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ब्रेड से लेकर डायपर पर टैक्स… केन्या में नए बिल को लेकर बागी हुआ Gen Z, सरकार को दिखाई डिजिटल एक्टिविज्म की ताकत

अफ्रीकी देश केन्या (Kenya Protests) में नए टैक्स बिल (New Tax Bill) को लेकर बवाल मचा हुआ है. मंगलवार को हजारों लोग राष्ट्रपति विलियम रूटो के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए सड़कों पर उतर आए. प्रदर्शनकारियों में ज्यादातर संख्या युवाओं की है. आक्रोशित प्रदर्शनकारियों ने संसद में आग लगा दी. भीड़ ने एक मॉल को भी आग के हवाले कर दिया. न्यूज एजेंसी ‘रॉयटर्स’ की रिपोर्ट के मुताबिक, हिंसक प्रदर्शन में अब तक 13 लोगों की जान जा चुकी है. करीब 31 लोग जख्मी बताए जा रहे हैं.

सरकार की नए टैक्स बिल से कई तरह के टैक्स और टैरिफ में बढ़ोतरी के कारण केन्यावासियों में आक्रोश बढ़ा है. विरोध प्रदर्शन को आगे बढ़ाने वालों में से एक बड़ी संख्या जेनरेशन जेड यानी Gen Z की है.  Gen Z उन्हें कहा जाता है, जो 1990 के दशक के अंत और 2010 के दशक की शुरुआत के बीच पैदा हुए. ये जेनरेशन डिजिटल स्किल और सोशल एक्टिविज्म को समझते हैं और समझा भी सकते हैं. उन्होंने ही इस जमीनी स्तर के आंदोलन का निर्माण किया है. केन्याई युवा विरोध को संगठित करने और सरकार के खिलाफ आवाज उठाने के लिए डिजिटल मीडिया का बढ़चढ़ कर इस्तेमाल कर रहे हैं.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
डिजिटल मीडिया और एक्टिविज्म एक्सपर्ट जॉब म्वाउरा कहते हैं, “मौजूदा विरोध प्रदर्शनों में हम देख रहे हैं कि डिजिटल मीडिया का इस्तेमाल करते समय एक्टिविस्ट कितने नए-नए तरीके अपना सकते हैं. आज इस्तेमाल किए जाने वाले डिजिटल डिवाइसेस और स्ट्रैटजी एक्टिविज्म को बिल्कुल नए लेवल पर ले जा रही है.”

आंदोलन के लिए AI का भी हो रहा इस्तेमाल
केन्या में विरोध-प्रदर्शन के लिए युवा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का भी इस्तेमाल कर रहे हैं. AI का इस्तेमाल ऐसी फोटो, गाने और वीडियो बनाने के लिए किया जा रहा है, जो आंदोलन के मैसेज को आसान भाषा में लोगों तक पहुंचाए, जिससे इंफैक्ट भी जोरदार पड़े.

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टिकटॉक और X से भी लोगों को दे रहे मैसेज
रिपोर्ट के मुताबिक, युवा ‘टिकटॉक’ और ‘X’ जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल विभिन्न केन्याई बोलियों में टैक्स बिल को समझाने वाले लोगों के वीडियो शेयर करने के लिए किया जा रहा है.

क्या है वो बिल जिसे लेकर मचा है बवाल?
केन्या में मई में Kenya Finance Bill 2024 पेश किया गया. ब्रेड, कैंसर ट्रीटमेंट, कुकिंग ऑयल, बच्चों का डायपर से सैनेटरी पैड, मोटर वाहन, सोलर उपकरण से लेकर डिजिटल सर्विस से जुड़े प्रोडक्ट्स पर भारी-भरकम टैक्स लगाने का प्रस्ताव है. इसमें ब्रेड पर 16% सेल्स टैक्स, कुकिंग ऑयल  पर 25% टैक्स, मोटर व्हीकल पर 2.5% वैट और इंपोर्ट ड्यूटी को 3% का प्रस्ताव है.

बिल को लेकर क्या है सरकार का स्टैंड
केन्या की संसद में मौजूद ज्यादातर सांसद इस बिल के समर्थन में हैं. उनका मानना है कि यह सरकारी कामों को पूरा करने के लिए जरूरी है. रेवेन्यू बढ़ाने पर होने वाली कमाई के जरिए सरकार देश में सड़कों का निर्माण, स्कूलों में टीचर्स को हायर कर सकेगी. वहीं, किसानों को फर्टिलाइजर के लिए सब्सिडी मिल पाएगी. इससे देश पर कर्ज का बोझ भी कम होगा. मंगलवार को बिल पर हुई वोटिंग के दौरान 195 में से 106 सांसदों ने इसके पक्ष में वोट किया था. इसके बाद ही प्रदर्शन तेज हुए. जिस समय सांसद बिल पर चर्चा कर रहे थे, उसी वक्त आक्रोशित भीड़ ने संसद में आग लगा दी.

बिल का क्यों हो रहा विरोध?
केन्या के नागरिकों का कहना है कि नए कानून की वजह से अंडे, प्याज और खाना बनाने के तेल जैसे जरूरी सामान भी महंगे हो जाएंगे. सरकार गुड्स और सर्विसेज पर भी टैक्स बढ़ा रही है. बिल लागू हुआ तो आम लोगों को 2 वक्त का खाना भी जुटाना मुश्किल हो जाएगा.

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पर्यावरण शुल्क भी शामिल 
बिल के मुताबिक, पर्यावरण को किसी भी तरह से नुकसान पहुंचाने वाले उत्पादों पर टैक्स लगेगा. इस टैक्स के दायरे में मोबाइल फोन, कैमरा और रिकॉर्डिंग उपकरण सहित डिजिटल प्रोडक्ट शामिल थे. बिल में सैनेटरी पैड और बच्चों के डायपर पर टैक्स बढ़ाने का प्रस्ताव है. बिल में Import Tax की दर को वस्तु के मूल्य के 2.5% से बढ़ाकर 3% करने का प्रस्ताव रखा गया है.

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सरकार आखिर क्यों बढ़ा रही इतना टैक्स?
टैक्स बिल में केन्याई सरकार का लक्ष्य बजट घाटे और उधारी को कम करने के लिए एडिशनल टैक्स के जरिए 2.7 अरब डॉलर जुटाना है. केन्या का सार्वजनिक कर्ज सकल घरेलू उत्पाद (Kenya GDP) का 68% है.  

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विरोध के बीच सरकार ने बिल के कुछ प्रस्तावों को लिया वापस
इस बीच सरकार ने देश में उग्र होते जा रहे प्रदर्शनों के बाद कुछ विवादास्पद प्रस्तावों को वापस ले लिया है, लेकिन प्रदर्शनकारी चाहते हैं कि पूरा विधेयक ही रद्द कर दिया जाए. प्रदर्शनकारियों ने सरकार पर सरकारी फंड को सही तरह से इस्तेमाल नहीं करने का आरोप भी लगाया है. आक्रोशित लोगों ने राष्ट्रपति रूटो के इस्तीफे की भी मांग की है.

केन्या में रहने वाले भारतीयों के लिए एडवाइजरी जारी
केन्या में 80 हजार से 1 लाख तक भारतीय रहते हैं. हिंसक विरोध-प्रदर्शन के बीच भारतीयों के लिए उच्चायोग ने एडवाइजरी जारी की है. भारतीय दूतावास की तरफ से भारतीयों से कहा गया है कि वे बेवजह घर से बाहर न निकलें और हिंसा वाली जगहों से दूर रहें. साथ ही लगातार दूतावास के संपर्क में रहें.

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