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महिलाकर्मियों के लिए माहवारी अवकाश पर स्वास्थ्य मंत्रालय विचार कर सकता है: कार्मिक मंत्रालय

कार्मिक, लोक शिकायत, विधि एवं न्याय विभाग से संबंधित संसदीय स्थायी समिति ने अपनी पिछली रिपोर्ट में सिफारिश की थी कि कार्मिक मंत्रालय को हितधारकों से बात करके एक ‘मासिक धर्म अवकाश’ नीति बनानी चाहिए.

नई दिल्ली:

कार्मिक मंत्रालय ने कहा है कि महिला सरकारी कर्मचारियों के लिए विशेष ‘मासिक धर्म अवकाश’ स्वास्थ्य संबंधी मुद्दा है और स्वास्थ्य मंत्रालय इस पर सबसे अच्छी तरह विचार कर सकता है. संसद की एक समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह बात कही है. कार्मिक, लोक शिकायत, विधि एवं न्याय विभाग से संबंधित संसदीय स्थायी समिति ने अपनी पिछली रिपोर्ट में सिफारिश की थी कि कार्मिक मंत्रालय को हितधारकों से बात करके एक ‘मासिक धर्म अवकाश’ नीति बनानी चाहिए, जिसमें माहवारी के समय परेशानियों का सामना करने वाली महिलाओं को छुट्टी की अनुमति हो.

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समिति ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का संज्ञान लिया है, ‘‘मासिक धर्म से अधिकतर महिलाओं को कमजोरी का अनुभव होता है और कार्यस्थल पर उनकी कार्य क्षमता प्रभावित होती है.” समिति ने सिफारिश की थी कि महिलाओं के लिए प्रतिमाह या प्रतिवर्ष मासिक धर्म अवकाश या अस्वस्थता अवकाश (एसएल)/आधे वेतन पर अवकाश का प्रावधान हो और बदले में कोई चिकित्सा प्रमाणपत्र नहीं मांगा जाए या छुट्टी लेने का औचित्य नहीं पूछा जाए.

समिति ने सोमवार को पेश अपनी नयी रिपोर्ट में कहा कि केंद्रीय सिविल सेवा (अवकाश) नियम, 1972 में केंद्र सरकार की महिलाकर्मियों के कल्याण के लिए विभिन्न प्रकार के सवैतनिक अवकाश के रूप में विविध प्रोत्साहन का प्रावधान है. इनमें मातृत्व अवकाश और बाल देखभाल अवकाश भी शामिल हैं.

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इसमें कहा गया है कि किसी भी सरकारी कर्मचारी को अपनी व्यक्तिगत आवश्यताओं को पूरा करने के लिए साल में 30 दिन का अर्जित अवकाश और आठ दिन का आकस्मिक अवकाश (सीएल) मिलता है. कार्मिक मंत्रालय ने समिति से कहा, ‘‘किसी महिला सरकारी कर्मचारी को मासिक धर्म की अवधि के दौरान पीड़ा की वजह से विशेष माहवारी अवकाश देने की जरूरत से जुड़ा विषय स्वास्थ्य संबंधी मुद्दा है और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय इस पर सबसे अच्छी तरह विचार कर सकता है.”

इससे पहले आठ दिसंबर को कांग्रेस सांसद शशि थरूर के एक प्रश्न के लिखित उत्तर में महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने लोकसभा को बताया था कि सभी कार्यस्थलों के लिए वैतनिक मासिक धर्म अवकाश के प्रावधान को अनिवार्य बनाने का कोई प्रस्ताव सरकार के पास विचाराधीन नहीं है.

 

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