दुनिया

Hezbollah: क्या इजरायल को हिजबुल्लाह के हमले का डर? आखिर हमास को क्यों करता है सपोर्ट

इजरायल और फिलिस्तीन के बीच बरसों पुराना विवाद (Israel Palestine Conflict) अब एक खतरनाक मोड़ ले चुका है. शनिवार 7 अक्टूबर को फिलिस्तीनी संगठन हमास (Hamas Group) ने गाजा बॉर्डर (Gaza Border) से इजरायल की तरफ कुछ मिनटों में 5 हजार से ज्यादा रॉकेट दागे. लगातार 6 दिन से दोनों तरफ से मिसाइलें और रॉकेट दागे जा रहे हैं. बमबारी की जा रही है. इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष के बीच लेबनान के हिजबुल्लाह (Hezbollah) ग्रुप का नाम भी सामने आया है. 

हिजबुल्लाह ने 8 अक्टूबर 2023 को एक बयान में कहा कि उसने सीरिया के इजरायली कब्जे वाले गोलान हाइट्स (Golan Heights) की सरहद पर स्थित विवादित शेबा फार्म्स (Shebaa Farms) में इजरायली ठिकानों पर रॉकेट और गोले दागे. हिजबुल्लाह ने कहा कि उसने ये हमले करके फिलिस्तीन के साथ एकजुटता दिखाई है. आइए जानते हैं क्या है हिजबुल्लाह? इजरायल से इसकी क्या है दुश्मनी? हमास को हिजबुल्लाह आखिर क्यों करता है समर्थन? क्या इजरायल को हिजबुल्लाह से कोई डर है?

The HindkeshariExplains: क्या मोसाद को 3 दिन पहले मिल चुका था हमास के हमले का इनपुट, इजिप्ट का क्या है दावा?

 

हिजबुल्लाह क्या है?

मिडिल ईस्ट के एक्सपर्ट सौरभ कुमार साही ने बताया कि हिजबुल्लाह का मतलब होता है- ‘Party of God’ यानी अल्लाह/ईश्वर की पार्टी. यह लेबनान का एक ‘शिया मुस्लिम’ राजनीतिक दल और अर्द्धसैनिक संगठन है. इसे लेबनान में यह राजनीतिक दल के तौर पर जाना जाता है. इजरायली सेना के अनुसार, हिजबुल्लाह के पास मौजूदा समय में करीब 1 लाख लड़ाके हैं. इनमें से 20000 एक्टिव रहते हैं और बाकियों स्टैंड बाय पर रखा जाता है.

हिजबुल्लाह के लड़ाकों की कैसी होती है ट्रेनिंग?

साही ने बताया कि हिजबुल्लाह के लड़ाकों की ट्रेनिंग वर्ल्ड क्लास होती है. ये किसी भी मुल्क के आर्म्स फोर्सेज से लड़ सकते हैं. कई मामलों में हिजबुल्लाह के लड़ाके उनसे बेहतर भी हैं. हिजबुल्लाह के लड़ाके बहुत अनुशासित और प्रशिक्षित होते हैं. सीरियाई युद्ध में लड़ने के कारण हिजबुल्लाह एक अनुभवी मिलिशिया ग्रुप है. इसके पास 1.5 लाख से ज्यादा रॉकेट हैं. ये अपनी मारक क्षमता पर उन मिसाइलों से बहुत बेहतर हैं, जिनका इस्तेमाल हमास इजरायल के खिलाफ करता है.

यह भी पढ़ें :-  "ट्रूडो भारत में हंसी के पात्र": राजनयिक विवाद पर बोले कनाडा के विपक्ष के नेता

हमास के हमले के बाद इजरायल ने गाजा में बंद कर दी बिजली-पानी की सप्लाई, जानें कैसे हैं हालात

 

हिजबुल्लाह की स्थापना कब हुई?

हिजबुल्लाह की स्थापना पर रोशनी डालते हुए सौरभ कुमार साही बताते हैं, “साल 1979 में ईरान में सरकार बदली और उसने इस वक्त को मिडिल ईस्ट इलाके में दबदबा बढ़ाने के लिए अच्छे मौके के रूप में देखा. ईरान ने लेबनान और इजरायल के बीच चल रहे तनाव का फायदा उठाना चाहा. उसने शिया मुसलामानों पर अपना प्रभाव जमाना शुरू कर दिया. इसी के साथ साल 1982 में हिजबुल्लाह नाम के शिया संगठन की शुरुआत हुई. दरअसल, ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स ने अपनी इस्लामी क्रांति को बढ़ाने और लेबनान पर आक्रमण करने वाली इजरायली सेनाओं से लड़ने के लिए हिजबुल्लाह की स्थापना की थी. इसके बाद ईरान की शिया इस्लामवादी विचारधारा को साझा करते हुए हिजबुल्लाह ने अपने संगठन में लेबनान के शिया मुसलमानों को भर्ती किया.

हिजबुल्लाह के क्या हैं इरादे?

हिजबुल्लाह, पश्चिम एशिया में इजरायल और पश्चिमी प्रभाव का विरोध करता है. यह रूस और ईरान के साथ मिलकर, सीरिया में गृह युद्ध के दौरान राष्ट्रपति बशर अल-असद (Bashar al-Assad) के शासन का भी समर्थन कर चुका है. मौजूदा वक्त में लेबनान की 128 सदस्यीय संसद में से 13 सीटों पर हिजबुल्लाह का कब्जा है.

इजराइल ने सीरिया में हमास के ठिकानों पर किए हमले, अलेप्पो और दमिश्क एयरपोर्ट पर सभी उड़ानें रद्द

 

कौन है हिजबुल्लाह का बॉस?

मौजूदा वक्त में हिजबुल्लाह का नेतृत्व हसन नसरल्लाह (Hassan Nasrallah) कर रहे हैं. 1992 में इजरायल ने हिजबुल्लाह के सह-संस्थापक और संगठन के पिछले नेता अब्बास अल-मुसावी (Abbas al-Musawi) की हत्या करा दी थी. इसके बाद हसन नसरल्लाह ने महासचिव का पद संभाला था. नसरल्लाह पर सात सदस्यीय ‘शूरा परिषद’ और उसकी पांच उपपरिषदों (राजनीतिक सभा, जिहाद सभा, संसदीय सभा, कार्यकारी सभा और न्यायिक सभा) की जिम्मेदारी है.

यह भी पढ़ें :-  इजरायल-हमास के बीच जंग का दायरा बढ़ने का खतरा, US-UK ने अपने नागरिकों से लेबनान छोड़ने को कहा

किन इलाकों को कंट्रोल करता है हिजबुल्लाह?

हिजबुल्लाह, लेबनान के ज्यादातर शिया-बहुल इलाकों को नियंत्रित करता है. इसमें बेरूत, दक्षिणी लेबनान और पूर्वी बेका घाटी क्षेत्र के कुछ हिस्से शामिल हैं.

हिजबुल्लाह को कहां से मिलती है फंडिंग?

Code of Federal Regulations की रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान हिजबुल्लाह को सबसे ज्यादा फंडिंग करता है. ईरान इस संगठन को हथियार मुहैया करता है. साथ ही अन्य चीजों के लिए भारी भरकम रकम देता है. हिजबुल्लाह को लीगल बिजनेस, इंटरनेशनल क्रिमिनल इंटरप्राइजेज और लेबनानी माइग्रेट्स से भी करोड़ों डॉलर की मदद मिलती है.

इजरायल से हिजबुल्लाह की क्या दुश्मनी है?

इजरायल, हिजबुल्लाह का सबसे बड़ा दुश्मन है. इस दुश्मनी का इतिहास 1978 में दक्षिणी लेबनान पर इजरायल के कब्जे के वक्त से चला आ रहा है. हिजबुल्लाह को विदेशों में यहूदी और इजरायली ठिकानों पर हमलों के लिए दोषी भी ठहराया जा चुका है.

“आतंकी मुझपर गोलियां बरसाने लगे हैं…”: इजरायली महिला सैनिक ने मरने से पहले परिवार को भेजा मैसेज

 

इजरायल को हिजबुल्लाह का क्या है डर?

गाजा से इजरायल पर हमला होने के अगले ही दिन हिजबुल्लाह का दक्षिण लेबनान से इजरायल पर हमला करना हमास और हिजबुल्लाह की इजरायल को दो मोर्चों पर उलझाने की रणनीति का हिस्सा हो सकता है. लिहाजा इजरायल ने लेबनान के बॉर्डर पर एक्सट्रा फोर्स तैनात कर दी है.

हमास को क्यों सपोर्ट करता है हिजबुल्लाह?

कहते हैं दुश्मन का दुश्मन आखिर दोस्त होता है. हमास और हिजबुल्लाह के मामले में यही बात सटीक बैठती है. हिजबुल्लाह की तरह हमास को भी ईरान का समर्थन हासिल है. दोनों इजरायल के खिलाफ हैं. लिहाजा हमास का साथ देने के लिए हिजबुल्लाह ने भी इजरायल पर हमले किए हैं.

यह भी पढ़ें :-  इजरायल ने लेबनान पर किया मिसाइल हमला, रॉयटर्स के एक जर्नलिस्ट की मौत, 6 घायल

हमास के हमले के बाद इजरायल ने गाजा में बंद कर दी बिजली-पानी की सप्लाई, जानें कैसे हैं हालात

 

Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button