देश

"सरकार का कदम, गोपनीयता पर हमला नहीं": लिव-इन नियमों पर उत्तराखंड की मंत्री

मंत्री रेखा आर्य The Hindkeshariसे कहा- “अगर आप समाज में खुलेआम किसी के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में हैं तो खुद को रजिस्टर्ड कराने में क्या हर्ज है?”  उन्होंने कहा कि नए कानून लाना और उन्हें लागू करना सरकार का कर्तव्य है.

उन्होंने कहा कि, “इस मानक के मुताबिक हम अभी भी सती प्रथा और महिलाओं को घूंघट के पीछे रखेंगे. जैसे-जैसे समाज विकसित हो रहा है, आपको नई प्रथाओं को रेगुलेट करने की जरूरत है. यह एक आधुनिक कदम है और इसमें किसी की निजता पर हमला करने का प्रयास नहीं है.”

हालांकि, लिव इन में रहने वाले 20 साल से अधिक की उम्र के बहुत से लोग रजिस्ट्रेशन कराने के नियम से सहमत नहीं हैं. एक 25 साल की महिला ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए The Hindkeshariसे कहा कि, “ऐसा लगता है कि राज्य मोरल पुलिसिंग करना चाहता है.” एक अन्य युवा महिला ने कहा, “हमारे जीवन को नियंत्रित करने से उनका कोई लेना-देना नहीं है.”

उत्तराखंड में बनाए गए इस नियम से प्रेरित होकर हो सकता है अन्य राज्य भी इसे लागू करें. विपक्षी दल कांग्रेस ने रेगुलेशन को लेकर भाजपा से सवाल पूछा. उसने कहा कि, उत्तराखंड ने एक “बुरा उदाहरण” पेश किया है.

युवाओं के जीवन में घुसपैठ करने की कोशिश : कांग्रेस

खटीमा सीट से कांग्रेस विधायक भुवन कापड़ी ने कहा कि, “उत्तराखंड युवाओं के लिए एक हब है. वे यहां पढ़ाई करने और काम करने के लिए आते हैं. उनसे इस तरह के लिव-इन रिलेशनशिप को वैध बनाने के लिए कहकर हम उनके जीवन में घुसपैठ करने की कोशिश कर रहे हैं. यह बहुत संस्कारी कदम भी नहीं है.” खटीमा विधानसभा सीट पर भुवन कापड़ी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को करीब 7,000 वोटों से हराया था.

यह भी पढ़ें :-  ये विपक्ष की बेवकूफी है... '400 पार' से BJP ने कैसे गेम कर दिया, चुनावी चाणक्‍य PK से समझिए

कापड़ी ने बताया कि एक बार जब रजिस्ट्रार द्वारा रिकॉर्ड बना लिया जाएगा और यदि कोई जोड़ा आगे कोई कदम उठाने का फैसला करता है, तो दस्तावेजों के जरिए उनकी छवि को धूमिल किया जा सकता है. उन्होंने कहा, “हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि यह भारत है और अभी भी हमारे देश में इस तरह के संबंधों को लेकर इतनी खुली सोच नहीं है.”

कांग्रेस के आरोप पर मंत्री रेखा आर्य ने कहा कि यह साफ है कि वे (विपक्ष) भ्रमित हैं. उन्होंने कहा, “सदन के अंदर उनके भाषणों में यह बहुत स्पष्ट था कि वे प्रतिक्रिया देने की कोशिश करते रहे, लेकिन वे ऐसा कर नहीं सके.” उन्होंने कहा कि कांग्रेस को यही नहीं पता कि इस बिल का समर्थन करना है या विरोध करना है.

रेखा आर्य ने कहा कि, “जब बच्चे वयस्क हो जाते हैं, तो वे स्वतंत्र होते हैं. हमें उनका और उनके द्वारा लिए गए फैसलों का सम्मान करने की जरूरत है. हम एक नियम लाए हैं कि यदि 21 साल से कम उम्र का कोई व्यक्ति लिव-इन रिलेशनशिप में रहना चाहता है, तो माता-पिता को इसकी सूचना देना होगी. इस तरह माता-पिता अपने बच्चों का मार्गदर्शन कर सकते हैं.” 

लिव-इन रिलेशनशिप से पैदा हुए बच्चे को भी अधिकार मिलेगा

नए कानून के तहत लिव-इन रिलेशनशिप से पैदा हुए बच्चे को भी अधिकार मिलेगा. उन्होंने कहा, “एक मंत्री के रूप में, हमने ऐसे कई मामले देखे हैं जिनमें ऐसे जोड़ों द्वारा बच्चों को छोड़ दिया जाता है. लेकिन अब ऐसा बच्चा भी अपने अधिकारों के लिए पात्र होगा. महिला भी गुजारा भत्ता की मांग सकती है.” 

यह भी पढ़ें :-  लश्कर ने हरियाणा के रेलवे स्टेशनों और बस अड्डों को बम से उड़ाने की धमकी दी

सरकार के फैसले पर कुछ आलोचकों ने सवाल उठाया है कि आदिवासियों को नए कानून के दायरे से बाहर क्यों रखा गया है? रेखा आर्य ने कहा कि, “हमने संविधान से प्रेरणा लेते हुए सब कुछ किया है. जनजातियों का अधिकार क्षेत्र राज्य के पास नहीं है, इसलिए उन्हें शामिल नहीं किया गया है. लेकिन पूर्व में हमने बदलाव को लेकर कई प्रगतिशील दृष्टिकोण देखे हैं, और आने वाले समय में वे भी शामिल हो सकते हैं.” 

मंत्री ने कहा कि उत्तराखंड ने समान नागरिक संहिता लागू करने में अग्रणी भूमिका निभाई है और जल्द ही कई अन्य राज्य भी इसका अनुसरण करेंगे. उन्होंने कहा कि, “जब हमारे पास समान कानून हैं, तो भारत में हर जगह समान नागरिक संहिता (UCC) क्यों लागू नहीं की जानी चाहिए?”

Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button