'सिंहासन ख़ाली करो कि जनता आती है' का विवाद अब हाई कोर्ट पहुंचा, बढ़ी कंगना रनौत की दिक्कतें
फिर विवादों में घिरी कंगना की फिल्म इमरजेंसी, कोर्ट पहुंचा मामला
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ के पोते ऋत्विक उदयन फिल्म इमरजेंसी के डायरेक्टर प्रोड्यूसर के खिलाफ अदालत पहुंच गए है. मामला अब पटना हाई कोर्ट में हैं. इस केस में कंगना रनौत को अदालत ने नोटिस भेज दिया है. दरअसल फिल्म में इस्तेमाल हुई लाइन ‘सिंहासन खाली करो कि जनता आती है’, अब एक कानूनी विवाद का केंद्र बन गई है. ये मशहूर लाइन कविता ‘जनतंत्र का जन्म’ से ली गई है. ये कविता 26 जनवरी, 1950 को लिखी गई थी. बाद में रामधारी सिंह दिनकर की चर्चित पुस्तक नील कुसुम में सम्मिलित की गई. नील कुसुम का पहला प्रकाशन 1954 में हुआ था. इस पुस्तक का कॉपीराइट केदारनाथ सिंह (राष्ट्रकवि दिनकर जी के पुत्र) की विधिक उत्तराधिकारी कल्पना सिंह के पास है.
आरोप है कि इमरजेंसी फिल्म के प्रचार में रामधारी सिंह दिनकर के कविता के हिस्से का इस्तेमाल हुआ. एक गाने में भी बिना इजाज़त के इसका उपयोग किया गया है. इस फ़िल्म की निर्माता निर्देशक कंगना रनौत हैं. वे बीजेपी की सांसद भी है.
देश भर में फिल्म इमरजेंसी का प्रचार प्रसार शुरू हुआ. तो रामधारी सिंह दिनकर के परिवार ने विरोध जताया. इसके बाद 31 अगस्त 2024 को संबंधित पक्षों को कानूनी नोटिस भेजा गया. लेकिन इसका कोई जवाब दिनकर के परिवार को नहीं मिला. दिनकर के पोते ऋत्विक उदयन का दावा है कि मनोज मुंतशिर ने उन्हें बताया कि सारे फ़ैसले कंगना रनौत के हैं. उन्होंने जो भी किया उनके कहने पर किया और इस मामले में उनकी कोई भूमिका नहीं है.
कंगना रनौत और उनकी टीम से किसी तरह का जवाब नहीं आया. इसके बाद दिनकर के परिवार ने पटना हाई कोर्ट में दायर कर दी. यह मामला जस्टिस रेड्डी के सामने 17 जनवरी को पेश किया गया. चूंकि फिल्म उसी दिन देशभर में रिलीज़ हो चुकी थी, इसीलिए कोर्ट ने रिलीज़ पर रोक लगाने से मना कर दिया. लेकिन कॉपीराइट उल्लंघन के आरोप में फ़िल्म के निर्माता निर्देशक को नोटिस जारी कर दिया गया. इस मामले की अगली सुनवाई अब 7 मार्च को होगी.