'और कितना बांटना चाहते हैं…' : कांवड़ यात्रा नेम प्लेट विवाद पर चंद्रशेखर आजाद
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कांवड़ यात्रा मार्ग में दुकानों और रेहड़ी वालों को अपना नाम लिखने का आदेश जारी किया था, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने दखल दिया है और सुनवाई के बाद इस पर अंतरिम रोक भी लगा दी है. इस पर आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखऱ आजाद ने कहा, “जब सत्ता तानाशाही करेगा और लोगों को धर्म या जाति पर बांटेगी तो हम भारत के सर्वोच्च न्यायालय के आगे अपनी बात रख सकते हैं. सर्वोच्च न्यायालय में इस बात को प्राथमिकता दी और हमारी बात भी सुनी. उन्होंने इस मामले पर रोक भी लगाई है इसके लिए मैं सर्वोच्च न्यायालय को बधाई देता हूं. सरकार को इस तरह की चीजों का हिस्सा बनने से खुद को रोकना चाहिए”.
चंद्रशेखर आजाद ने The Hindkeshariसे की खास बातचीत
नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद ने The Hindkeshariसे खास में कहा, “हमने संसद में भी जीरो ऑवर में यह मुद्दा उठाया है. सड़क पर भी मुद्दा उठाया है. मेरा मानना है कि कांवड़ यात्रा आज से नहीं चल रही है. बीजेपी जब सत्ता में नहीं थी तब से यह यात्रा चल रही है. इस कांवड़ यात्रा में सभी धर्म के लोग जुड़ते थे. उसका सम्मान करते थे. सेवा भाव करते थे. अब इसको संकुचित कर लिया गया है”.
एक ढाबे में हुई मारपीट
चंद्रशेखर आजाद ने कहा, “आपको एक बात बताऊं लक्ष्मी करके एक ढाबा है उसमें मारपीट हुई है. जो आरोप लगाए गए हैं कि कांवड़ खंडित हुआ है ऐसा कुछ नहीं हुआ. अगर इस तरह से किसी की जान चली जाएगी किसी का नुकसान होगा तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? जिन लोगों ने खड़े होकर उत्पाद मचाया उन पर कार्रवाई होगी या उन्हें खुली छूट दे दी जाएगी?”
नई परंपरा शुरू करने पर कोई कारण तो दोगे
उन्होंने कहा, “बीजेपी को तो दिक्कत है. आप नई परंपरा शुरू कर रहे हैं तो उसके पीछे कोई कारण तो दोगे. जो कांवड़ जा रहे हैं वह भी कह रहे हैं यह नहीं होना चाहिए. अगर कोई एससी एसटी अपनी दुकान पर लिखेगा तो कोई ऊंची जाति का उस दुकान से समान खरीदेगा? जब यहां इतना छुआछूत है, भेदभाव है, शादियां नहीं होती हैं, मंदिर अलग हैं तो और कितना बांटना चाहते हैं आप. यह भेदभाव स्वीकार नहीं करेंगे. हमारे साथी कोर्ट में भी गए हैं.”
बाबा साहेब अंबेडकर की बात की याद
चंद्रशेखर आजाद ने कहा, “देखिए बाबासाहेब अंबेडकर ने कहा है कि जो जिस जाति में पैदा हुआ है उसी जाति में मरेगा. इसमें कुछ बदलाव नहीं कर सकते हैं कोई दलित कितना भी पढ़ ले वह ब्राह्मण नहीं हो सकता है. हम चाहते हैं कि जाति विहीन समाज बने लेकिन सरकारी नहीं चाहती है. मुझे लगता है सिर्फ चुनावी फायदे के लिए ऐसा किया जा रहा है इसका जनता में आक्रोश है. ऐसा ही अयोध्या में किया गया था जिसका नतीजा आपके सामने है. मेरा सवाल मुख्यमंत्री से है जिनका रोजगार 20 दिन के लिए चला गया. उनके बच्चों का क्या होता है जवाब है क्या उनके पास?”