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Explainer : सऊदी अरब ने कश्मीर पर दिया भारत का साथ, पाकिस्तान को नसीहत

नई दिल्ली:

सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन सलमान ने इस बात पर जोर दिया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत हो. ये बात उन्होंने सऊदी अरब के दौरे पर आए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ से मुलाकात के दौरान कही. सऊदी अरब और पाकिस्तान की तरफ से जारी साझा बयान में कहा गया है कि दोनों देशों ने भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय बातचीत को अहम बताया है. जम्मू और कश्मीर समेत विवाद के तमाम मुद्दों को बातचीत के जरिए इस तरह हल करने की जरूरत बताई, जिससे क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनी रहे.

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फरवरी में चुनाव जीतकर आए पाकिस्तान के पीएम शाहबाज़ शरीफ़ का ये पहला विदेशी दौरा है. यहां तक जब शाहबाज़ शरीफ़ ने पीएम पद की शपथ ली, तो पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में ये कहा कि कश्मीर के मुद्दे पर सभी साथ आएं और कश्मीर और फिलिस्तीन की आज़ादी के लिए एक प्रस्ताव पास करें. ज़ाहिर सी बात है कि वो पाकिस्तान के हर नेता की तरह कश्मीर के मुद्दे को भुनाने की कोशिश में हैं.

दरअसल पाकिस्तान कश्मीर को लेकर अपना राग छेड़ता रहता है. अंतरराष्ट्रीय मंचों से भी वो इसे उठाता रहा है. भारत हमेशा से पाकिस्तान के दावों और बढ़-चढ़कर की गई बातों का खंडन करता रहा है और माकूल जवाब देता रहा है. पूरा कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है, इस बात को दोहराता रहा है.

सऊदी अरब जिससे कि पाकिस्तान के बहुत ही क़रीबी संबंध रहे हैं, उसकी तरफ़ से पाकिस्तान के पीएम को भारत से बातचीत करने की सलाह काफ़ी कुछ कहता है. ये बताता है कि सऊदी अरब एक इस्लामिक देश होते हुए भी किस तरह से कश्मीर के मुद्दे पर भारत की संवेदनशीलता को समझ रहा है. हाल के वर्षों में भारत और सऊदी अरब के बीच गहराते संबंधों का भी प्रतीक है. भारत इसे द्विपक्षीय बातचीत के ज़रिए सुलझाने का पक्षधर रहा है. इसमें किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की कोई जगह नहीं मानता. सऊदी अरब ने पाकिस्तान को यही नसीहत दी है क्योंकि पाकिस्तान बार बार और लगातार अतंराष्ट्ररीय स्तर पर इसे उछालता रहा है.

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गौरतलब है कि अगस्त 2019 में जब मोदी सरकार ने जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया था, तब सऊदी अरब ने चिंता तो जतायी थी, लेकिन इसकी किसी तरह की कोई निंदा नहीं की थी. इसे भारत का आतंरिक मामला भी बताया था. भारत और सऊदी अरब के बीच 2022-23 में 52 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का व्यापार हुआ. भारत सऊदी अरब का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार है. वहीं सऊदी अरब भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार है.

सऊदी अरब में क़रीब 25 लाख भारतीय रहते हैं, जिनका वहां बड़ा योगदान है. पीएम मोदी और पीएम सलमान के बीच कई मौक़ों पर मुलाक़ात होती रही है. जी20 के दौरान पिछले साल सितंबर में सऊदी अरब के पीएम दूसरी बार भारत आए थे. तब द्विपक्षीय मुलाक़ात के दौरान पीएम मोदी ने कहा था कि दुनिया की स्थिरता के लिए भारत और सऊदी अरब की साझीदारी बहुत अहम है. भारत-मध्यपूर्व-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर में सऊदी अरब का एक अहम किरदार है.

पीएम मोदी 2019 में सऊदी अरब का दौरा कर चुके हैं. तब पीएम मोदी ने कहा था कि भारत और सऊदी अरब आतंकवाद से मुकाबला करने सहित सुरक्षा के विभिन्न मुद्दों पर आपसी सहयोग को बहुत अच्छे से आगे बढ़ा रहा है.

ये जगज़ाहिर है कि कश्मीर पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से जूझता रहा है. भारत का पक्ष साफ़ है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद के ख़िलाफ़ ठोस और सबूतों के साथ कार्रवाई नहीं करता, भारत पाकिस्तान से बातचीत नहीं करेगा. सऊदी अरब की नसीहत के बाद उम्मीद है कि पाकिस्तान आतंकवाद का रास्ता छोड़कर और उस पर लगाम लगाकर भारत के साथ बातचीत को तैयार होगा. हालांकि पाकिस्तान की राजनीति के चाल और चरित्र को देखते हुए ये दूर की कौड़ी लगती है.

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