतरों से सुरक्षा भी शामिल है.” हाल के दिनों में आतंकवादियों द्वारा हथियार के रूप में मोर्टार बम और ड्रोन का व्यापक उपयोग किया जा रहा है.

मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने घोषणा की कि उन्होंने रंगरूटों को सड़क मार्ग से भेजने की योजना कैंसिल कर दी है, जो पहाड़ी रास्तों से होकर गुजरती है, जहां काफिले पर घात लगाकर हमला किया जा सकता है. अंततः 15 जनवरी को मणिपुर की राजधानी इम्फाल के हवाई अड्डे से 1,500 से अधिक आईआरबी और अन्य रंगरूटों को हवाई मार्ग से असम ले जाया गया.

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संभावित ड्रोन हमलों पर चिंता जताते हुए दूसरे पत्र में मुख्यमंत्री कार्यालय ने पुलिस प्रमुख को तीन महत्वपूर्ण सरकारी भवनों- राज्यपाल का आधिकारिक निवास राजभवन, मुख्यमंत्री सचिवालय और विधानसभा सचिवालय पर एंटी-ड्रोन सिस्टम स्थापित करने के लिए आवश्यक कार्रवाई करने के लिए कहा.

मुख्यमंत्री के संयुक्त सचिव पी गोजेंड्रो सिंह ने 3 अप्रैल को लिखे पत्र में कहा, “इस काम को करने में सक्षम प्रतिष्ठित फर्मों को जल्द बुलाया जा सकता है.”

The Hindkeshariने दोनों पत्रों को देखा है. मणिपुर सरकार ने ड्रोन विरोधी रणनीतियों पर काम करने के लिए एक बहु-एजेंसी पैनल का गठन किया है, वो देश की शीर्ष आतंकवाद विरोधी जांचकर्ता राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से मामले को लेने का अनुरोध करने की भी योजना बना रही है.

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इम्फाल पश्चिम के कडांगबंद में, जिस पर रविवार को हमला हुआ था, वहां के निवासी ड्रोन द्वारा बम गिराए जाने के डर से आसमान की ओर देखते रहते हैं.

कदंगबंद निवासी सुनीलद्रो सिंह ने कहा, “कल रात यहां ड्रोन से बड़ा बम हमला हुआ. तीन बम फटे और एक नहीं फटा. दो बम मणिपुर राइफल्स के पुलिस बंकर के करीब गिरे. ऐसे हवाई हमलों को कोई कैसे रोक सकता है?”

मणिपुर के डीजीपी राजीव सिंह ने रविवार और सोमवार को उसी जिले के एक अन्य गांव कदांगबंद और कौत्रुक का दौरा किया, जहां स्नाइपर्स और हथियारबंद ड्रोन से हमला किया गया था. वो तलहटी में बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान की देखरेख कर रहे हैं. उन्होंने ग्रामीणों से बातचीत की और उन्हें सुरक्षा का आश्वासन दिया.

मैतेई-प्रभुत्व वाले घाटी जिले इम्फाल पश्चिम के पास की पहाड़ियों में कुकी जनजातियों के कई गांव हैं. कुकी जनजाति और मैतेई भूमि अधिकार और राजनीतिक प्रतिनिधित्व जैसे कई मुद्दों पर मई 2023 से लड़ रहे हैं.

डीजीपी ने कहा, “ये ड्रोन हमला एक नई बात है. हम राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) सहित विशेषज्ञों के संपर्क में हैं. हमने ड्रोन खतरे का मुकाबला करने की योजना बनाने के लिए एक बहु-एजेंसी समिति का गठन किया है. विशेषज्ञ मणिपुर आ रहे हैं.”

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उन्होंने कहा, “हम उस स्थान पर अभियान चला रहे हैं जहां हमले हुए थे. कल और आज अभियान चलाया गया और सामान जब्त किया गया. आगे भी तलाशी अभियान चलाया जाएगा. पर्याप्त कर्मियों की कमी के कारण, अकेले राज्य बल स्थिति को नहीं संभाल सकते क्योंकि उन्हें नियमित कानून व्यवस्था की भी देखभाल करनी होती है और इसलिए केंद्रीय बलों की मदद की जरूरत है.”

राज्य पुलिस के विशेष कार्य बल (एसटीएफ) के सूत्रों ने कहा था कि इस साल जून में, असम में एक व्यक्ति को मणिपुर के घाटी इलाकों में एक आतंकवादी समूह को आपूर्ति करने के लिए ड्रोन भागों की सोर्सिंग करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. उसके पास से एसटीएफ के जवानों ने ड्रोन के पार्ट्स का बड़ा जखीरा बरामद किया था.

उसी महीने, एक व्यक्ति जिसने कथित तौर पर एक आतंकवादी समूह के लिए 10 हाई-एंड ड्रोन बैटरी लेकर मणिपुर में घुसने की कोशिश की थी, उसे भी असम एसटीएफ ने गिरफ्तार किया था. हालांकि, मणिपुर में कुकी जनजातियों के एक फिल्म निर्माता संघ ने एक प्रसिद्ध सदस्य के खिलाफ आरोपों का खंडन किया था, जिसने केवल काम के लिए ड्रोन बैटरी खरीदी थी.

नवंबर 2023 में भारतीय वायु सेना (IAF) ने एक अज्ञात उड़ने वाली वस्तु की खोज के लिए अपने राफेल लड़ाकू जेट को उतारा, जिसके बारे में संदेह था कि ये एक बड़ा ड्रोन था, जो इंफाल हवाई अड्डे के पास मंडरा रहा था. इस घटना के कारण कई वाणिज्यिक उड़ानों में तीन घंटे से अधिक की देरी हुई थी.

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इम्फाल घाटी में नागरिक समाज संगठनों ने ड्रोन हमलों को लेकर सरकार से सवाल पूछे हैं.

इम्फाल स्थित सिविल सोसाइटीज़ कांगलेइपक समिति के अध्यक्ष जीतेंद्र निंगोम्बा ने कहा, “सरकार इस युद्ध जैसी स्थिति को गंभीरता से लेने की कोशिश क्यों नहीं कर रही है? कुकी उग्रवादी राज्य को विभाजित करने की कोशिश कर रहे हैं, इसलिए सवाल ये है कि राष्ट्रीय हित में नीति क्या है?”

मेतेई नागरिक समाज समूहों के एक वैश्विक समूह, मेतेई एलायंस ने आतंकवादियों को जवाबदेह ठहराने के लिए कदम उठाने की बात करने वाली सरकार और पुलिस की सराहना की, लेकिन साथ ही कहा, “ये निराशाजनक और गहरी चिंता का विषय है कि 70,000 केंद्रीय सैन्य और अर्धसैनिक बल आतंकवाद-निरोध के लिए तैनात लोग कुकी आतंकवादियों से जीवन, आजीविका और संपत्तियों की रक्षा करने में सक्षम नहीं हैं.”

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मेइतेई हेरिटेज वेलफेयर फाउंडेशन ने एक बयान में ड्रोन हमलों को आतंकवादी कृत्य कहा. नागरिक समाज समूह ने कहा, “इस संघर्ष में पहले से न देखे गए ड्रोन और अत्याधुनिक हथियारों का उपयोग आतंकवादियों के अधिकतम नुकसान पहुंचाने और मैतेई आबादी को आतंकित करने के इरादे को दर्शाता है. कुकी उग्रवादियों का ताजा हमला कोई अलग मामला नहीं है, बल्कि मणिपुर को तोड़ने के अपने खुले तौर पर घोषित लक्ष्य को आगे बढ़ाने के लिए, हिंसा को बढ़ाने के लिए उन्होंने पिछले एक साल में एक पैटर्न अपनाया है.”
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घाटी में प्रभुत्व रखने वाले मैतेई समुदाय और कुकी के नाम से मशहूर लगभग दो दर्जन जनजातियां, जो मणिपुर के कुछ पहाड़ी इलाकों में प्रभावशाली हैं, उनके बीच झड़पों में 220 से अधिक लोग मारे गए हैं और लगभग 50,000 लोग विस्थापित हुए हैं.

सामान्य श्रेणी के मेइती लोग अनुसूचित जनजाति श्रेणी के अंतर्गत शामिल होना चाहते हैं, जबकि पड़ोसी म्यांमार के चिन राज्य और मिजोरम के लोगों के साथ जातीय संबंध साझा करने वाली लगभग दो दर्जन जनजातियां भेदभाव और संसाधनों की असमान हिस्सेदारी का हवाला देते हुए शक्तियों के साथ मणिपुर से अलग, एक अलग प्रशासन चाहती हैं.


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