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प्रक्रियाओं का सही तरीके से हो पालन… JPC से निलंबित 10 सांसदों ने लोकसभा स्पीकर को लिखी चिट्ठी

वक्फ संशोधन विधेयक से संबंधित संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) में शामिल विपक्षी सदस्यों ने शुक्रवार को समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल पर मनमानी करने तथा नियम एवं प्रक्रियाओं के उल्लंघन का आरोप लगाया और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से हस्तक्षेप का आग्रह किया. समिति की बैठक में शामिल विपक्षी सदस्यों को एक दिन के लिए निलंबित किए जाने के बाद विपक्ष के सांसदों ने बिरला को पत्र लिखा और कहा कि वह पाल को समिति की कार्यवाही पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से संचालित करने के लिए निर्देशित करें.

उन्होंने बिरला से मिलने का समय भी मांगा है. साथ ही उन्होंने 27 जनवरी को प्रस्तावित समिति की अगली बैठक स्थगित करने की मांग भी की. समिति की बैठक में शामिल 10 विपक्षी सदस्यों को अध्यक्ष जगदंबिका पाल के खिलाफ विरोध जताने तथा प्रक्रियाओं को लेकर मनमानी करने का आरोप लगाने के बाद शुक्रवार को एक दिन के लिए निलंबित कर दिया गया.

निलंबित सदस्यों में कल्याण बनर्जी और नदीम-उल हक (तृणमूल कांग्रेस), मोहम्मद जावेद, इमरान मसूद और सैयद नासिर हुसैन (कांग्रेस), ए राजा और मोहम्मद अब्दुल्ला (द्रमुक), असदुद्दीन ओवैसी (एआईएमआईएम), मोहिबुल्लाह (सपा) और अरविंद सावंत (शिवसेना-यूबीटी) शामिल हैं.

इन सांसदों के निलंबन के बाद विपक्षी सदस्यों ने बिरला को पत्र लिखा और एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया. लोकसभा में कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई ने कहा, ‘‘ऐसा कभी नहीं देखा गया कि जेपीसी से 10 विपक्षी सदस्यों को एकसाथ निलंबित कर दिया हो. संसद से विपक्षी सांसदों को निलंबित किया गया और अब वही प्रक्रिया समिति में देखने को मिली.”

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उन्होंने दावा किया कि बिना पहले नोटिस दिए समिति की बैठकों की तिथि घोषित की जाती है. गोगोई ने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि पहले से निर्धारित रूपरेखा पर अमल किया जा रहा है और संसदीय प्रक्रियाओं व नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है.”

उनका कहना था, ‘‘सदस्यों को विभिन्न बिंदुओं पर विचार विमर्श करना था और सवालों के उत्तर का अध्ययन करना था, उस चरण को पीछे छोड़कर खंडवार चर्चा का फैसला कर लिया गया है. हमने इसका विरोध किया है.”

तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने दावा किया कि विपक्षी सदस्यों का संसदीय समिति में अपमान किया गया और दिल्ली के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर रिपोर्ट को स्वीकार करने की जल्दीबाजी की गई. उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय की निगरानी में इसकी जांच होनी चाहिए कि पाल (केंद्र) सरकार में शीर्ष स्तर पर किससे आदेश लेकर काम कर रहे हैं.

कांग्रेस सदस्य सैयद नासिर हुसैन ने कहा कि समिति के समक्ष उपस्थित होने वाले लोगों ने जो भी कहा है, उसके बारे में विस्तृत अध्ययन करने की जरूरत है. उन्होंने सवाल किया कि क्या दिल्ली चुनाव के लिए प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की यह जल्दबाजी की गई?

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, ‘‘यह बहुत ही नाजुक मसला है. यदि सरकार द्वारा ‘बुलडोज’ करके संसद में इस विधेयक को पारित कराया गया तो इसका बहुत बुरा असर होगा.”

उन्होंने कहा, ‘‘अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि जो प्रक्रिया अपनाई जा रही है वो गलत है. वक्फ संपत्तियां बर्बाद हो जाएंगी.”

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ओवैसी ने कहा, ‘‘यह जो प्रक्रिया अपनाई गई है, उसका हम विरोध करते हैं. लोकसभा अध्यक्ष से आग्रह करते हैं कि वह इस मामले में दखल दें.”

बिरला को लिखे पत्र में विपक्षी सदस्यों ने समिति के पिछले कुछ दिनों की कार्यवाही और संवाद का विस्तृत उल्लेख किया और दावा किया कि समिति की बैठक 24 जनवरी को बुला ली गई, जबकि विपक्षी सदस्यों ने कुछ दिनों बाद बैठक बुलाने का आग्रह किया था.

उन्होंने कहा, ‘‘विधेयक में प्रस्तावित संशोधन न केवल देश भर में वक्फ बोर्डों की विशाल भू संपदा से जुड़े हैं, बल्कि उच्च न्यायालयों/उच्चतम न्यायालय के न्यायिक आदेशों के संदर्भ में भी प्रासंगिक हैं. इस संबंध में विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा बनाए गए नियम और कानून भी चुनौती हैं, जिससे हितों का टकराव पैदा हो गया है.”

उन्होंने कहा कि हितधारकों द्वारा समग्र रूप से उठाए गए इन मुद्दों को हल करने के लिए जेपीसी द्वारा एक व्यापक अध्ययन की अनिवार्य रूप से आवश्यकता है.

उनका कहना है, ‘‘इन परिस्थितियों में समिति के अध्यक्ष द्वारा बिना सोचे समझे जेपीसी की कार्यवाही में जल्दबाजी करना, छिपी हुई दुर्भावना से भरी एक पहेली के अलावा और कुछ नहीं है. हमारी राय है कि जेपीसी के अध्यक्ष के पास समिति के सदस्यों को निलंबित करने की शक्ति नहीं है.”

उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष से आग्रह किया, ‘‘जेपीसी के अध्यक्ष को कार्यवाही को पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से संचालित करने का निर्देश दिया जाए. समिति के अध्यक्ष को 27 जनवरी को प्रस्तावित बैठक स्थगित कर देनी चाहिए ताकि विपक्षी सदस्यों को नियमों और प्रक्रिया से विचलित हुए बिना दलीलों/दावों को रखने के लिए पर्याप्त समय और अवसर मिल सके.”

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