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महाराष्ट्र में फिर बगावत की आशंका! मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलने से कई नेता नाराज


मुंबई:

महाराष्ट्र की महायुति सरकार के नए मंत्रिमंडल में 11 प्रमुख मंत्रियों को बाहर किए जाने से विवाद खड़ा हो गया है. CM देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली नई सरकार में बड़े नेताओं को मंत्री पद से हटाए जाने पर उनके समर्थकों में असंतोष देखने को मिल रहा है. कई स्थानों पर प्रदर्शन हुए हैं. येवला में छगन भुजबल के समर्थकों ने नाराजगी जताई है.

इन नेताओं को मंत्रिमंडल से किया गया बाहर
महायुति के तीन घटक दलों में से अजित पवार गुट (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) के सबसे अधिक पांच नेताओं को बाहर किया गया है. इनमें छगन भुजबल, धर्मराव बाबा आत्राम, संजय बंसोडे, दिलीप वलसे पाटिल और अनिल पाटिल शामिल हैं. बीजेपी ने रवींद्र चव्हाण, सुधीर मुनगंटीवार और विजयकुमार गावित को मंत्री पद से हटा दिया है. शिवसेना (शिंदे गुट) ने तानाजी सावंत, अब्दुल सत्तार और दीपक केसरकर को शामिल नहीं किया. 

छगन भुजबल ने नाराजगी जताते हुए विधानसभा सत्र में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया है. उन्होंने कहा कि उन्हें राज्यसभा सीट की पेशकश की गई थी. लेकिन इसे स्वीकार करना येवला के मतदाताओं के साथ अन्याय होगा.

सुधीर मुनगंटीवार ने सीएम फडणवीस के उस दावे का खंडन किया, जिसमें कहा गया था कि उन्हें हटाने पर लंबी चर्चा हुई थी. उन्होंने कहा कि विस्तार के दिन ही उन्हें सूचना दी गई.  वहीं, शिवसेना गुट में भी बगावत के संकेत देखने को मिल रहे हैं. शिंदे गुट को भी इस विस्तार के कारण आंतरिक विरोध का सामना करना पड़ रहा है. विधायक नरेंद्र भोंडेकर ने पार्टी के पदों से इस्तीफा दे दिया है. विजय शिवतारे (पुरंदर विधायक) ने कहा  कि मुझे मंत्री पद का दुख नहीं है. लेकिन जो व्यवहार हुआ, वह अस्वीकार्य है.

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25 नए चेहरे मंत्रिमंडल में शामिल किए गए है. इनमें बीजेपी के पंकजा मुंडे, मधुरी मिसाल, मेघना बोरडिकर और एनसीपी की आदिति तटकरे शामिल हैं. कुल 39 मंत्रियों ने शपथ ली, जिनमें चार महिला विधायक भी शामिल हैं. मुख्यमंत्री फडणवीस ने प्रदर्शन के आधार पर पुराने मंत्रियों को हटाने की बात कही है.

नए मंत्रियों में चंद्रशेखर बावनकुले, गणेश नाईक, जयकुमार रावल, आशोक उइके, आशीष शेलार, नितेश राणे, संजय शिरसाट, और प्रकाश आबिटकर जैसे नाम शामिल हैं.

मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि मंत्रिमंडल विस्तार में क्षेत्रीय और जातीय संतुलन बनाए रखने की कोशिश की गई है. उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि जिन नेताओं को इस बार मौका नहीं मिला, उन्हें भविष्य में पार्टी में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जाएगी. 

मना जा रहा है कि यह फेरबदल महायुति सरकार की रणनीतिक योजना का हिस्सा है, लेकिन इससे आंतरिक असंतोष के बढ़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. 
 



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